भारतीय काव्यशास्त्र - e-Gyanagar

42
बी.ए.एच.डी.सी.सी – 12 4 BAHDCC – 12 Block – 4 भारतीय काशा अलंकार एवं छंद के सिांत

Transcript of भारतीय काव्यशास्त्र - e-Gyanagar

बीएएचडीसीसी ndash 12

खड ndash 4

BAHDCC ndash 12

Block ndash 4

भारतीय कावयशासतर

अलकार एव छद क सिदात

इस पसतक की इकाई 1 और 2 की पाठय ndash सामागरी मल रप स ओडिशा राजय मकत

डिशवडिदयालय (ओस) दवारा परसतत की गई ह

The study material pertaining to Unit- 1 amp 2 of this book has been developed

by Odisha State Open University (OSOU) Sambalpur Odisha

कला सनातक (सममान) उपाडि काययकरम (हहिदी)

बीएएचिीसीसी ndash 12

भारतीय कावयशासतर

खिि ndash 4

अलिकार एिि छिद क डसदाित

इकाई ndash 1 अलिकार डसदाित एिि लकषण

इकाई ndash 2 छिद डसदाित एिि लकषण

कला सनातक (सममान) उपाडि काययकरम (हहिदी)

भारतीय कावयशासतर मलपाठ क लखक

इकाई ndash 1 अलिकार डसदाित एिि लकषण िॉ सितोष डिशनोई

सहायक परोफसर

हहिदी डिभाग अगरिाल महाडिदयालय बललबगढ

)फरीदाबाद(

(सिबद - महरषय दयानिद डिशवडिदयालय रोहतक)

इकाई ndash 2 छिद डसदाित एिि लकषण

सिदभीकरण तथा सिसोिन

िॉ एच ए हनगनद

सह परोफसर भाषा डिदयापीठ

म गाि अि हहिदी डिशवदयालय ििाय

अलिकरण

अडभषक कमार हसिह

डशकषण सलाहकार हहिदी डिभाग

ओडिशा राजय मकत डिशवडिदयालय समबलपर

कलसडचि ओडिशा राजय मकत डिशवडिदयालय समबलपर दवारा परकाडशत

मदरण ndash

2

1

इकाई - 1

अलकार सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

10 उददशय

11 परसतावना

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

13 अलकार क परकार

14 िाराश

15 बोध परशन

16 िदभथ गरर

10 उददशय

जो ककसी वसत को अलकत कर वह अलकार कहलाता ह कावय अथवा भाषा को शोभा बनान वाल मनोरजक

ढग को अलकार कहत ह कावयशरीर अथाात भाषा को शबदाथा स ससकजजत तथा सनदर बनानवाल चमतकारपरा

मनोरजक ढग को अलकार कहत ह अलकार का शाकबदक अथा ह lsquoआभषरrsquo मानव समाज सौनदयोपासक ह

उसकी इसी परवकि न अलकारो को जनम कदया ह

कजस परकार सवरा आकद क आभषरो स शरीर की शोभा बढ़ती ह उसी परकार कावय-अलकारो स कावय की ससकत

क अलकार सपरदाय क परकतषठापक आचाया दणडी क शबदो म- lsquoकावय शोभाकरान धमाान अलकारान परचकषतrsquo-

कावय क शोभाकारक धमा (गर) अलकार कहलात ह रस की तरह अलकार का भी ठीक-ठीक लकषर बतलाना

ककठन ह किर भी वयापक और सकीरा अथो म इसकी पररभाषा कनकचचत करन की चषटा की गयी ह कजस परकार

आभषर सवरा स बनत ह उसी परकार अलकार भी सवरा (सनदर वरो) स बनत ह कावयशासतर क परारकभभक काल

म lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग इसी अथा म हआ ह इसक अकतररकत पराचीन काल म इस शबद का एक और अथा

कलया जाता था ससकत म lsquoअलकारrsquo शबद का वयवहार साकहतय क शासतरपकष म हआ ह पहल अलकारशासतर

2

कहन स रस अलकार रीकत कपगल इतयाकद समसत कावयागो का बोध होता था कहनदी म ससकत क ही अनसरर

पर महाककव कशवदास न lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग अपनी lsquoककवकपरयाrsquo म इसी वयापक अथा म ककया ह कावय म

अलकार की महिा कसदध करन वालो म आचाया भामह उदभट दडी और रदरट क नाम कवशष परखयात ह इन आचायो

न कावय म रस को परधानता न द कर अलकार की मानयता दी ह अलकार की पररपाटी बहत परानी ह

कावय-शासतर क परारकभभक काल म अलकारो पर ही कवशष बल कदया गया था कहनदी क आचायो न भी कावय म

अलकारो को कवशष सथान कदया ह जब तक कहनदी म बरजभाषा साकहतय का अकसततव बना रहा तब तक अलकार

का महततव सरककषत रहा आधकनक यग म इस कदशा म लोग उदासीन हो गय ह कावय म रमरीय अथा पद-लाकलतय

उककत-वकचवय और असाधारर भाव-सौनदया की सकषट अलकारो क परयोग स ही होती ह कजस तरह काकमनी की

सौनदया-वकदध क कलए आभषरो की आवशयकता पड़ती ह उसी तरह ककवता-काकमनी की सौनदया-शरी म नय चमतकार

और नय कनखार लान क कलए अलकारो का परयोग अकनवाया हो जाता ह कबना अलकार क ककवता कवधवा ह तो

अलकार ककवता का शरगार उसका सौभागय ह अलकार ककव को सामानय वयककत स अलग करता ह जो कलाकार

होगा वह जान या अनजान म अलकारो का परयोग करगा ही इनका परयोग कवल ककवता तक सीकमत नही वरन

इनका कवसतार गदय म भी दखा जा सकता ह इस कववचन स यह सपषट ह कक अलकार ककवता की शोभा और सौनदया

ह जो शरीर क साथ भाव को भी रप की मादकता परदान करता ह इस इकाई क माधयम स ndash

आप अलकार क अथा सवरप और उसकी कवकभनन पररभाषाओ स पररकचत होग

अलकारो क कवकभनन परकारो को समझन म सकषम होग

अलकारो की कवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

अलकारो क उदाहररो का उललख कर सक ग साथ ही उनकी पररभाषा क कवषय म जञान परापत कर सक ग

11 परसतावना

अलकारो का कावय म कया सथान ह अथवा इसकी कया महिा ह कछ कवदवान इस कावय का कनतयधमा मानत ह और

कछ अकनतयधमा इसको कनतयधमा मानन वाल भगवान वयास दव न lsquolsquoअकगनपरारrsquorsquo म कहा - lsquolsquoअथाालकार-रकहता

कवधवव सरसवतीrsquorsquo अथाात अथाालकारो क कबना सरसवती कवधवा क समान हअलकार क पररक कया होत ह इस

समझन क कलय अलकार क कई अगो को सपशा करना होगा परथमतः अलकार ह कया जस मानव-शरीर सवतः

सनदर होता ह ककनत उसक सौनदया को बढ़ान क कलय आभषराकद का परयोग ककया जाता ह ठीक उसी परकार कावय

3

क सौनदया को बढ़ान क कलय ही अलकारो का परयोग ककया जाता ह तब कावय म शोभा बढ़ान वाल धमो का

समावश होता ह या उनका परयोग होता ह तो व कछ मल पररराओ पर आधाररत होत ह जस

(1) आनतररक उतसाह की अकभवयककत

(2) मनषय की कचरकाल स चली आ रही सौनदया-कपरयता की भावना

(3) एक ही बात को अनक परकार स कहन का ढग कजसक दवारा सनन वाल क मन म चमतकार की सकषट हो

इस बात स इकार नही ककया जा सकता कक अलकार कावय क कलय यकद अपररहाया नही ह तो भी एक अतयनत ही

आवशयक तततव अवशय ठहरत ह कजस परकार आभषर धारर करन स ककसी रमरी की शोभा बढ़ जाती ह ठीक

उसी परकार अलकारो स कावय की शोभा बढ़ जाती ह

कावय म अलकारो का उपयकत सथान कनधााररत करन म तीन बातो का धयान रखना आवशयक होता ह -

(1) अलकारो का परयोग शोभा बढ़ान का साधन ह साधय नही तातपया यह कक अलकारो का परयोग करना ककव का

लकषय नही होना चाकहए कवल इस कारर परयकत अलकार बोकझल ककलषट और असपषट वारी बन जात ह

(2) अलकार परककत सौनदया की ही शोभा बढ़ात ह तातपया यह कक यकद कावय सवय कावयगर स रकहत हो तो

अलकार उसकी शोभा नही बढ़ा सकत अग-भग अथवा शारीररक सौनदया क अभाव म आभषर रमरी की शोभा

नही बढ़ा सकत

(3) अलकार का परयोग सवाभाकवक रप स होना चाकहए ककिम या असवाभाकवक रप स परयकत अलकार कावय

की शोभा नही बढ़ा सकत

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

अलकार का सामानय अथा ह - गहना या आभषर जो दह की शोभा बढ़ात ह कावय सदभा म भी इस शोभा बढ़ान

वाल धमा और ततव क रप म कलया जाता ह कजस परकार आभषर सतरी क सौदया को बढ़ा दत ह उसी परकार

अलकार कावय क सौदया का बढ़ा दत ह भामह क अनसार

न कानतमसप सनभभथष सवभासत वसनता मखम

अथाात नारी का मख सदर होत हए भी आभषरो क कबना शोभा नही दता

अलकरोकत इकत अलकार अथाात जो अलकत करता ह वह अलकार होता ह अलकार शबद दो शबदो स कमलकर

बना ह- अलम + कार यहा अलम का अथा ह- भषर इस परकार जो भकषत करता ह वह अलकार ह

4

िसकत आचायो दवारा परसतत पररभाषाए -

भारतीय साकहतय म ससकत आचायो न अलकार को पररभाकषत करन का परयास ककया ह

भामह क अनसार - वकराकभधय शबदोककतररषटावाचामलककत अथाात शबद और अथा क वकचतरय को अलकार

कहत ह

दडी क अनसार - कावयशोभाकरान धमाान अलकारान परचकषत अथाात अलकार कावय क शोभाकर धमा ह

वामन क अनसार - कावयशोभाया कताारो धमाा गरा दकतशय हतवसतवलकारा अथाात कावय का शोभाकारक

धमा गर ह और अलकार उस अकतशयता परदान करता ह ककत अनय सथल पर व अलकार को सौदया का पयाावाची

बता दत ह यथा ndash सौदयामलकारा कावय गरहययमलकारात अथाात वयापक रप म सौदया माि को अलकार कहत

ह और उसी स कावय गरहर ककया जाता ह

13 अलकार क परकार

अलकार मखयतः दो परकार क होत ह -

1 शबदालकार 2 अथाालकार

1 शबदालकार - जहाा शबदो का सहारा लकर सौदया को बढ़ाया जाता ह अथाात शबदो स चमतकार उतपनन ककया

जाता ह वहाा शबदालकार होता ह शबदालकार म परयकत शबद का सथान उसका पयाायवाची नही ल सकता

शबदालकार क भद - अनपरास अलकार पनरककत अलकार यमक अलकार शलष अलकार वकरोककत अलकार

वीपसा अलकार आकद

2 अराथलकार - जब अथा क माधयम स कावय म चमतकार उतपनन ककया जाता ह तब अथाालकार होता ह

अथाालकार क भद - उपमा रपक उतपरकषा अकतशयोककत अनयोककत आकद

शबदालकार

अनपराि अलकार ndash अनपरास शबद दो शबदो स कमलकर बना ह अन + परास अन का अथा होता ह बार-बार और

परास का अथा होता ह- वरा अनपरास का अथा ह वसत को अनकरम म रखना इस परकार जहाा ककसी वरा की करम स

अनक बार आवकि हो वहाा अनपरास अलकार होता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह कक कजस रचना म वयजनो

की बार-बार आवकि क कारर चमतकार उतपनन होता ह वहा पर अनपरास अलकार होता ह धवकन क आधार पर

5

इसकी पहचान होती ह इसम लयातमकता होती ह उदाहरर - lsquoतरनी तनजा तट तमाल तरवर बह छायाrsquo

सपषटीकरर ककव भारतद की इस पककत म त वरा की आवकि हई ह अतः यहाा अनपरास अलकार ह

अनपराि अलकार क भद -

(क) छकानपरास (ख) वतयानपरास (ग) लटानपरास (घ) अनतयानपरास (ड) शरतयानपरास

(क) छकानपरास अलकार - छक का अथा ह वाक चातया अथाात वाक स पररपरा एक या एकाकधक वरो क आवकत

को छकानपरास अलकार कहा जाता ह जहा पर अनक वयजनो की एक बार सपषटत एव करमस आवकि की गई हो

वहा छकानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

वनदौ गर पद पदम परागा

िरसच िवाि िरि अनरागा

सपषटीकरर यहा पर स स आकद अनक वयजनो की एक-एक बार आवकि की गई ह उदाहरर ndash

इि करणा कसलत हदय म

कयो सवकल रासगनी बजती ह

उपरोकत पककत म क वरा की आवकि करम स एक बार ह अतः यहा पर छकानपरास अलकार होगा

(ख) वतयानपरास अलकार - जहा पर वतयानपरास वरो की अथवा वरा की अनक बार आवकि की गई हो वहा पर

वतयानपरास अलकार होता ह

उदाहरर ndash

ककन सककनी नभपर धसन िसन

कहत लखन िन राम हदय गसन

सपषटीकरर यहाा पर न नी कन की आवकि ह इस कलए यहाा पर अनपरास अलकार ह

जहा एक या अनक वयजनो की अनक बार सवरपत व कमात आवकि हो तो वहा पर वतयानपरास अलकार होता

ह उदाहरर-

चनदन न चमली को चममच ि चटनी चटाई

(ग) लाटानपरास अलकार - लाट का अथा ह समह | जहा शबद और अथा की समान रप स आवकि की जाती ह ककत

अनवय करन पर उनक अकभपराय म कभननता आ जाती हो वहा लाटानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

पभत कपभत तो कयो धन िचय

6

पभत िपभत तो कयो धन िचय

(घ) अनतयानपरास अलकार - जहा पर पद या पद क अत म सभी पदो म समान सवर और वयजन की आवकि की

जाती ह वहा अनतयानपरास अनपरास अलकार होता ह कहदी भाषा म ऐस पदो को तकात ककवता या तकात पद कहत

ह यह आवकि कयोकक पद क अत म ही होती ह इसकलए इस अनतयानपरास कहत ह उदाहरर -

धीरज धरम समतर अर नारी

आपसि काल परसखए चारी

(ड) शरतयानपरास अलकार - जहा पर मख क एक ही उचचारर सथान स उचचररत होन वाल वयजनो की समानता पाई

जाती ह वहा पर शरतयानपरास अनपरास अलकार होता ह उदाहरर -

जासह जन पर ममता असत छोह

जसह करना करर कीनह न काह

अनपरास अलकार क अनय उदाहरर ndash

1 कर कानन कडल मोर पखा उर प बनमाल कबराजकत ह इस कावय पककत म क वरा की 3 बार और व वरा

की दो बार आवकत होन स चमतकार आ गया ह अत यहा पर अनपरास अलकार होगा

2 सरकभत सदर सखद समन तम पर कखलत ह इस कावय पककत म पास-पास परयकत सरभीत सदर सखद और समन

शबदो म स वरा की वार वार आवकत हई ह आत यहा पर अनपरास अलकार होगा

3 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाय यहा पर त वरा की आवकि बार-बार आ रही ह इसकलए यहा पर अनपरास

अलकार होगा

4 चार चदर की चचल ककरर खल रही थी जल थल म (lsquoचrsquo की आवकि)

5 रघपकत राघव राजा राम (lsquoरrsquo की आवकि)

6 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाए (lsquoतrsquo की आवकि)

7 हमार हरर हाररल की लकरी (lsquoहrsquo की आवकि)

8 पट पीठ दोनो कमलकर ह एक चल रहा लककटया टक

यमक अलकार - कजस परकार अनपरास अलकार म ककसी एक वरा की आवकत होती ह उसी परकार यमक अलकार

म ककसी कावय का सौनदया बढ़ान क कलए एक शबद की बार-बार आवकत होती ह परयोग ककए गए शबद का अथा

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

इस पसतक की इकाई 1 और 2 की पाठय ndash सामागरी मल रप स ओडिशा राजय मकत

डिशवडिदयालय (ओस) दवारा परसतत की गई ह

The study material pertaining to Unit- 1 amp 2 of this book has been developed

by Odisha State Open University (OSOU) Sambalpur Odisha

कला सनातक (सममान) उपाडि काययकरम (हहिदी)

बीएएचिीसीसी ndash 12

भारतीय कावयशासतर

खिि ndash 4

अलिकार एिि छिद क डसदाित

इकाई ndash 1 अलिकार डसदाित एिि लकषण

इकाई ndash 2 छिद डसदाित एिि लकषण

कला सनातक (सममान) उपाडि काययकरम (हहिदी)

भारतीय कावयशासतर मलपाठ क लखक

इकाई ndash 1 अलिकार डसदाित एिि लकषण िॉ सितोष डिशनोई

सहायक परोफसर

हहिदी डिभाग अगरिाल महाडिदयालय बललबगढ

)फरीदाबाद(

(सिबद - महरषय दयानिद डिशवडिदयालय रोहतक)

इकाई ndash 2 छिद डसदाित एिि लकषण

सिदभीकरण तथा सिसोिन

िॉ एच ए हनगनद

सह परोफसर भाषा डिदयापीठ

म गाि अि हहिदी डिशवदयालय ििाय

अलिकरण

अडभषक कमार हसिह

डशकषण सलाहकार हहिदी डिभाग

ओडिशा राजय मकत डिशवडिदयालय समबलपर

कलसडचि ओडिशा राजय मकत डिशवडिदयालय समबलपर दवारा परकाडशत

मदरण ndash

2

1

इकाई - 1

अलकार सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

10 उददशय

11 परसतावना

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

13 अलकार क परकार

14 िाराश

15 बोध परशन

16 िदभथ गरर

10 उददशय

जो ककसी वसत को अलकत कर वह अलकार कहलाता ह कावय अथवा भाषा को शोभा बनान वाल मनोरजक

ढग को अलकार कहत ह कावयशरीर अथाात भाषा को शबदाथा स ससकजजत तथा सनदर बनानवाल चमतकारपरा

मनोरजक ढग को अलकार कहत ह अलकार का शाकबदक अथा ह lsquoआभषरrsquo मानव समाज सौनदयोपासक ह

उसकी इसी परवकि न अलकारो को जनम कदया ह

कजस परकार सवरा आकद क आभषरो स शरीर की शोभा बढ़ती ह उसी परकार कावय-अलकारो स कावय की ससकत

क अलकार सपरदाय क परकतषठापक आचाया दणडी क शबदो म- lsquoकावय शोभाकरान धमाान अलकारान परचकषतrsquo-

कावय क शोभाकारक धमा (गर) अलकार कहलात ह रस की तरह अलकार का भी ठीक-ठीक लकषर बतलाना

ककठन ह किर भी वयापक और सकीरा अथो म इसकी पररभाषा कनकचचत करन की चषटा की गयी ह कजस परकार

आभषर सवरा स बनत ह उसी परकार अलकार भी सवरा (सनदर वरो) स बनत ह कावयशासतर क परारकभभक काल

म lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग इसी अथा म हआ ह इसक अकतररकत पराचीन काल म इस शबद का एक और अथा

कलया जाता था ससकत म lsquoअलकारrsquo शबद का वयवहार साकहतय क शासतरपकष म हआ ह पहल अलकारशासतर

2

कहन स रस अलकार रीकत कपगल इतयाकद समसत कावयागो का बोध होता था कहनदी म ससकत क ही अनसरर

पर महाककव कशवदास न lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग अपनी lsquoककवकपरयाrsquo म इसी वयापक अथा म ककया ह कावय म

अलकार की महिा कसदध करन वालो म आचाया भामह उदभट दडी और रदरट क नाम कवशष परखयात ह इन आचायो

न कावय म रस को परधानता न द कर अलकार की मानयता दी ह अलकार की पररपाटी बहत परानी ह

कावय-शासतर क परारकभभक काल म अलकारो पर ही कवशष बल कदया गया था कहनदी क आचायो न भी कावय म

अलकारो को कवशष सथान कदया ह जब तक कहनदी म बरजभाषा साकहतय का अकसततव बना रहा तब तक अलकार

का महततव सरककषत रहा आधकनक यग म इस कदशा म लोग उदासीन हो गय ह कावय म रमरीय अथा पद-लाकलतय

उककत-वकचवय और असाधारर भाव-सौनदया की सकषट अलकारो क परयोग स ही होती ह कजस तरह काकमनी की

सौनदया-वकदध क कलए आभषरो की आवशयकता पड़ती ह उसी तरह ककवता-काकमनी की सौनदया-शरी म नय चमतकार

और नय कनखार लान क कलए अलकारो का परयोग अकनवाया हो जाता ह कबना अलकार क ककवता कवधवा ह तो

अलकार ककवता का शरगार उसका सौभागय ह अलकार ककव को सामानय वयककत स अलग करता ह जो कलाकार

होगा वह जान या अनजान म अलकारो का परयोग करगा ही इनका परयोग कवल ककवता तक सीकमत नही वरन

इनका कवसतार गदय म भी दखा जा सकता ह इस कववचन स यह सपषट ह कक अलकार ककवता की शोभा और सौनदया

ह जो शरीर क साथ भाव को भी रप की मादकता परदान करता ह इस इकाई क माधयम स ndash

आप अलकार क अथा सवरप और उसकी कवकभनन पररभाषाओ स पररकचत होग

अलकारो क कवकभनन परकारो को समझन म सकषम होग

अलकारो की कवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

अलकारो क उदाहररो का उललख कर सक ग साथ ही उनकी पररभाषा क कवषय म जञान परापत कर सक ग

11 परसतावना

अलकारो का कावय म कया सथान ह अथवा इसकी कया महिा ह कछ कवदवान इस कावय का कनतयधमा मानत ह और

कछ अकनतयधमा इसको कनतयधमा मानन वाल भगवान वयास दव न lsquolsquoअकगनपरारrsquorsquo म कहा - lsquolsquoअथाालकार-रकहता

कवधवव सरसवतीrsquorsquo अथाात अथाालकारो क कबना सरसवती कवधवा क समान हअलकार क पररक कया होत ह इस

समझन क कलय अलकार क कई अगो को सपशा करना होगा परथमतः अलकार ह कया जस मानव-शरीर सवतः

सनदर होता ह ककनत उसक सौनदया को बढ़ान क कलय आभषराकद का परयोग ककया जाता ह ठीक उसी परकार कावय

3

क सौनदया को बढ़ान क कलय ही अलकारो का परयोग ककया जाता ह तब कावय म शोभा बढ़ान वाल धमो का

समावश होता ह या उनका परयोग होता ह तो व कछ मल पररराओ पर आधाररत होत ह जस

(1) आनतररक उतसाह की अकभवयककत

(2) मनषय की कचरकाल स चली आ रही सौनदया-कपरयता की भावना

(3) एक ही बात को अनक परकार स कहन का ढग कजसक दवारा सनन वाल क मन म चमतकार की सकषट हो

इस बात स इकार नही ककया जा सकता कक अलकार कावय क कलय यकद अपररहाया नही ह तो भी एक अतयनत ही

आवशयक तततव अवशय ठहरत ह कजस परकार आभषर धारर करन स ककसी रमरी की शोभा बढ़ जाती ह ठीक

उसी परकार अलकारो स कावय की शोभा बढ़ जाती ह

कावय म अलकारो का उपयकत सथान कनधााररत करन म तीन बातो का धयान रखना आवशयक होता ह -

(1) अलकारो का परयोग शोभा बढ़ान का साधन ह साधय नही तातपया यह कक अलकारो का परयोग करना ककव का

लकषय नही होना चाकहए कवल इस कारर परयकत अलकार बोकझल ककलषट और असपषट वारी बन जात ह

(2) अलकार परककत सौनदया की ही शोभा बढ़ात ह तातपया यह कक यकद कावय सवय कावयगर स रकहत हो तो

अलकार उसकी शोभा नही बढ़ा सकत अग-भग अथवा शारीररक सौनदया क अभाव म आभषर रमरी की शोभा

नही बढ़ा सकत

(3) अलकार का परयोग सवाभाकवक रप स होना चाकहए ककिम या असवाभाकवक रप स परयकत अलकार कावय

की शोभा नही बढ़ा सकत

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

अलकार का सामानय अथा ह - गहना या आभषर जो दह की शोभा बढ़ात ह कावय सदभा म भी इस शोभा बढ़ान

वाल धमा और ततव क रप म कलया जाता ह कजस परकार आभषर सतरी क सौदया को बढ़ा दत ह उसी परकार

अलकार कावय क सौदया का बढ़ा दत ह भामह क अनसार

न कानतमसप सनभभथष सवभासत वसनता मखम

अथाात नारी का मख सदर होत हए भी आभषरो क कबना शोभा नही दता

अलकरोकत इकत अलकार अथाात जो अलकत करता ह वह अलकार होता ह अलकार शबद दो शबदो स कमलकर

बना ह- अलम + कार यहा अलम का अथा ह- भषर इस परकार जो भकषत करता ह वह अलकार ह

4

िसकत आचायो दवारा परसतत पररभाषाए -

भारतीय साकहतय म ससकत आचायो न अलकार को पररभाकषत करन का परयास ककया ह

भामह क अनसार - वकराकभधय शबदोककतररषटावाचामलककत अथाात शबद और अथा क वकचतरय को अलकार

कहत ह

दडी क अनसार - कावयशोभाकरान धमाान अलकारान परचकषत अथाात अलकार कावय क शोभाकर धमा ह

वामन क अनसार - कावयशोभाया कताारो धमाा गरा दकतशय हतवसतवलकारा अथाात कावय का शोभाकारक

धमा गर ह और अलकार उस अकतशयता परदान करता ह ककत अनय सथल पर व अलकार को सौदया का पयाावाची

बता दत ह यथा ndash सौदयामलकारा कावय गरहययमलकारात अथाात वयापक रप म सौदया माि को अलकार कहत

ह और उसी स कावय गरहर ककया जाता ह

13 अलकार क परकार

अलकार मखयतः दो परकार क होत ह -

1 शबदालकार 2 अथाालकार

1 शबदालकार - जहाा शबदो का सहारा लकर सौदया को बढ़ाया जाता ह अथाात शबदो स चमतकार उतपनन ककया

जाता ह वहाा शबदालकार होता ह शबदालकार म परयकत शबद का सथान उसका पयाायवाची नही ल सकता

शबदालकार क भद - अनपरास अलकार पनरककत अलकार यमक अलकार शलष अलकार वकरोककत अलकार

वीपसा अलकार आकद

2 अराथलकार - जब अथा क माधयम स कावय म चमतकार उतपनन ककया जाता ह तब अथाालकार होता ह

अथाालकार क भद - उपमा रपक उतपरकषा अकतशयोककत अनयोककत आकद

शबदालकार

अनपराि अलकार ndash अनपरास शबद दो शबदो स कमलकर बना ह अन + परास अन का अथा होता ह बार-बार और

परास का अथा होता ह- वरा अनपरास का अथा ह वसत को अनकरम म रखना इस परकार जहाा ककसी वरा की करम स

अनक बार आवकि हो वहाा अनपरास अलकार होता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह कक कजस रचना म वयजनो

की बार-बार आवकि क कारर चमतकार उतपनन होता ह वहा पर अनपरास अलकार होता ह धवकन क आधार पर

5

इसकी पहचान होती ह इसम लयातमकता होती ह उदाहरर - lsquoतरनी तनजा तट तमाल तरवर बह छायाrsquo

सपषटीकरर ककव भारतद की इस पककत म त वरा की आवकि हई ह अतः यहाा अनपरास अलकार ह

अनपराि अलकार क भद -

(क) छकानपरास (ख) वतयानपरास (ग) लटानपरास (घ) अनतयानपरास (ड) शरतयानपरास

(क) छकानपरास अलकार - छक का अथा ह वाक चातया अथाात वाक स पररपरा एक या एकाकधक वरो क आवकत

को छकानपरास अलकार कहा जाता ह जहा पर अनक वयजनो की एक बार सपषटत एव करमस आवकि की गई हो

वहा छकानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

वनदौ गर पद पदम परागा

िरसच िवाि िरि अनरागा

सपषटीकरर यहा पर स स आकद अनक वयजनो की एक-एक बार आवकि की गई ह उदाहरर ndash

इि करणा कसलत हदय म

कयो सवकल रासगनी बजती ह

उपरोकत पककत म क वरा की आवकि करम स एक बार ह अतः यहा पर छकानपरास अलकार होगा

(ख) वतयानपरास अलकार - जहा पर वतयानपरास वरो की अथवा वरा की अनक बार आवकि की गई हो वहा पर

वतयानपरास अलकार होता ह

उदाहरर ndash

ककन सककनी नभपर धसन िसन

कहत लखन िन राम हदय गसन

सपषटीकरर यहाा पर न नी कन की आवकि ह इस कलए यहाा पर अनपरास अलकार ह

जहा एक या अनक वयजनो की अनक बार सवरपत व कमात आवकि हो तो वहा पर वतयानपरास अलकार होता

ह उदाहरर-

चनदन न चमली को चममच ि चटनी चटाई

(ग) लाटानपरास अलकार - लाट का अथा ह समह | जहा शबद और अथा की समान रप स आवकि की जाती ह ककत

अनवय करन पर उनक अकभपराय म कभननता आ जाती हो वहा लाटानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

पभत कपभत तो कयो धन िचय

6

पभत िपभत तो कयो धन िचय

(घ) अनतयानपरास अलकार - जहा पर पद या पद क अत म सभी पदो म समान सवर और वयजन की आवकि की

जाती ह वहा अनतयानपरास अनपरास अलकार होता ह कहदी भाषा म ऐस पदो को तकात ककवता या तकात पद कहत

ह यह आवकि कयोकक पद क अत म ही होती ह इसकलए इस अनतयानपरास कहत ह उदाहरर -

धीरज धरम समतर अर नारी

आपसि काल परसखए चारी

(ड) शरतयानपरास अलकार - जहा पर मख क एक ही उचचारर सथान स उचचररत होन वाल वयजनो की समानता पाई

जाती ह वहा पर शरतयानपरास अनपरास अलकार होता ह उदाहरर -

जासह जन पर ममता असत छोह

जसह करना करर कीनह न काह

अनपरास अलकार क अनय उदाहरर ndash

1 कर कानन कडल मोर पखा उर प बनमाल कबराजकत ह इस कावय पककत म क वरा की 3 बार और व वरा

की दो बार आवकत होन स चमतकार आ गया ह अत यहा पर अनपरास अलकार होगा

2 सरकभत सदर सखद समन तम पर कखलत ह इस कावय पककत म पास-पास परयकत सरभीत सदर सखद और समन

शबदो म स वरा की वार वार आवकत हई ह आत यहा पर अनपरास अलकार होगा

3 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाय यहा पर त वरा की आवकि बार-बार आ रही ह इसकलए यहा पर अनपरास

अलकार होगा

4 चार चदर की चचल ककरर खल रही थी जल थल म (lsquoचrsquo की आवकि)

5 रघपकत राघव राजा राम (lsquoरrsquo की आवकि)

6 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाए (lsquoतrsquo की आवकि)

7 हमार हरर हाररल की लकरी (lsquoहrsquo की आवकि)

8 पट पीठ दोनो कमलकर ह एक चल रहा लककटया टक

यमक अलकार - कजस परकार अनपरास अलकार म ककसी एक वरा की आवकत होती ह उसी परकार यमक अलकार

म ककसी कावय का सौनदया बढ़ान क कलए एक शबद की बार-बार आवकत होती ह परयोग ककए गए शबद का अथा

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

कला सनातक (सममान) उपाडि काययकरम (हहिदी)

बीएएचिीसीसी ndash 12

भारतीय कावयशासतर

खिि ndash 4

अलिकार एिि छिद क डसदाित

इकाई ndash 1 अलिकार डसदाित एिि लकषण

इकाई ndash 2 छिद डसदाित एिि लकषण

कला सनातक (सममान) उपाडि काययकरम (हहिदी)

भारतीय कावयशासतर मलपाठ क लखक

इकाई ndash 1 अलिकार डसदाित एिि लकषण िॉ सितोष डिशनोई

सहायक परोफसर

हहिदी डिभाग अगरिाल महाडिदयालय बललबगढ

)फरीदाबाद(

(सिबद - महरषय दयानिद डिशवडिदयालय रोहतक)

इकाई ndash 2 छिद डसदाित एिि लकषण

सिदभीकरण तथा सिसोिन

िॉ एच ए हनगनद

सह परोफसर भाषा डिदयापीठ

म गाि अि हहिदी डिशवदयालय ििाय

अलिकरण

अडभषक कमार हसिह

डशकषण सलाहकार हहिदी डिभाग

ओडिशा राजय मकत डिशवडिदयालय समबलपर

कलसडचि ओडिशा राजय मकत डिशवडिदयालय समबलपर दवारा परकाडशत

मदरण ndash

2

1

इकाई - 1

अलकार सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

10 उददशय

11 परसतावना

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

13 अलकार क परकार

14 िाराश

15 बोध परशन

16 िदभथ गरर

10 उददशय

जो ककसी वसत को अलकत कर वह अलकार कहलाता ह कावय अथवा भाषा को शोभा बनान वाल मनोरजक

ढग को अलकार कहत ह कावयशरीर अथाात भाषा को शबदाथा स ससकजजत तथा सनदर बनानवाल चमतकारपरा

मनोरजक ढग को अलकार कहत ह अलकार का शाकबदक अथा ह lsquoआभषरrsquo मानव समाज सौनदयोपासक ह

उसकी इसी परवकि न अलकारो को जनम कदया ह

कजस परकार सवरा आकद क आभषरो स शरीर की शोभा बढ़ती ह उसी परकार कावय-अलकारो स कावय की ससकत

क अलकार सपरदाय क परकतषठापक आचाया दणडी क शबदो म- lsquoकावय शोभाकरान धमाान अलकारान परचकषतrsquo-

कावय क शोभाकारक धमा (गर) अलकार कहलात ह रस की तरह अलकार का भी ठीक-ठीक लकषर बतलाना

ककठन ह किर भी वयापक और सकीरा अथो म इसकी पररभाषा कनकचचत करन की चषटा की गयी ह कजस परकार

आभषर सवरा स बनत ह उसी परकार अलकार भी सवरा (सनदर वरो) स बनत ह कावयशासतर क परारकभभक काल

म lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग इसी अथा म हआ ह इसक अकतररकत पराचीन काल म इस शबद का एक और अथा

कलया जाता था ससकत म lsquoअलकारrsquo शबद का वयवहार साकहतय क शासतरपकष म हआ ह पहल अलकारशासतर

2

कहन स रस अलकार रीकत कपगल इतयाकद समसत कावयागो का बोध होता था कहनदी म ससकत क ही अनसरर

पर महाककव कशवदास न lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग अपनी lsquoककवकपरयाrsquo म इसी वयापक अथा म ककया ह कावय म

अलकार की महिा कसदध करन वालो म आचाया भामह उदभट दडी और रदरट क नाम कवशष परखयात ह इन आचायो

न कावय म रस को परधानता न द कर अलकार की मानयता दी ह अलकार की पररपाटी बहत परानी ह

कावय-शासतर क परारकभभक काल म अलकारो पर ही कवशष बल कदया गया था कहनदी क आचायो न भी कावय म

अलकारो को कवशष सथान कदया ह जब तक कहनदी म बरजभाषा साकहतय का अकसततव बना रहा तब तक अलकार

का महततव सरककषत रहा आधकनक यग म इस कदशा म लोग उदासीन हो गय ह कावय म रमरीय अथा पद-लाकलतय

उककत-वकचवय और असाधारर भाव-सौनदया की सकषट अलकारो क परयोग स ही होती ह कजस तरह काकमनी की

सौनदया-वकदध क कलए आभषरो की आवशयकता पड़ती ह उसी तरह ककवता-काकमनी की सौनदया-शरी म नय चमतकार

और नय कनखार लान क कलए अलकारो का परयोग अकनवाया हो जाता ह कबना अलकार क ककवता कवधवा ह तो

अलकार ककवता का शरगार उसका सौभागय ह अलकार ककव को सामानय वयककत स अलग करता ह जो कलाकार

होगा वह जान या अनजान म अलकारो का परयोग करगा ही इनका परयोग कवल ककवता तक सीकमत नही वरन

इनका कवसतार गदय म भी दखा जा सकता ह इस कववचन स यह सपषट ह कक अलकार ककवता की शोभा और सौनदया

ह जो शरीर क साथ भाव को भी रप की मादकता परदान करता ह इस इकाई क माधयम स ndash

आप अलकार क अथा सवरप और उसकी कवकभनन पररभाषाओ स पररकचत होग

अलकारो क कवकभनन परकारो को समझन म सकषम होग

अलकारो की कवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

अलकारो क उदाहररो का उललख कर सक ग साथ ही उनकी पररभाषा क कवषय म जञान परापत कर सक ग

11 परसतावना

अलकारो का कावय म कया सथान ह अथवा इसकी कया महिा ह कछ कवदवान इस कावय का कनतयधमा मानत ह और

कछ अकनतयधमा इसको कनतयधमा मानन वाल भगवान वयास दव न lsquolsquoअकगनपरारrsquorsquo म कहा - lsquolsquoअथाालकार-रकहता

कवधवव सरसवतीrsquorsquo अथाात अथाालकारो क कबना सरसवती कवधवा क समान हअलकार क पररक कया होत ह इस

समझन क कलय अलकार क कई अगो को सपशा करना होगा परथमतः अलकार ह कया जस मानव-शरीर सवतः

सनदर होता ह ककनत उसक सौनदया को बढ़ान क कलय आभषराकद का परयोग ककया जाता ह ठीक उसी परकार कावय

3

क सौनदया को बढ़ान क कलय ही अलकारो का परयोग ककया जाता ह तब कावय म शोभा बढ़ान वाल धमो का

समावश होता ह या उनका परयोग होता ह तो व कछ मल पररराओ पर आधाररत होत ह जस

(1) आनतररक उतसाह की अकभवयककत

(2) मनषय की कचरकाल स चली आ रही सौनदया-कपरयता की भावना

(3) एक ही बात को अनक परकार स कहन का ढग कजसक दवारा सनन वाल क मन म चमतकार की सकषट हो

इस बात स इकार नही ककया जा सकता कक अलकार कावय क कलय यकद अपररहाया नही ह तो भी एक अतयनत ही

आवशयक तततव अवशय ठहरत ह कजस परकार आभषर धारर करन स ककसी रमरी की शोभा बढ़ जाती ह ठीक

उसी परकार अलकारो स कावय की शोभा बढ़ जाती ह

कावय म अलकारो का उपयकत सथान कनधााररत करन म तीन बातो का धयान रखना आवशयक होता ह -

(1) अलकारो का परयोग शोभा बढ़ान का साधन ह साधय नही तातपया यह कक अलकारो का परयोग करना ककव का

लकषय नही होना चाकहए कवल इस कारर परयकत अलकार बोकझल ककलषट और असपषट वारी बन जात ह

(2) अलकार परककत सौनदया की ही शोभा बढ़ात ह तातपया यह कक यकद कावय सवय कावयगर स रकहत हो तो

अलकार उसकी शोभा नही बढ़ा सकत अग-भग अथवा शारीररक सौनदया क अभाव म आभषर रमरी की शोभा

नही बढ़ा सकत

(3) अलकार का परयोग सवाभाकवक रप स होना चाकहए ककिम या असवाभाकवक रप स परयकत अलकार कावय

की शोभा नही बढ़ा सकत

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

अलकार का सामानय अथा ह - गहना या आभषर जो दह की शोभा बढ़ात ह कावय सदभा म भी इस शोभा बढ़ान

वाल धमा और ततव क रप म कलया जाता ह कजस परकार आभषर सतरी क सौदया को बढ़ा दत ह उसी परकार

अलकार कावय क सौदया का बढ़ा दत ह भामह क अनसार

न कानतमसप सनभभथष सवभासत वसनता मखम

अथाात नारी का मख सदर होत हए भी आभषरो क कबना शोभा नही दता

अलकरोकत इकत अलकार अथाात जो अलकत करता ह वह अलकार होता ह अलकार शबद दो शबदो स कमलकर

बना ह- अलम + कार यहा अलम का अथा ह- भषर इस परकार जो भकषत करता ह वह अलकार ह

4

िसकत आचायो दवारा परसतत पररभाषाए -

भारतीय साकहतय म ससकत आचायो न अलकार को पररभाकषत करन का परयास ककया ह

भामह क अनसार - वकराकभधय शबदोककतररषटावाचामलककत अथाात शबद और अथा क वकचतरय को अलकार

कहत ह

दडी क अनसार - कावयशोभाकरान धमाान अलकारान परचकषत अथाात अलकार कावय क शोभाकर धमा ह

वामन क अनसार - कावयशोभाया कताारो धमाा गरा दकतशय हतवसतवलकारा अथाात कावय का शोभाकारक

धमा गर ह और अलकार उस अकतशयता परदान करता ह ककत अनय सथल पर व अलकार को सौदया का पयाावाची

बता दत ह यथा ndash सौदयामलकारा कावय गरहययमलकारात अथाात वयापक रप म सौदया माि को अलकार कहत

ह और उसी स कावय गरहर ककया जाता ह

13 अलकार क परकार

अलकार मखयतः दो परकार क होत ह -

1 शबदालकार 2 अथाालकार

1 शबदालकार - जहाा शबदो का सहारा लकर सौदया को बढ़ाया जाता ह अथाात शबदो स चमतकार उतपनन ककया

जाता ह वहाा शबदालकार होता ह शबदालकार म परयकत शबद का सथान उसका पयाायवाची नही ल सकता

शबदालकार क भद - अनपरास अलकार पनरककत अलकार यमक अलकार शलष अलकार वकरोककत अलकार

वीपसा अलकार आकद

2 अराथलकार - जब अथा क माधयम स कावय म चमतकार उतपनन ककया जाता ह तब अथाालकार होता ह

अथाालकार क भद - उपमा रपक उतपरकषा अकतशयोककत अनयोककत आकद

शबदालकार

अनपराि अलकार ndash अनपरास शबद दो शबदो स कमलकर बना ह अन + परास अन का अथा होता ह बार-बार और

परास का अथा होता ह- वरा अनपरास का अथा ह वसत को अनकरम म रखना इस परकार जहाा ककसी वरा की करम स

अनक बार आवकि हो वहाा अनपरास अलकार होता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह कक कजस रचना म वयजनो

की बार-बार आवकि क कारर चमतकार उतपनन होता ह वहा पर अनपरास अलकार होता ह धवकन क आधार पर

5

इसकी पहचान होती ह इसम लयातमकता होती ह उदाहरर - lsquoतरनी तनजा तट तमाल तरवर बह छायाrsquo

सपषटीकरर ककव भारतद की इस पककत म त वरा की आवकि हई ह अतः यहाा अनपरास अलकार ह

अनपराि अलकार क भद -

(क) छकानपरास (ख) वतयानपरास (ग) लटानपरास (घ) अनतयानपरास (ड) शरतयानपरास

(क) छकानपरास अलकार - छक का अथा ह वाक चातया अथाात वाक स पररपरा एक या एकाकधक वरो क आवकत

को छकानपरास अलकार कहा जाता ह जहा पर अनक वयजनो की एक बार सपषटत एव करमस आवकि की गई हो

वहा छकानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

वनदौ गर पद पदम परागा

िरसच िवाि िरि अनरागा

सपषटीकरर यहा पर स स आकद अनक वयजनो की एक-एक बार आवकि की गई ह उदाहरर ndash

इि करणा कसलत हदय म

कयो सवकल रासगनी बजती ह

उपरोकत पककत म क वरा की आवकि करम स एक बार ह अतः यहा पर छकानपरास अलकार होगा

(ख) वतयानपरास अलकार - जहा पर वतयानपरास वरो की अथवा वरा की अनक बार आवकि की गई हो वहा पर

वतयानपरास अलकार होता ह

उदाहरर ndash

ककन सककनी नभपर धसन िसन

कहत लखन िन राम हदय गसन

सपषटीकरर यहाा पर न नी कन की आवकि ह इस कलए यहाा पर अनपरास अलकार ह

जहा एक या अनक वयजनो की अनक बार सवरपत व कमात आवकि हो तो वहा पर वतयानपरास अलकार होता

ह उदाहरर-

चनदन न चमली को चममच ि चटनी चटाई

(ग) लाटानपरास अलकार - लाट का अथा ह समह | जहा शबद और अथा की समान रप स आवकि की जाती ह ककत

अनवय करन पर उनक अकभपराय म कभननता आ जाती हो वहा लाटानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

पभत कपभत तो कयो धन िचय

6

पभत िपभत तो कयो धन िचय

(घ) अनतयानपरास अलकार - जहा पर पद या पद क अत म सभी पदो म समान सवर और वयजन की आवकि की

जाती ह वहा अनतयानपरास अनपरास अलकार होता ह कहदी भाषा म ऐस पदो को तकात ककवता या तकात पद कहत

ह यह आवकि कयोकक पद क अत म ही होती ह इसकलए इस अनतयानपरास कहत ह उदाहरर -

धीरज धरम समतर अर नारी

आपसि काल परसखए चारी

(ड) शरतयानपरास अलकार - जहा पर मख क एक ही उचचारर सथान स उचचररत होन वाल वयजनो की समानता पाई

जाती ह वहा पर शरतयानपरास अनपरास अलकार होता ह उदाहरर -

जासह जन पर ममता असत छोह

जसह करना करर कीनह न काह

अनपरास अलकार क अनय उदाहरर ndash

1 कर कानन कडल मोर पखा उर प बनमाल कबराजकत ह इस कावय पककत म क वरा की 3 बार और व वरा

की दो बार आवकत होन स चमतकार आ गया ह अत यहा पर अनपरास अलकार होगा

2 सरकभत सदर सखद समन तम पर कखलत ह इस कावय पककत म पास-पास परयकत सरभीत सदर सखद और समन

शबदो म स वरा की वार वार आवकत हई ह आत यहा पर अनपरास अलकार होगा

3 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाय यहा पर त वरा की आवकि बार-बार आ रही ह इसकलए यहा पर अनपरास

अलकार होगा

4 चार चदर की चचल ककरर खल रही थी जल थल म (lsquoचrsquo की आवकि)

5 रघपकत राघव राजा राम (lsquoरrsquo की आवकि)

6 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाए (lsquoतrsquo की आवकि)

7 हमार हरर हाररल की लकरी (lsquoहrsquo की आवकि)

8 पट पीठ दोनो कमलकर ह एक चल रहा लककटया टक

यमक अलकार - कजस परकार अनपरास अलकार म ककसी एक वरा की आवकत होती ह उसी परकार यमक अलकार

म ककसी कावय का सौनदया बढ़ान क कलए एक शबद की बार-बार आवकत होती ह परयोग ककए गए शबद का अथा

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

कला सनातक (सममान) उपाडि काययकरम (हहिदी)

भारतीय कावयशासतर मलपाठ क लखक

इकाई ndash 1 अलिकार डसदाित एिि लकषण िॉ सितोष डिशनोई

सहायक परोफसर

हहिदी डिभाग अगरिाल महाडिदयालय बललबगढ

)फरीदाबाद(

(सिबद - महरषय दयानिद डिशवडिदयालय रोहतक)

इकाई ndash 2 छिद डसदाित एिि लकषण

सिदभीकरण तथा सिसोिन

िॉ एच ए हनगनद

सह परोफसर भाषा डिदयापीठ

म गाि अि हहिदी डिशवदयालय ििाय

अलिकरण

अडभषक कमार हसिह

डशकषण सलाहकार हहिदी डिभाग

ओडिशा राजय मकत डिशवडिदयालय समबलपर

कलसडचि ओडिशा राजय मकत डिशवडिदयालय समबलपर दवारा परकाडशत

मदरण ndash

2

1

इकाई - 1

अलकार सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

10 उददशय

11 परसतावना

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

13 अलकार क परकार

14 िाराश

15 बोध परशन

16 िदभथ गरर

10 उददशय

जो ककसी वसत को अलकत कर वह अलकार कहलाता ह कावय अथवा भाषा को शोभा बनान वाल मनोरजक

ढग को अलकार कहत ह कावयशरीर अथाात भाषा को शबदाथा स ससकजजत तथा सनदर बनानवाल चमतकारपरा

मनोरजक ढग को अलकार कहत ह अलकार का शाकबदक अथा ह lsquoआभषरrsquo मानव समाज सौनदयोपासक ह

उसकी इसी परवकि न अलकारो को जनम कदया ह

कजस परकार सवरा आकद क आभषरो स शरीर की शोभा बढ़ती ह उसी परकार कावय-अलकारो स कावय की ससकत

क अलकार सपरदाय क परकतषठापक आचाया दणडी क शबदो म- lsquoकावय शोभाकरान धमाान अलकारान परचकषतrsquo-

कावय क शोभाकारक धमा (गर) अलकार कहलात ह रस की तरह अलकार का भी ठीक-ठीक लकषर बतलाना

ककठन ह किर भी वयापक और सकीरा अथो म इसकी पररभाषा कनकचचत करन की चषटा की गयी ह कजस परकार

आभषर सवरा स बनत ह उसी परकार अलकार भी सवरा (सनदर वरो) स बनत ह कावयशासतर क परारकभभक काल

म lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग इसी अथा म हआ ह इसक अकतररकत पराचीन काल म इस शबद का एक और अथा

कलया जाता था ससकत म lsquoअलकारrsquo शबद का वयवहार साकहतय क शासतरपकष म हआ ह पहल अलकारशासतर

2

कहन स रस अलकार रीकत कपगल इतयाकद समसत कावयागो का बोध होता था कहनदी म ससकत क ही अनसरर

पर महाककव कशवदास न lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग अपनी lsquoककवकपरयाrsquo म इसी वयापक अथा म ककया ह कावय म

अलकार की महिा कसदध करन वालो म आचाया भामह उदभट दडी और रदरट क नाम कवशष परखयात ह इन आचायो

न कावय म रस को परधानता न द कर अलकार की मानयता दी ह अलकार की पररपाटी बहत परानी ह

कावय-शासतर क परारकभभक काल म अलकारो पर ही कवशष बल कदया गया था कहनदी क आचायो न भी कावय म

अलकारो को कवशष सथान कदया ह जब तक कहनदी म बरजभाषा साकहतय का अकसततव बना रहा तब तक अलकार

का महततव सरककषत रहा आधकनक यग म इस कदशा म लोग उदासीन हो गय ह कावय म रमरीय अथा पद-लाकलतय

उककत-वकचवय और असाधारर भाव-सौनदया की सकषट अलकारो क परयोग स ही होती ह कजस तरह काकमनी की

सौनदया-वकदध क कलए आभषरो की आवशयकता पड़ती ह उसी तरह ककवता-काकमनी की सौनदया-शरी म नय चमतकार

और नय कनखार लान क कलए अलकारो का परयोग अकनवाया हो जाता ह कबना अलकार क ककवता कवधवा ह तो

अलकार ककवता का शरगार उसका सौभागय ह अलकार ककव को सामानय वयककत स अलग करता ह जो कलाकार

होगा वह जान या अनजान म अलकारो का परयोग करगा ही इनका परयोग कवल ककवता तक सीकमत नही वरन

इनका कवसतार गदय म भी दखा जा सकता ह इस कववचन स यह सपषट ह कक अलकार ककवता की शोभा और सौनदया

ह जो शरीर क साथ भाव को भी रप की मादकता परदान करता ह इस इकाई क माधयम स ndash

आप अलकार क अथा सवरप और उसकी कवकभनन पररभाषाओ स पररकचत होग

अलकारो क कवकभनन परकारो को समझन म सकषम होग

अलकारो की कवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

अलकारो क उदाहररो का उललख कर सक ग साथ ही उनकी पररभाषा क कवषय म जञान परापत कर सक ग

11 परसतावना

अलकारो का कावय म कया सथान ह अथवा इसकी कया महिा ह कछ कवदवान इस कावय का कनतयधमा मानत ह और

कछ अकनतयधमा इसको कनतयधमा मानन वाल भगवान वयास दव न lsquolsquoअकगनपरारrsquorsquo म कहा - lsquolsquoअथाालकार-रकहता

कवधवव सरसवतीrsquorsquo अथाात अथाालकारो क कबना सरसवती कवधवा क समान हअलकार क पररक कया होत ह इस

समझन क कलय अलकार क कई अगो को सपशा करना होगा परथमतः अलकार ह कया जस मानव-शरीर सवतः

सनदर होता ह ककनत उसक सौनदया को बढ़ान क कलय आभषराकद का परयोग ककया जाता ह ठीक उसी परकार कावय

3

क सौनदया को बढ़ान क कलय ही अलकारो का परयोग ककया जाता ह तब कावय म शोभा बढ़ान वाल धमो का

समावश होता ह या उनका परयोग होता ह तो व कछ मल पररराओ पर आधाररत होत ह जस

(1) आनतररक उतसाह की अकभवयककत

(2) मनषय की कचरकाल स चली आ रही सौनदया-कपरयता की भावना

(3) एक ही बात को अनक परकार स कहन का ढग कजसक दवारा सनन वाल क मन म चमतकार की सकषट हो

इस बात स इकार नही ककया जा सकता कक अलकार कावय क कलय यकद अपररहाया नही ह तो भी एक अतयनत ही

आवशयक तततव अवशय ठहरत ह कजस परकार आभषर धारर करन स ककसी रमरी की शोभा बढ़ जाती ह ठीक

उसी परकार अलकारो स कावय की शोभा बढ़ जाती ह

कावय म अलकारो का उपयकत सथान कनधााररत करन म तीन बातो का धयान रखना आवशयक होता ह -

(1) अलकारो का परयोग शोभा बढ़ान का साधन ह साधय नही तातपया यह कक अलकारो का परयोग करना ककव का

लकषय नही होना चाकहए कवल इस कारर परयकत अलकार बोकझल ककलषट और असपषट वारी बन जात ह

(2) अलकार परककत सौनदया की ही शोभा बढ़ात ह तातपया यह कक यकद कावय सवय कावयगर स रकहत हो तो

अलकार उसकी शोभा नही बढ़ा सकत अग-भग अथवा शारीररक सौनदया क अभाव म आभषर रमरी की शोभा

नही बढ़ा सकत

(3) अलकार का परयोग सवाभाकवक रप स होना चाकहए ककिम या असवाभाकवक रप स परयकत अलकार कावय

की शोभा नही बढ़ा सकत

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

अलकार का सामानय अथा ह - गहना या आभषर जो दह की शोभा बढ़ात ह कावय सदभा म भी इस शोभा बढ़ान

वाल धमा और ततव क रप म कलया जाता ह कजस परकार आभषर सतरी क सौदया को बढ़ा दत ह उसी परकार

अलकार कावय क सौदया का बढ़ा दत ह भामह क अनसार

न कानतमसप सनभभथष सवभासत वसनता मखम

अथाात नारी का मख सदर होत हए भी आभषरो क कबना शोभा नही दता

अलकरोकत इकत अलकार अथाात जो अलकत करता ह वह अलकार होता ह अलकार शबद दो शबदो स कमलकर

बना ह- अलम + कार यहा अलम का अथा ह- भषर इस परकार जो भकषत करता ह वह अलकार ह

4

िसकत आचायो दवारा परसतत पररभाषाए -

भारतीय साकहतय म ससकत आचायो न अलकार को पररभाकषत करन का परयास ककया ह

भामह क अनसार - वकराकभधय शबदोककतररषटावाचामलककत अथाात शबद और अथा क वकचतरय को अलकार

कहत ह

दडी क अनसार - कावयशोभाकरान धमाान अलकारान परचकषत अथाात अलकार कावय क शोभाकर धमा ह

वामन क अनसार - कावयशोभाया कताारो धमाा गरा दकतशय हतवसतवलकारा अथाात कावय का शोभाकारक

धमा गर ह और अलकार उस अकतशयता परदान करता ह ककत अनय सथल पर व अलकार को सौदया का पयाावाची

बता दत ह यथा ndash सौदयामलकारा कावय गरहययमलकारात अथाात वयापक रप म सौदया माि को अलकार कहत

ह और उसी स कावय गरहर ककया जाता ह

13 अलकार क परकार

अलकार मखयतः दो परकार क होत ह -

1 शबदालकार 2 अथाालकार

1 शबदालकार - जहाा शबदो का सहारा लकर सौदया को बढ़ाया जाता ह अथाात शबदो स चमतकार उतपनन ककया

जाता ह वहाा शबदालकार होता ह शबदालकार म परयकत शबद का सथान उसका पयाायवाची नही ल सकता

शबदालकार क भद - अनपरास अलकार पनरककत अलकार यमक अलकार शलष अलकार वकरोककत अलकार

वीपसा अलकार आकद

2 अराथलकार - जब अथा क माधयम स कावय म चमतकार उतपनन ककया जाता ह तब अथाालकार होता ह

अथाालकार क भद - उपमा रपक उतपरकषा अकतशयोककत अनयोककत आकद

शबदालकार

अनपराि अलकार ndash अनपरास शबद दो शबदो स कमलकर बना ह अन + परास अन का अथा होता ह बार-बार और

परास का अथा होता ह- वरा अनपरास का अथा ह वसत को अनकरम म रखना इस परकार जहाा ककसी वरा की करम स

अनक बार आवकि हो वहाा अनपरास अलकार होता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह कक कजस रचना म वयजनो

की बार-बार आवकि क कारर चमतकार उतपनन होता ह वहा पर अनपरास अलकार होता ह धवकन क आधार पर

5

इसकी पहचान होती ह इसम लयातमकता होती ह उदाहरर - lsquoतरनी तनजा तट तमाल तरवर बह छायाrsquo

सपषटीकरर ककव भारतद की इस पककत म त वरा की आवकि हई ह अतः यहाा अनपरास अलकार ह

अनपराि अलकार क भद -

(क) छकानपरास (ख) वतयानपरास (ग) लटानपरास (घ) अनतयानपरास (ड) शरतयानपरास

(क) छकानपरास अलकार - छक का अथा ह वाक चातया अथाात वाक स पररपरा एक या एकाकधक वरो क आवकत

को छकानपरास अलकार कहा जाता ह जहा पर अनक वयजनो की एक बार सपषटत एव करमस आवकि की गई हो

वहा छकानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

वनदौ गर पद पदम परागा

िरसच िवाि िरि अनरागा

सपषटीकरर यहा पर स स आकद अनक वयजनो की एक-एक बार आवकि की गई ह उदाहरर ndash

इि करणा कसलत हदय म

कयो सवकल रासगनी बजती ह

उपरोकत पककत म क वरा की आवकि करम स एक बार ह अतः यहा पर छकानपरास अलकार होगा

(ख) वतयानपरास अलकार - जहा पर वतयानपरास वरो की अथवा वरा की अनक बार आवकि की गई हो वहा पर

वतयानपरास अलकार होता ह

उदाहरर ndash

ककन सककनी नभपर धसन िसन

कहत लखन िन राम हदय गसन

सपषटीकरर यहाा पर न नी कन की आवकि ह इस कलए यहाा पर अनपरास अलकार ह

जहा एक या अनक वयजनो की अनक बार सवरपत व कमात आवकि हो तो वहा पर वतयानपरास अलकार होता

ह उदाहरर-

चनदन न चमली को चममच ि चटनी चटाई

(ग) लाटानपरास अलकार - लाट का अथा ह समह | जहा शबद और अथा की समान रप स आवकि की जाती ह ककत

अनवय करन पर उनक अकभपराय म कभननता आ जाती हो वहा लाटानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

पभत कपभत तो कयो धन िचय

6

पभत िपभत तो कयो धन िचय

(घ) अनतयानपरास अलकार - जहा पर पद या पद क अत म सभी पदो म समान सवर और वयजन की आवकि की

जाती ह वहा अनतयानपरास अनपरास अलकार होता ह कहदी भाषा म ऐस पदो को तकात ककवता या तकात पद कहत

ह यह आवकि कयोकक पद क अत म ही होती ह इसकलए इस अनतयानपरास कहत ह उदाहरर -

धीरज धरम समतर अर नारी

आपसि काल परसखए चारी

(ड) शरतयानपरास अलकार - जहा पर मख क एक ही उचचारर सथान स उचचररत होन वाल वयजनो की समानता पाई

जाती ह वहा पर शरतयानपरास अनपरास अलकार होता ह उदाहरर -

जासह जन पर ममता असत छोह

जसह करना करर कीनह न काह

अनपरास अलकार क अनय उदाहरर ndash

1 कर कानन कडल मोर पखा उर प बनमाल कबराजकत ह इस कावय पककत म क वरा की 3 बार और व वरा

की दो बार आवकत होन स चमतकार आ गया ह अत यहा पर अनपरास अलकार होगा

2 सरकभत सदर सखद समन तम पर कखलत ह इस कावय पककत म पास-पास परयकत सरभीत सदर सखद और समन

शबदो म स वरा की वार वार आवकत हई ह आत यहा पर अनपरास अलकार होगा

3 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाय यहा पर त वरा की आवकि बार-बार आ रही ह इसकलए यहा पर अनपरास

अलकार होगा

4 चार चदर की चचल ककरर खल रही थी जल थल म (lsquoचrsquo की आवकि)

5 रघपकत राघव राजा राम (lsquoरrsquo की आवकि)

6 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाए (lsquoतrsquo की आवकि)

7 हमार हरर हाररल की लकरी (lsquoहrsquo की आवकि)

8 पट पीठ दोनो कमलकर ह एक चल रहा लककटया टक

यमक अलकार - कजस परकार अनपरास अलकार म ककसी एक वरा की आवकत होती ह उसी परकार यमक अलकार

म ककसी कावय का सौनदया बढ़ान क कलए एक शबद की बार-बार आवकत होती ह परयोग ककए गए शबद का अथा

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

1

इकाई - 1

अलकार सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

10 उददशय

11 परसतावना

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

13 अलकार क परकार

14 िाराश

15 बोध परशन

16 िदभथ गरर

10 उददशय

जो ककसी वसत को अलकत कर वह अलकार कहलाता ह कावय अथवा भाषा को शोभा बनान वाल मनोरजक

ढग को अलकार कहत ह कावयशरीर अथाात भाषा को शबदाथा स ससकजजत तथा सनदर बनानवाल चमतकारपरा

मनोरजक ढग को अलकार कहत ह अलकार का शाकबदक अथा ह lsquoआभषरrsquo मानव समाज सौनदयोपासक ह

उसकी इसी परवकि न अलकारो को जनम कदया ह

कजस परकार सवरा आकद क आभषरो स शरीर की शोभा बढ़ती ह उसी परकार कावय-अलकारो स कावय की ससकत

क अलकार सपरदाय क परकतषठापक आचाया दणडी क शबदो म- lsquoकावय शोभाकरान धमाान अलकारान परचकषतrsquo-

कावय क शोभाकारक धमा (गर) अलकार कहलात ह रस की तरह अलकार का भी ठीक-ठीक लकषर बतलाना

ककठन ह किर भी वयापक और सकीरा अथो म इसकी पररभाषा कनकचचत करन की चषटा की गयी ह कजस परकार

आभषर सवरा स बनत ह उसी परकार अलकार भी सवरा (सनदर वरो) स बनत ह कावयशासतर क परारकभभक काल

म lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग इसी अथा म हआ ह इसक अकतररकत पराचीन काल म इस शबद का एक और अथा

कलया जाता था ससकत म lsquoअलकारrsquo शबद का वयवहार साकहतय क शासतरपकष म हआ ह पहल अलकारशासतर

2

कहन स रस अलकार रीकत कपगल इतयाकद समसत कावयागो का बोध होता था कहनदी म ससकत क ही अनसरर

पर महाककव कशवदास न lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग अपनी lsquoककवकपरयाrsquo म इसी वयापक अथा म ककया ह कावय म

अलकार की महिा कसदध करन वालो म आचाया भामह उदभट दडी और रदरट क नाम कवशष परखयात ह इन आचायो

न कावय म रस को परधानता न द कर अलकार की मानयता दी ह अलकार की पररपाटी बहत परानी ह

कावय-शासतर क परारकभभक काल म अलकारो पर ही कवशष बल कदया गया था कहनदी क आचायो न भी कावय म

अलकारो को कवशष सथान कदया ह जब तक कहनदी म बरजभाषा साकहतय का अकसततव बना रहा तब तक अलकार

का महततव सरककषत रहा आधकनक यग म इस कदशा म लोग उदासीन हो गय ह कावय म रमरीय अथा पद-लाकलतय

उककत-वकचवय और असाधारर भाव-सौनदया की सकषट अलकारो क परयोग स ही होती ह कजस तरह काकमनी की

सौनदया-वकदध क कलए आभषरो की आवशयकता पड़ती ह उसी तरह ककवता-काकमनी की सौनदया-शरी म नय चमतकार

और नय कनखार लान क कलए अलकारो का परयोग अकनवाया हो जाता ह कबना अलकार क ककवता कवधवा ह तो

अलकार ककवता का शरगार उसका सौभागय ह अलकार ककव को सामानय वयककत स अलग करता ह जो कलाकार

होगा वह जान या अनजान म अलकारो का परयोग करगा ही इनका परयोग कवल ककवता तक सीकमत नही वरन

इनका कवसतार गदय म भी दखा जा सकता ह इस कववचन स यह सपषट ह कक अलकार ककवता की शोभा और सौनदया

ह जो शरीर क साथ भाव को भी रप की मादकता परदान करता ह इस इकाई क माधयम स ndash

आप अलकार क अथा सवरप और उसकी कवकभनन पररभाषाओ स पररकचत होग

अलकारो क कवकभनन परकारो को समझन म सकषम होग

अलकारो की कवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

अलकारो क उदाहररो का उललख कर सक ग साथ ही उनकी पररभाषा क कवषय म जञान परापत कर सक ग

11 परसतावना

अलकारो का कावय म कया सथान ह अथवा इसकी कया महिा ह कछ कवदवान इस कावय का कनतयधमा मानत ह और

कछ अकनतयधमा इसको कनतयधमा मानन वाल भगवान वयास दव न lsquolsquoअकगनपरारrsquorsquo म कहा - lsquolsquoअथाालकार-रकहता

कवधवव सरसवतीrsquorsquo अथाात अथाालकारो क कबना सरसवती कवधवा क समान हअलकार क पररक कया होत ह इस

समझन क कलय अलकार क कई अगो को सपशा करना होगा परथमतः अलकार ह कया जस मानव-शरीर सवतः

सनदर होता ह ककनत उसक सौनदया को बढ़ान क कलय आभषराकद का परयोग ककया जाता ह ठीक उसी परकार कावय

3

क सौनदया को बढ़ान क कलय ही अलकारो का परयोग ककया जाता ह तब कावय म शोभा बढ़ान वाल धमो का

समावश होता ह या उनका परयोग होता ह तो व कछ मल पररराओ पर आधाररत होत ह जस

(1) आनतररक उतसाह की अकभवयककत

(2) मनषय की कचरकाल स चली आ रही सौनदया-कपरयता की भावना

(3) एक ही बात को अनक परकार स कहन का ढग कजसक दवारा सनन वाल क मन म चमतकार की सकषट हो

इस बात स इकार नही ककया जा सकता कक अलकार कावय क कलय यकद अपररहाया नही ह तो भी एक अतयनत ही

आवशयक तततव अवशय ठहरत ह कजस परकार आभषर धारर करन स ककसी रमरी की शोभा बढ़ जाती ह ठीक

उसी परकार अलकारो स कावय की शोभा बढ़ जाती ह

कावय म अलकारो का उपयकत सथान कनधााररत करन म तीन बातो का धयान रखना आवशयक होता ह -

(1) अलकारो का परयोग शोभा बढ़ान का साधन ह साधय नही तातपया यह कक अलकारो का परयोग करना ककव का

लकषय नही होना चाकहए कवल इस कारर परयकत अलकार बोकझल ककलषट और असपषट वारी बन जात ह

(2) अलकार परककत सौनदया की ही शोभा बढ़ात ह तातपया यह कक यकद कावय सवय कावयगर स रकहत हो तो

अलकार उसकी शोभा नही बढ़ा सकत अग-भग अथवा शारीररक सौनदया क अभाव म आभषर रमरी की शोभा

नही बढ़ा सकत

(3) अलकार का परयोग सवाभाकवक रप स होना चाकहए ककिम या असवाभाकवक रप स परयकत अलकार कावय

की शोभा नही बढ़ा सकत

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

अलकार का सामानय अथा ह - गहना या आभषर जो दह की शोभा बढ़ात ह कावय सदभा म भी इस शोभा बढ़ान

वाल धमा और ततव क रप म कलया जाता ह कजस परकार आभषर सतरी क सौदया को बढ़ा दत ह उसी परकार

अलकार कावय क सौदया का बढ़ा दत ह भामह क अनसार

न कानतमसप सनभभथष सवभासत वसनता मखम

अथाात नारी का मख सदर होत हए भी आभषरो क कबना शोभा नही दता

अलकरोकत इकत अलकार अथाात जो अलकत करता ह वह अलकार होता ह अलकार शबद दो शबदो स कमलकर

बना ह- अलम + कार यहा अलम का अथा ह- भषर इस परकार जो भकषत करता ह वह अलकार ह

4

िसकत आचायो दवारा परसतत पररभाषाए -

भारतीय साकहतय म ससकत आचायो न अलकार को पररभाकषत करन का परयास ककया ह

भामह क अनसार - वकराकभधय शबदोककतररषटावाचामलककत अथाात शबद और अथा क वकचतरय को अलकार

कहत ह

दडी क अनसार - कावयशोभाकरान धमाान अलकारान परचकषत अथाात अलकार कावय क शोभाकर धमा ह

वामन क अनसार - कावयशोभाया कताारो धमाा गरा दकतशय हतवसतवलकारा अथाात कावय का शोभाकारक

धमा गर ह और अलकार उस अकतशयता परदान करता ह ककत अनय सथल पर व अलकार को सौदया का पयाावाची

बता दत ह यथा ndash सौदयामलकारा कावय गरहययमलकारात अथाात वयापक रप म सौदया माि को अलकार कहत

ह और उसी स कावय गरहर ककया जाता ह

13 अलकार क परकार

अलकार मखयतः दो परकार क होत ह -

1 शबदालकार 2 अथाालकार

1 शबदालकार - जहाा शबदो का सहारा लकर सौदया को बढ़ाया जाता ह अथाात शबदो स चमतकार उतपनन ककया

जाता ह वहाा शबदालकार होता ह शबदालकार म परयकत शबद का सथान उसका पयाायवाची नही ल सकता

शबदालकार क भद - अनपरास अलकार पनरककत अलकार यमक अलकार शलष अलकार वकरोककत अलकार

वीपसा अलकार आकद

2 अराथलकार - जब अथा क माधयम स कावय म चमतकार उतपनन ककया जाता ह तब अथाालकार होता ह

अथाालकार क भद - उपमा रपक उतपरकषा अकतशयोककत अनयोककत आकद

शबदालकार

अनपराि अलकार ndash अनपरास शबद दो शबदो स कमलकर बना ह अन + परास अन का अथा होता ह बार-बार और

परास का अथा होता ह- वरा अनपरास का अथा ह वसत को अनकरम म रखना इस परकार जहाा ककसी वरा की करम स

अनक बार आवकि हो वहाा अनपरास अलकार होता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह कक कजस रचना म वयजनो

की बार-बार आवकि क कारर चमतकार उतपनन होता ह वहा पर अनपरास अलकार होता ह धवकन क आधार पर

5

इसकी पहचान होती ह इसम लयातमकता होती ह उदाहरर - lsquoतरनी तनजा तट तमाल तरवर बह छायाrsquo

सपषटीकरर ककव भारतद की इस पककत म त वरा की आवकि हई ह अतः यहाा अनपरास अलकार ह

अनपराि अलकार क भद -

(क) छकानपरास (ख) वतयानपरास (ग) लटानपरास (घ) अनतयानपरास (ड) शरतयानपरास

(क) छकानपरास अलकार - छक का अथा ह वाक चातया अथाात वाक स पररपरा एक या एकाकधक वरो क आवकत

को छकानपरास अलकार कहा जाता ह जहा पर अनक वयजनो की एक बार सपषटत एव करमस आवकि की गई हो

वहा छकानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

वनदौ गर पद पदम परागा

िरसच िवाि िरि अनरागा

सपषटीकरर यहा पर स स आकद अनक वयजनो की एक-एक बार आवकि की गई ह उदाहरर ndash

इि करणा कसलत हदय म

कयो सवकल रासगनी बजती ह

उपरोकत पककत म क वरा की आवकि करम स एक बार ह अतः यहा पर छकानपरास अलकार होगा

(ख) वतयानपरास अलकार - जहा पर वतयानपरास वरो की अथवा वरा की अनक बार आवकि की गई हो वहा पर

वतयानपरास अलकार होता ह

उदाहरर ndash

ककन सककनी नभपर धसन िसन

कहत लखन िन राम हदय गसन

सपषटीकरर यहाा पर न नी कन की आवकि ह इस कलए यहाा पर अनपरास अलकार ह

जहा एक या अनक वयजनो की अनक बार सवरपत व कमात आवकि हो तो वहा पर वतयानपरास अलकार होता

ह उदाहरर-

चनदन न चमली को चममच ि चटनी चटाई

(ग) लाटानपरास अलकार - लाट का अथा ह समह | जहा शबद और अथा की समान रप स आवकि की जाती ह ककत

अनवय करन पर उनक अकभपराय म कभननता आ जाती हो वहा लाटानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

पभत कपभत तो कयो धन िचय

6

पभत िपभत तो कयो धन िचय

(घ) अनतयानपरास अलकार - जहा पर पद या पद क अत म सभी पदो म समान सवर और वयजन की आवकि की

जाती ह वहा अनतयानपरास अनपरास अलकार होता ह कहदी भाषा म ऐस पदो को तकात ककवता या तकात पद कहत

ह यह आवकि कयोकक पद क अत म ही होती ह इसकलए इस अनतयानपरास कहत ह उदाहरर -

धीरज धरम समतर अर नारी

आपसि काल परसखए चारी

(ड) शरतयानपरास अलकार - जहा पर मख क एक ही उचचारर सथान स उचचररत होन वाल वयजनो की समानता पाई

जाती ह वहा पर शरतयानपरास अनपरास अलकार होता ह उदाहरर -

जासह जन पर ममता असत छोह

जसह करना करर कीनह न काह

अनपरास अलकार क अनय उदाहरर ndash

1 कर कानन कडल मोर पखा उर प बनमाल कबराजकत ह इस कावय पककत म क वरा की 3 बार और व वरा

की दो बार आवकत होन स चमतकार आ गया ह अत यहा पर अनपरास अलकार होगा

2 सरकभत सदर सखद समन तम पर कखलत ह इस कावय पककत म पास-पास परयकत सरभीत सदर सखद और समन

शबदो म स वरा की वार वार आवकत हई ह आत यहा पर अनपरास अलकार होगा

3 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाय यहा पर त वरा की आवकि बार-बार आ रही ह इसकलए यहा पर अनपरास

अलकार होगा

4 चार चदर की चचल ककरर खल रही थी जल थल म (lsquoचrsquo की आवकि)

5 रघपकत राघव राजा राम (lsquoरrsquo की आवकि)

6 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाए (lsquoतrsquo की आवकि)

7 हमार हरर हाररल की लकरी (lsquoहrsquo की आवकि)

8 पट पीठ दोनो कमलकर ह एक चल रहा लककटया टक

यमक अलकार - कजस परकार अनपरास अलकार म ककसी एक वरा की आवकत होती ह उसी परकार यमक अलकार

म ककसी कावय का सौनदया बढ़ान क कलए एक शबद की बार-बार आवकत होती ह परयोग ककए गए शबद का अथा

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

2

कहन स रस अलकार रीकत कपगल इतयाकद समसत कावयागो का बोध होता था कहनदी म ससकत क ही अनसरर

पर महाककव कशवदास न lsquoअलकारrsquo शबद का परयोग अपनी lsquoककवकपरयाrsquo म इसी वयापक अथा म ककया ह कावय म

अलकार की महिा कसदध करन वालो म आचाया भामह उदभट दडी और रदरट क नाम कवशष परखयात ह इन आचायो

न कावय म रस को परधानता न द कर अलकार की मानयता दी ह अलकार की पररपाटी बहत परानी ह

कावय-शासतर क परारकभभक काल म अलकारो पर ही कवशष बल कदया गया था कहनदी क आचायो न भी कावय म

अलकारो को कवशष सथान कदया ह जब तक कहनदी म बरजभाषा साकहतय का अकसततव बना रहा तब तक अलकार

का महततव सरककषत रहा आधकनक यग म इस कदशा म लोग उदासीन हो गय ह कावय म रमरीय अथा पद-लाकलतय

उककत-वकचवय और असाधारर भाव-सौनदया की सकषट अलकारो क परयोग स ही होती ह कजस तरह काकमनी की

सौनदया-वकदध क कलए आभषरो की आवशयकता पड़ती ह उसी तरह ककवता-काकमनी की सौनदया-शरी म नय चमतकार

और नय कनखार लान क कलए अलकारो का परयोग अकनवाया हो जाता ह कबना अलकार क ककवता कवधवा ह तो

अलकार ककवता का शरगार उसका सौभागय ह अलकार ककव को सामानय वयककत स अलग करता ह जो कलाकार

होगा वह जान या अनजान म अलकारो का परयोग करगा ही इनका परयोग कवल ककवता तक सीकमत नही वरन

इनका कवसतार गदय म भी दखा जा सकता ह इस कववचन स यह सपषट ह कक अलकार ककवता की शोभा और सौनदया

ह जो शरीर क साथ भाव को भी रप की मादकता परदान करता ह इस इकाई क माधयम स ndash

आप अलकार क अथा सवरप और उसकी कवकभनन पररभाषाओ स पररकचत होग

अलकारो क कवकभनन परकारो को समझन म सकषम होग

अलकारो की कवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

अलकारो क उदाहररो का उललख कर सक ग साथ ही उनकी पररभाषा क कवषय म जञान परापत कर सक ग

11 परसतावना

अलकारो का कावय म कया सथान ह अथवा इसकी कया महिा ह कछ कवदवान इस कावय का कनतयधमा मानत ह और

कछ अकनतयधमा इसको कनतयधमा मानन वाल भगवान वयास दव न lsquolsquoअकगनपरारrsquorsquo म कहा - lsquolsquoअथाालकार-रकहता

कवधवव सरसवतीrsquorsquo अथाात अथाालकारो क कबना सरसवती कवधवा क समान हअलकार क पररक कया होत ह इस

समझन क कलय अलकार क कई अगो को सपशा करना होगा परथमतः अलकार ह कया जस मानव-शरीर सवतः

सनदर होता ह ककनत उसक सौनदया को बढ़ान क कलय आभषराकद का परयोग ककया जाता ह ठीक उसी परकार कावय

3

क सौनदया को बढ़ान क कलय ही अलकारो का परयोग ककया जाता ह तब कावय म शोभा बढ़ान वाल धमो का

समावश होता ह या उनका परयोग होता ह तो व कछ मल पररराओ पर आधाररत होत ह जस

(1) आनतररक उतसाह की अकभवयककत

(2) मनषय की कचरकाल स चली आ रही सौनदया-कपरयता की भावना

(3) एक ही बात को अनक परकार स कहन का ढग कजसक दवारा सनन वाल क मन म चमतकार की सकषट हो

इस बात स इकार नही ककया जा सकता कक अलकार कावय क कलय यकद अपररहाया नही ह तो भी एक अतयनत ही

आवशयक तततव अवशय ठहरत ह कजस परकार आभषर धारर करन स ककसी रमरी की शोभा बढ़ जाती ह ठीक

उसी परकार अलकारो स कावय की शोभा बढ़ जाती ह

कावय म अलकारो का उपयकत सथान कनधााररत करन म तीन बातो का धयान रखना आवशयक होता ह -

(1) अलकारो का परयोग शोभा बढ़ान का साधन ह साधय नही तातपया यह कक अलकारो का परयोग करना ककव का

लकषय नही होना चाकहए कवल इस कारर परयकत अलकार बोकझल ककलषट और असपषट वारी बन जात ह

(2) अलकार परककत सौनदया की ही शोभा बढ़ात ह तातपया यह कक यकद कावय सवय कावयगर स रकहत हो तो

अलकार उसकी शोभा नही बढ़ा सकत अग-भग अथवा शारीररक सौनदया क अभाव म आभषर रमरी की शोभा

नही बढ़ा सकत

(3) अलकार का परयोग सवाभाकवक रप स होना चाकहए ककिम या असवाभाकवक रप स परयकत अलकार कावय

की शोभा नही बढ़ा सकत

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

अलकार का सामानय अथा ह - गहना या आभषर जो दह की शोभा बढ़ात ह कावय सदभा म भी इस शोभा बढ़ान

वाल धमा और ततव क रप म कलया जाता ह कजस परकार आभषर सतरी क सौदया को बढ़ा दत ह उसी परकार

अलकार कावय क सौदया का बढ़ा दत ह भामह क अनसार

न कानतमसप सनभभथष सवभासत वसनता मखम

अथाात नारी का मख सदर होत हए भी आभषरो क कबना शोभा नही दता

अलकरोकत इकत अलकार अथाात जो अलकत करता ह वह अलकार होता ह अलकार शबद दो शबदो स कमलकर

बना ह- अलम + कार यहा अलम का अथा ह- भषर इस परकार जो भकषत करता ह वह अलकार ह

4

िसकत आचायो दवारा परसतत पररभाषाए -

भारतीय साकहतय म ससकत आचायो न अलकार को पररभाकषत करन का परयास ककया ह

भामह क अनसार - वकराकभधय शबदोककतररषटावाचामलककत अथाात शबद और अथा क वकचतरय को अलकार

कहत ह

दडी क अनसार - कावयशोभाकरान धमाान अलकारान परचकषत अथाात अलकार कावय क शोभाकर धमा ह

वामन क अनसार - कावयशोभाया कताारो धमाा गरा दकतशय हतवसतवलकारा अथाात कावय का शोभाकारक

धमा गर ह और अलकार उस अकतशयता परदान करता ह ककत अनय सथल पर व अलकार को सौदया का पयाावाची

बता दत ह यथा ndash सौदयामलकारा कावय गरहययमलकारात अथाात वयापक रप म सौदया माि को अलकार कहत

ह और उसी स कावय गरहर ककया जाता ह

13 अलकार क परकार

अलकार मखयतः दो परकार क होत ह -

1 शबदालकार 2 अथाालकार

1 शबदालकार - जहाा शबदो का सहारा लकर सौदया को बढ़ाया जाता ह अथाात शबदो स चमतकार उतपनन ककया

जाता ह वहाा शबदालकार होता ह शबदालकार म परयकत शबद का सथान उसका पयाायवाची नही ल सकता

शबदालकार क भद - अनपरास अलकार पनरककत अलकार यमक अलकार शलष अलकार वकरोककत अलकार

वीपसा अलकार आकद

2 अराथलकार - जब अथा क माधयम स कावय म चमतकार उतपनन ककया जाता ह तब अथाालकार होता ह

अथाालकार क भद - उपमा रपक उतपरकषा अकतशयोककत अनयोककत आकद

शबदालकार

अनपराि अलकार ndash अनपरास शबद दो शबदो स कमलकर बना ह अन + परास अन का अथा होता ह बार-बार और

परास का अथा होता ह- वरा अनपरास का अथा ह वसत को अनकरम म रखना इस परकार जहाा ककसी वरा की करम स

अनक बार आवकि हो वहाा अनपरास अलकार होता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह कक कजस रचना म वयजनो

की बार-बार आवकि क कारर चमतकार उतपनन होता ह वहा पर अनपरास अलकार होता ह धवकन क आधार पर

5

इसकी पहचान होती ह इसम लयातमकता होती ह उदाहरर - lsquoतरनी तनजा तट तमाल तरवर बह छायाrsquo

सपषटीकरर ककव भारतद की इस पककत म त वरा की आवकि हई ह अतः यहाा अनपरास अलकार ह

अनपराि अलकार क भद -

(क) छकानपरास (ख) वतयानपरास (ग) लटानपरास (घ) अनतयानपरास (ड) शरतयानपरास

(क) छकानपरास अलकार - छक का अथा ह वाक चातया अथाात वाक स पररपरा एक या एकाकधक वरो क आवकत

को छकानपरास अलकार कहा जाता ह जहा पर अनक वयजनो की एक बार सपषटत एव करमस आवकि की गई हो

वहा छकानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

वनदौ गर पद पदम परागा

िरसच िवाि िरि अनरागा

सपषटीकरर यहा पर स स आकद अनक वयजनो की एक-एक बार आवकि की गई ह उदाहरर ndash

इि करणा कसलत हदय म

कयो सवकल रासगनी बजती ह

उपरोकत पककत म क वरा की आवकि करम स एक बार ह अतः यहा पर छकानपरास अलकार होगा

(ख) वतयानपरास अलकार - जहा पर वतयानपरास वरो की अथवा वरा की अनक बार आवकि की गई हो वहा पर

वतयानपरास अलकार होता ह

उदाहरर ndash

ककन सककनी नभपर धसन िसन

कहत लखन िन राम हदय गसन

सपषटीकरर यहाा पर न नी कन की आवकि ह इस कलए यहाा पर अनपरास अलकार ह

जहा एक या अनक वयजनो की अनक बार सवरपत व कमात आवकि हो तो वहा पर वतयानपरास अलकार होता

ह उदाहरर-

चनदन न चमली को चममच ि चटनी चटाई

(ग) लाटानपरास अलकार - लाट का अथा ह समह | जहा शबद और अथा की समान रप स आवकि की जाती ह ककत

अनवय करन पर उनक अकभपराय म कभननता आ जाती हो वहा लाटानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

पभत कपभत तो कयो धन िचय

6

पभत िपभत तो कयो धन िचय

(घ) अनतयानपरास अलकार - जहा पर पद या पद क अत म सभी पदो म समान सवर और वयजन की आवकि की

जाती ह वहा अनतयानपरास अनपरास अलकार होता ह कहदी भाषा म ऐस पदो को तकात ककवता या तकात पद कहत

ह यह आवकि कयोकक पद क अत म ही होती ह इसकलए इस अनतयानपरास कहत ह उदाहरर -

धीरज धरम समतर अर नारी

आपसि काल परसखए चारी

(ड) शरतयानपरास अलकार - जहा पर मख क एक ही उचचारर सथान स उचचररत होन वाल वयजनो की समानता पाई

जाती ह वहा पर शरतयानपरास अनपरास अलकार होता ह उदाहरर -

जासह जन पर ममता असत छोह

जसह करना करर कीनह न काह

अनपरास अलकार क अनय उदाहरर ndash

1 कर कानन कडल मोर पखा उर प बनमाल कबराजकत ह इस कावय पककत म क वरा की 3 बार और व वरा

की दो बार आवकत होन स चमतकार आ गया ह अत यहा पर अनपरास अलकार होगा

2 सरकभत सदर सखद समन तम पर कखलत ह इस कावय पककत म पास-पास परयकत सरभीत सदर सखद और समन

शबदो म स वरा की वार वार आवकत हई ह आत यहा पर अनपरास अलकार होगा

3 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाय यहा पर त वरा की आवकि बार-बार आ रही ह इसकलए यहा पर अनपरास

अलकार होगा

4 चार चदर की चचल ककरर खल रही थी जल थल म (lsquoचrsquo की आवकि)

5 रघपकत राघव राजा राम (lsquoरrsquo की आवकि)

6 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाए (lsquoतrsquo की आवकि)

7 हमार हरर हाररल की लकरी (lsquoहrsquo की आवकि)

8 पट पीठ दोनो कमलकर ह एक चल रहा लककटया टक

यमक अलकार - कजस परकार अनपरास अलकार म ककसी एक वरा की आवकत होती ह उसी परकार यमक अलकार

म ककसी कावय का सौनदया बढ़ान क कलए एक शबद की बार-बार आवकत होती ह परयोग ककए गए शबद का अथा

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

3

क सौनदया को बढ़ान क कलय ही अलकारो का परयोग ककया जाता ह तब कावय म शोभा बढ़ान वाल धमो का

समावश होता ह या उनका परयोग होता ह तो व कछ मल पररराओ पर आधाररत होत ह जस

(1) आनतररक उतसाह की अकभवयककत

(2) मनषय की कचरकाल स चली आ रही सौनदया-कपरयता की भावना

(3) एक ही बात को अनक परकार स कहन का ढग कजसक दवारा सनन वाल क मन म चमतकार की सकषट हो

इस बात स इकार नही ककया जा सकता कक अलकार कावय क कलय यकद अपररहाया नही ह तो भी एक अतयनत ही

आवशयक तततव अवशय ठहरत ह कजस परकार आभषर धारर करन स ककसी रमरी की शोभा बढ़ जाती ह ठीक

उसी परकार अलकारो स कावय की शोभा बढ़ जाती ह

कावय म अलकारो का उपयकत सथान कनधााररत करन म तीन बातो का धयान रखना आवशयक होता ह -

(1) अलकारो का परयोग शोभा बढ़ान का साधन ह साधय नही तातपया यह कक अलकारो का परयोग करना ककव का

लकषय नही होना चाकहए कवल इस कारर परयकत अलकार बोकझल ककलषट और असपषट वारी बन जात ह

(2) अलकार परककत सौनदया की ही शोभा बढ़ात ह तातपया यह कक यकद कावय सवय कावयगर स रकहत हो तो

अलकार उसकी शोभा नही बढ़ा सकत अग-भग अथवा शारीररक सौनदया क अभाव म आभषर रमरी की शोभा

नही बढ़ा सकत

(3) अलकार का परयोग सवाभाकवक रप स होना चाकहए ककिम या असवाभाकवक रप स परयकत अलकार कावय

की शोभा नही बढ़ा सकत

12 अलकार क अरथ एव पररभाषा

अलकार का सामानय अथा ह - गहना या आभषर जो दह की शोभा बढ़ात ह कावय सदभा म भी इस शोभा बढ़ान

वाल धमा और ततव क रप म कलया जाता ह कजस परकार आभषर सतरी क सौदया को बढ़ा दत ह उसी परकार

अलकार कावय क सौदया का बढ़ा दत ह भामह क अनसार

न कानतमसप सनभभथष सवभासत वसनता मखम

अथाात नारी का मख सदर होत हए भी आभषरो क कबना शोभा नही दता

अलकरोकत इकत अलकार अथाात जो अलकत करता ह वह अलकार होता ह अलकार शबद दो शबदो स कमलकर

बना ह- अलम + कार यहा अलम का अथा ह- भषर इस परकार जो भकषत करता ह वह अलकार ह

4

िसकत आचायो दवारा परसतत पररभाषाए -

भारतीय साकहतय म ससकत आचायो न अलकार को पररभाकषत करन का परयास ककया ह

भामह क अनसार - वकराकभधय शबदोककतररषटावाचामलककत अथाात शबद और अथा क वकचतरय को अलकार

कहत ह

दडी क अनसार - कावयशोभाकरान धमाान अलकारान परचकषत अथाात अलकार कावय क शोभाकर धमा ह

वामन क अनसार - कावयशोभाया कताारो धमाा गरा दकतशय हतवसतवलकारा अथाात कावय का शोभाकारक

धमा गर ह और अलकार उस अकतशयता परदान करता ह ककत अनय सथल पर व अलकार को सौदया का पयाावाची

बता दत ह यथा ndash सौदयामलकारा कावय गरहययमलकारात अथाात वयापक रप म सौदया माि को अलकार कहत

ह और उसी स कावय गरहर ककया जाता ह

13 अलकार क परकार

अलकार मखयतः दो परकार क होत ह -

1 शबदालकार 2 अथाालकार

1 शबदालकार - जहाा शबदो का सहारा लकर सौदया को बढ़ाया जाता ह अथाात शबदो स चमतकार उतपनन ककया

जाता ह वहाा शबदालकार होता ह शबदालकार म परयकत शबद का सथान उसका पयाायवाची नही ल सकता

शबदालकार क भद - अनपरास अलकार पनरककत अलकार यमक अलकार शलष अलकार वकरोककत अलकार

वीपसा अलकार आकद

2 अराथलकार - जब अथा क माधयम स कावय म चमतकार उतपनन ककया जाता ह तब अथाालकार होता ह

अथाालकार क भद - उपमा रपक उतपरकषा अकतशयोककत अनयोककत आकद

शबदालकार

अनपराि अलकार ndash अनपरास शबद दो शबदो स कमलकर बना ह अन + परास अन का अथा होता ह बार-बार और

परास का अथा होता ह- वरा अनपरास का अथा ह वसत को अनकरम म रखना इस परकार जहाा ककसी वरा की करम स

अनक बार आवकि हो वहाा अनपरास अलकार होता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह कक कजस रचना म वयजनो

की बार-बार आवकि क कारर चमतकार उतपनन होता ह वहा पर अनपरास अलकार होता ह धवकन क आधार पर

5

इसकी पहचान होती ह इसम लयातमकता होती ह उदाहरर - lsquoतरनी तनजा तट तमाल तरवर बह छायाrsquo

सपषटीकरर ककव भारतद की इस पककत म त वरा की आवकि हई ह अतः यहाा अनपरास अलकार ह

अनपराि अलकार क भद -

(क) छकानपरास (ख) वतयानपरास (ग) लटानपरास (घ) अनतयानपरास (ड) शरतयानपरास

(क) छकानपरास अलकार - छक का अथा ह वाक चातया अथाात वाक स पररपरा एक या एकाकधक वरो क आवकत

को छकानपरास अलकार कहा जाता ह जहा पर अनक वयजनो की एक बार सपषटत एव करमस आवकि की गई हो

वहा छकानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

वनदौ गर पद पदम परागा

िरसच िवाि िरि अनरागा

सपषटीकरर यहा पर स स आकद अनक वयजनो की एक-एक बार आवकि की गई ह उदाहरर ndash

इि करणा कसलत हदय म

कयो सवकल रासगनी बजती ह

उपरोकत पककत म क वरा की आवकि करम स एक बार ह अतः यहा पर छकानपरास अलकार होगा

(ख) वतयानपरास अलकार - जहा पर वतयानपरास वरो की अथवा वरा की अनक बार आवकि की गई हो वहा पर

वतयानपरास अलकार होता ह

उदाहरर ndash

ककन सककनी नभपर धसन िसन

कहत लखन िन राम हदय गसन

सपषटीकरर यहाा पर न नी कन की आवकि ह इस कलए यहाा पर अनपरास अलकार ह

जहा एक या अनक वयजनो की अनक बार सवरपत व कमात आवकि हो तो वहा पर वतयानपरास अलकार होता

ह उदाहरर-

चनदन न चमली को चममच ि चटनी चटाई

(ग) लाटानपरास अलकार - लाट का अथा ह समह | जहा शबद और अथा की समान रप स आवकि की जाती ह ककत

अनवय करन पर उनक अकभपराय म कभननता आ जाती हो वहा लाटानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

पभत कपभत तो कयो धन िचय

6

पभत िपभत तो कयो धन िचय

(घ) अनतयानपरास अलकार - जहा पर पद या पद क अत म सभी पदो म समान सवर और वयजन की आवकि की

जाती ह वहा अनतयानपरास अनपरास अलकार होता ह कहदी भाषा म ऐस पदो को तकात ककवता या तकात पद कहत

ह यह आवकि कयोकक पद क अत म ही होती ह इसकलए इस अनतयानपरास कहत ह उदाहरर -

धीरज धरम समतर अर नारी

आपसि काल परसखए चारी

(ड) शरतयानपरास अलकार - जहा पर मख क एक ही उचचारर सथान स उचचररत होन वाल वयजनो की समानता पाई

जाती ह वहा पर शरतयानपरास अनपरास अलकार होता ह उदाहरर -

जासह जन पर ममता असत छोह

जसह करना करर कीनह न काह

अनपरास अलकार क अनय उदाहरर ndash

1 कर कानन कडल मोर पखा उर प बनमाल कबराजकत ह इस कावय पककत म क वरा की 3 बार और व वरा

की दो बार आवकत होन स चमतकार आ गया ह अत यहा पर अनपरास अलकार होगा

2 सरकभत सदर सखद समन तम पर कखलत ह इस कावय पककत म पास-पास परयकत सरभीत सदर सखद और समन

शबदो म स वरा की वार वार आवकत हई ह आत यहा पर अनपरास अलकार होगा

3 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाय यहा पर त वरा की आवकि बार-बार आ रही ह इसकलए यहा पर अनपरास

अलकार होगा

4 चार चदर की चचल ककरर खल रही थी जल थल म (lsquoचrsquo की आवकि)

5 रघपकत राघव राजा राम (lsquoरrsquo की आवकि)

6 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाए (lsquoतrsquo की आवकि)

7 हमार हरर हाररल की लकरी (lsquoहrsquo की आवकि)

8 पट पीठ दोनो कमलकर ह एक चल रहा लककटया टक

यमक अलकार - कजस परकार अनपरास अलकार म ककसी एक वरा की आवकत होती ह उसी परकार यमक अलकार

म ककसी कावय का सौनदया बढ़ान क कलए एक शबद की बार-बार आवकत होती ह परयोग ककए गए शबद का अथा

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

4

िसकत आचायो दवारा परसतत पररभाषाए -

भारतीय साकहतय म ससकत आचायो न अलकार को पररभाकषत करन का परयास ककया ह

भामह क अनसार - वकराकभधय शबदोककतररषटावाचामलककत अथाात शबद और अथा क वकचतरय को अलकार

कहत ह

दडी क अनसार - कावयशोभाकरान धमाान अलकारान परचकषत अथाात अलकार कावय क शोभाकर धमा ह

वामन क अनसार - कावयशोभाया कताारो धमाा गरा दकतशय हतवसतवलकारा अथाात कावय का शोभाकारक

धमा गर ह और अलकार उस अकतशयता परदान करता ह ककत अनय सथल पर व अलकार को सौदया का पयाावाची

बता दत ह यथा ndash सौदयामलकारा कावय गरहययमलकारात अथाात वयापक रप म सौदया माि को अलकार कहत

ह और उसी स कावय गरहर ककया जाता ह

13 अलकार क परकार

अलकार मखयतः दो परकार क होत ह -

1 शबदालकार 2 अथाालकार

1 शबदालकार - जहाा शबदो का सहारा लकर सौदया को बढ़ाया जाता ह अथाात शबदो स चमतकार उतपनन ककया

जाता ह वहाा शबदालकार होता ह शबदालकार म परयकत शबद का सथान उसका पयाायवाची नही ल सकता

शबदालकार क भद - अनपरास अलकार पनरककत अलकार यमक अलकार शलष अलकार वकरोककत अलकार

वीपसा अलकार आकद

2 अराथलकार - जब अथा क माधयम स कावय म चमतकार उतपनन ककया जाता ह तब अथाालकार होता ह

अथाालकार क भद - उपमा रपक उतपरकषा अकतशयोककत अनयोककत आकद

शबदालकार

अनपराि अलकार ndash अनपरास शबद दो शबदो स कमलकर बना ह अन + परास अन का अथा होता ह बार-बार और

परास का अथा होता ह- वरा अनपरास का अथा ह वसत को अनकरम म रखना इस परकार जहाा ककसी वरा की करम स

अनक बार आवकि हो वहाा अनपरास अलकार होता ह दसर शबदो म हम कह सकत ह कक कजस रचना म वयजनो

की बार-बार आवकि क कारर चमतकार उतपनन होता ह वहा पर अनपरास अलकार होता ह धवकन क आधार पर

5

इसकी पहचान होती ह इसम लयातमकता होती ह उदाहरर - lsquoतरनी तनजा तट तमाल तरवर बह छायाrsquo

सपषटीकरर ककव भारतद की इस पककत म त वरा की आवकि हई ह अतः यहाा अनपरास अलकार ह

अनपराि अलकार क भद -

(क) छकानपरास (ख) वतयानपरास (ग) लटानपरास (घ) अनतयानपरास (ड) शरतयानपरास

(क) छकानपरास अलकार - छक का अथा ह वाक चातया अथाात वाक स पररपरा एक या एकाकधक वरो क आवकत

को छकानपरास अलकार कहा जाता ह जहा पर अनक वयजनो की एक बार सपषटत एव करमस आवकि की गई हो

वहा छकानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

वनदौ गर पद पदम परागा

िरसच िवाि िरि अनरागा

सपषटीकरर यहा पर स स आकद अनक वयजनो की एक-एक बार आवकि की गई ह उदाहरर ndash

इि करणा कसलत हदय म

कयो सवकल रासगनी बजती ह

उपरोकत पककत म क वरा की आवकि करम स एक बार ह अतः यहा पर छकानपरास अलकार होगा

(ख) वतयानपरास अलकार - जहा पर वतयानपरास वरो की अथवा वरा की अनक बार आवकि की गई हो वहा पर

वतयानपरास अलकार होता ह

उदाहरर ndash

ककन सककनी नभपर धसन िसन

कहत लखन िन राम हदय गसन

सपषटीकरर यहाा पर न नी कन की आवकि ह इस कलए यहाा पर अनपरास अलकार ह

जहा एक या अनक वयजनो की अनक बार सवरपत व कमात आवकि हो तो वहा पर वतयानपरास अलकार होता

ह उदाहरर-

चनदन न चमली को चममच ि चटनी चटाई

(ग) लाटानपरास अलकार - लाट का अथा ह समह | जहा शबद और अथा की समान रप स आवकि की जाती ह ककत

अनवय करन पर उनक अकभपराय म कभननता आ जाती हो वहा लाटानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

पभत कपभत तो कयो धन िचय

6

पभत िपभत तो कयो धन िचय

(घ) अनतयानपरास अलकार - जहा पर पद या पद क अत म सभी पदो म समान सवर और वयजन की आवकि की

जाती ह वहा अनतयानपरास अनपरास अलकार होता ह कहदी भाषा म ऐस पदो को तकात ककवता या तकात पद कहत

ह यह आवकि कयोकक पद क अत म ही होती ह इसकलए इस अनतयानपरास कहत ह उदाहरर -

धीरज धरम समतर अर नारी

आपसि काल परसखए चारी

(ड) शरतयानपरास अलकार - जहा पर मख क एक ही उचचारर सथान स उचचररत होन वाल वयजनो की समानता पाई

जाती ह वहा पर शरतयानपरास अनपरास अलकार होता ह उदाहरर -

जासह जन पर ममता असत छोह

जसह करना करर कीनह न काह

अनपरास अलकार क अनय उदाहरर ndash

1 कर कानन कडल मोर पखा उर प बनमाल कबराजकत ह इस कावय पककत म क वरा की 3 बार और व वरा

की दो बार आवकत होन स चमतकार आ गया ह अत यहा पर अनपरास अलकार होगा

2 सरकभत सदर सखद समन तम पर कखलत ह इस कावय पककत म पास-पास परयकत सरभीत सदर सखद और समन

शबदो म स वरा की वार वार आवकत हई ह आत यहा पर अनपरास अलकार होगा

3 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाय यहा पर त वरा की आवकि बार-बार आ रही ह इसकलए यहा पर अनपरास

अलकार होगा

4 चार चदर की चचल ककरर खल रही थी जल थल म (lsquoचrsquo की आवकि)

5 रघपकत राघव राजा राम (lsquoरrsquo की आवकि)

6 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाए (lsquoतrsquo की आवकि)

7 हमार हरर हाररल की लकरी (lsquoहrsquo की आवकि)

8 पट पीठ दोनो कमलकर ह एक चल रहा लककटया टक

यमक अलकार - कजस परकार अनपरास अलकार म ककसी एक वरा की आवकत होती ह उसी परकार यमक अलकार

म ककसी कावय का सौनदया बढ़ान क कलए एक शबद की बार-बार आवकत होती ह परयोग ककए गए शबद का अथा

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

5

इसकी पहचान होती ह इसम लयातमकता होती ह उदाहरर - lsquoतरनी तनजा तट तमाल तरवर बह छायाrsquo

सपषटीकरर ककव भारतद की इस पककत म त वरा की आवकि हई ह अतः यहाा अनपरास अलकार ह

अनपराि अलकार क भद -

(क) छकानपरास (ख) वतयानपरास (ग) लटानपरास (घ) अनतयानपरास (ड) शरतयानपरास

(क) छकानपरास अलकार - छक का अथा ह वाक चातया अथाात वाक स पररपरा एक या एकाकधक वरो क आवकत

को छकानपरास अलकार कहा जाता ह जहा पर अनक वयजनो की एक बार सपषटत एव करमस आवकि की गई हो

वहा छकानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

वनदौ गर पद पदम परागा

िरसच िवाि िरि अनरागा

सपषटीकरर यहा पर स स आकद अनक वयजनो की एक-एक बार आवकि की गई ह उदाहरर ndash

इि करणा कसलत हदय म

कयो सवकल रासगनी बजती ह

उपरोकत पककत म क वरा की आवकि करम स एक बार ह अतः यहा पर छकानपरास अलकार होगा

(ख) वतयानपरास अलकार - जहा पर वतयानपरास वरो की अथवा वरा की अनक बार आवकि की गई हो वहा पर

वतयानपरास अलकार होता ह

उदाहरर ndash

ककन सककनी नभपर धसन िसन

कहत लखन िन राम हदय गसन

सपषटीकरर यहाा पर न नी कन की आवकि ह इस कलए यहाा पर अनपरास अलकार ह

जहा एक या अनक वयजनो की अनक बार सवरपत व कमात आवकि हो तो वहा पर वतयानपरास अलकार होता

ह उदाहरर-

चनदन न चमली को चममच ि चटनी चटाई

(ग) लाटानपरास अलकार - लाट का अथा ह समह | जहा शबद और अथा की समान रप स आवकि की जाती ह ककत

अनवय करन पर उनक अकभपराय म कभननता आ जाती हो वहा लाटानपरास अलकार होता ह उदाहरर -

पभत कपभत तो कयो धन िचय

6

पभत िपभत तो कयो धन िचय

(घ) अनतयानपरास अलकार - जहा पर पद या पद क अत म सभी पदो म समान सवर और वयजन की आवकि की

जाती ह वहा अनतयानपरास अनपरास अलकार होता ह कहदी भाषा म ऐस पदो को तकात ककवता या तकात पद कहत

ह यह आवकि कयोकक पद क अत म ही होती ह इसकलए इस अनतयानपरास कहत ह उदाहरर -

धीरज धरम समतर अर नारी

आपसि काल परसखए चारी

(ड) शरतयानपरास अलकार - जहा पर मख क एक ही उचचारर सथान स उचचररत होन वाल वयजनो की समानता पाई

जाती ह वहा पर शरतयानपरास अनपरास अलकार होता ह उदाहरर -

जासह जन पर ममता असत छोह

जसह करना करर कीनह न काह

अनपरास अलकार क अनय उदाहरर ndash

1 कर कानन कडल मोर पखा उर प बनमाल कबराजकत ह इस कावय पककत म क वरा की 3 बार और व वरा

की दो बार आवकत होन स चमतकार आ गया ह अत यहा पर अनपरास अलकार होगा

2 सरकभत सदर सखद समन तम पर कखलत ह इस कावय पककत म पास-पास परयकत सरभीत सदर सखद और समन

शबदो म स वरा की वार वार आवकत हई ह आत यहा पर अनपरास अलकार होगा

3 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाय यहा पर त वरा की आवकि बार-बार आ रही ह इसकलए यहा पर अनपरास

अलकार होगा

4 चार चदर की चचल ककरर खल रही थी जल थल म (lsquoचrsquo की आवकि)

5 रघपकत राघव राजा राम (lsquoरrsquo की आवकि)

6 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाए (lsquoतrsquo की आवकि)

7 हमार हरर हाररल की लकरी (lsquoहrsquo की आवकि)

8 पट पीठ दोनो कमलकर ह एक चल रहा लककटया टक

यमक अलकार - कजस परकार अनपरास अलकार म ककसी एक वरा की आवकत होती ह उसी परकार यमक अलकार

म ककसी कावय का सौनदया बढ़ान क कलए एक शबद की बार-बार आवकत होती ह परयोग ककए गए शबद का अथा

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

6

पभत िपभत तो कयो धन िचय

(घ) अनतयानपरास अलकार - जहा पर पद या पद क अत म सभी पदो म समान सवर और वयजन की आवकि की

जाती ह वहा अनतयानपरास अनपरास अलकार होता ह कहदी भाषा म ऐस पदो को तकात ककवता या तकात पद कहत

ह यह आवकि कयोकक पद क अत म ही होती ह इसकलए इस अनतयानपरास कहत ह उदाहरर -

धीरज धरम समतर अर नारी

आपसि काल परसखए चारी

(ड) शरतयानपरास अलकार - जहा पर मख क एक ही उचचारर सथान स उचचररत होन वाल वयजनो की समानता पाई

जाती ह वहा पर शरतयानपरास अनपरास अलकार होता ह उदाहरर -

जासह जन पर ममता असत छोह

जसह करना करर कीनह न काह

अनपरास अलकार क अनय उदाहरर ndash

1 कर कानन कडल मोर पखा उर प बनमाल कबराजकत ह इस कावय पककत म क वरा की 3 बार और व वरा

की दो बार आवकत होन स चमतकार आ गया ह अत यहा पर अनपरास अलकार होगा

2 सरकभत सदर सखद समन तम पर कखलत ह इस कावय पककत म पास-पास परयकत सरभीत सदर सखद और समन

शबदो म स वरा की वार वार आवकत हई ह आत यहा पर अनपरास अलकार होगा

3 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाय यहा पर त वरा की आवकि बार-बार आ रही ह इसकलए यहा पर अनपरास

अलकार होगा

4 चार चदर की चचल ककरर खल रही थी जल थल म (lsquoचrsquo की आवकि)

5 रघपकत राघव राजा राम (lsquoरrsquo की आवकि)

6 तरकन तनजा तट तमाल तरवर बह छाए (lsquoतrsquo की आवकि)

7 हमार हरर हाररल की लकरी (lsquoहrsquo की आवकि)

8 पट पीठ दोनो कमलकर ह एक चल रहा लककटया टक

यमक अलकार - कजस परकार अनपरास अलकार म ककसी एक वरा की आवकत होती ह उसी परकार यमक अलकार

म ककसी कावय का सौनदया बढ़ान क कलए एक शबद की बार-बार आवकत होती ह परयोग ककए गए शबद का अथा

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

7

हर बार अलग होता ह शबद की दो बार आवकत होना वाकय का यमक अलकार क अतगात आन क कलए आवशयक

ह जब एक शबद एक स अकधक बार आए तथा उसका अथा अलग-अलग हो तो यमक अलकार होता ह यमक

अलकार क परयोग स ककवता म सदरता आ जाती ह उदाहरर-

कनक कनक त िौ गनी मादकता असधकाय

वा खाए बौराय जग या पाए बौराए

सपषटीकरर - यहाा परथम कनक का अथा धतरा तथा दसर कनक का अथा सोना ह अतः lsquoकनकrsquo शबद का दो बार

परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

यमक अलकार क उदाहरर

1 माला फरत जग गया सफरा न मन का फर

कर का मनका डारर द मन का मनका फर

ऊपर कदए गए पदय म lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग ककया गया ह पहली बार lsquoमनकाrsquo का आशय माला क मोती

स ह और दसरी बार lsquoमनकाrsquo स आशय ह मन की भावनाओ स अतः lsquoमनकाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा

क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

2 कह कसव बनी बनी बयाल की चराई लीनी

जसा की आप दख सकत ह की ऊपर कदए गए वाकय म lsquoबनीrsquo शबद दो बार आया ह दोनो बार इस शबद का अथा

अलग ह पहली बार lsquoबनीrsquo शबद ककव की तरि सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoबनीrsquo शबद चोटी क बार म बता

रहा ह अतः उकत पककतयो म यमक अलकार ह

3 काली घटा का घमड घटा

ऊपर कदए गए वाकय म आप दख सकत ह की lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार lsquoघटाrsquo शबद का

परयोग बादलो क कालरग की और सकत कर रहा ह दसरी बार lsquoघटाrsquo शबद बादलो क कम होन का वरान कर रहा

ह अतः lsquoघटाrsquo शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

4 तीन बर खाती री वह तीन बर खाती ह

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

8

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह lsquoबरrsquo शबद का दो बार परयोग हआ ह पहली बार तीन lsquoबरrsquo

कदन म तीन बार खान की तरि सकत कर रहा ह तथा दसरी बार तीन lsquoबरrsquo का मतलब ह तीन िल अतः lsquoबरrsquo

शबद का दो बार परयोग और कभननाथा क कारर उकत पककतयो म यमक अलकार की छटा कदखती ह

5 ऊच घोर मनदर क अनदर रहन वारी

ऊच घोर मनदर क अनदर रहाती ह

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा ऊा च घोर मदर शबदो की दो बार आवकत की जा रही ह

यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक स ज़यादा बार

आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह अतः यह उदाहरर यमक अलकार

क अतगात आएगा

6 सकिी िोच म हो सवभोर िाि कछ ठडी सखची

सफर झट गलकर सदया सदया को दोनो आख समची

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहा कदया शबद की एक स ज़यादा बार आवकत हो रही ह

पहली बार य शबद हम कदए को बझा दन की ककरया का बोध करा रहा ह दसरी बार यह शबद कदया सजञा का बोध

करा रहा ह यहाा दो बार आवकत होन पर दोनो बार अथा कभनन वयकत हो रहा ह हम जानत ह की जब शबद की एक

स ज़यादा बार आवकत होती ह एव कवकभनन अथा कनकलत ह तो वहाा यमक अलकार होता ह

7 जत तम तार तत नभ म न तार ह

सपषटीकरर ndash यहा तार शबद दो बार आया ह पहल तार का अथा उदधार करना ह जबकक दसर तार का अथा कसतारा

ह अतः यहा यमक अलकार ह

शलष अलकार - शलष स तातपया ह कचपका हआ या कमला हआ जब एक शबद क दो अलग-अलग अथा कनकलत

हो यानी जब ककसी शबद का परयोग एक बार ही ककया जाता ह लककन उसस अथा कई कनकलत ह तो वह शलष

अलकार कहलाता ह उदाहरर -

रसहमन पानी रासखए सबन पानी िब िभन

पानी गय न ऊबर मोती मानि चभन

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

9

सपषटीकरर - इस दोह म रहीम न पानी को तीन अथो म परयोग ककया ह - पानी का पहला अथा मनषय क सदभा म ह

जब इसका मतलब कवनमरता स ह रहीम कह रह ह कक मनषय म हमशा कवनमरता (पानी) होना चाकहए पानी का दसरा

अथा आभा तज या चमक स ह रहीम कहत ह कक चमक क कबना मोती का कोई मलय नही पानी का तीसरा अथा

जल स ह कजस आट (चन) स जोड़कर दशााया गया ह रहीम का कहना ह कक कजस तरह आट का अकसततव पानी क

कबना नमर नही हो सकता और मोती का मलय उसकी आभा क कबना नही हो सकता ह उसी तरह मनषय को भी

अपन वयवहार म हमशा पानी (कवनमरता) रखना चाकहए कजसक कबना उसका मलयहरास होता ह अतः यह उदाहरर

शलष क अतगात आएगा

शलष अलकार क उदाहरर

ज रहीम गसत दीप की कल कपभत गसत िोय

बार उसजयारो कर बढ अघरो होय

जसा कक आप ऊपर उदाहरर म दख सकत ह कक रहीम जी न दोह क दवारा दीय एव कपि क चररि को एक जसा

दशाान की कोकशश की ह रहीम जी कहत ह कक शर म दोनो ही उजाला करत ह लककन बढ़न पर अनधरा हो जाता

ह यहाा बढ शबद स दो कवकभनन अथा कनकल रह ह दीपक क सनदभा म बढ़न का मतलब ह बझ जाना कजसस अनधरा

हो जाता ह कपि क सनदभा म बढ़न स मतलब ह बड़ा हो जाना बड़ होन पर कपि ककमा करता ह कजसस पररवार

म अाधरा छा जात ह एक शबद स ही डो कवकभनन अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

िीधी चलत राह जो रहत िदा सनशक|

जो करत सवपलव उनह lsquoहररrsquo का ह आतक||

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह हरर शबद एक बार परयकत हआ ह लककन उसक दो अथा

कनकलत ह पहला अथा ह बनदर एव दसरा अथा ह भगवान यह दोहा बदरो क सनदभा म भी हो सकता ह एव भगवान

क सनदभा म भी एक सहबद स डो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएगा

जो चाहो चटक न घट मलो होय न समि

रज राजि न छवाइय नह चीकन सचि

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

10

जसा कक आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह कक रज शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला ह अहकार तथा

दसरा धल एक शबद स नही दो अथा कनकल रह ह पहला ह पहला परम एव दसरा तल अतः यह उदाहरर शलष

अलकार क अतगात आएगा

जो घनीभभत पीड़ा री मसतक म समसत िी छाई

दसदथन म आिभ बनकर आज बरिन आई

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा की आप दख सकत ह यहाा घनीभत शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा ह

मनषय क मन म कछ समय स इकटठी पीड़ा जो अब आास क रप म बह कनकली ह दसरा अथा ह मघ बनी हई अथाात

बादल जो कछ कदनो स पानी को इकठठा कर रह थ व अब उस बरसा रह ह इस उदाहरर म दकदान शबद स भी दो

अथा कनकल रह ह पहला अथा ह बर कदन जब पीड़ा की वजह स आास बह रह ह दसरा अथा ह बाररश क कदन जब

बादल कछ कदनो स इकटठ ककय गए पानी को बरसात ह

पी तमहारी मख बाि तरग आज बौर भौर िहकार

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहाा बौर शबद स दो अथा कनकल रह ह पहला अथा भौर क

कलए मसत होना परतीत हआ ह दसरा अथा आम क परसग म परतीत हआ ह यहा आम क मजरी कनकलना बताया

गया ह एक शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात आएग

रावण िर िरोज बनचारी

चसल रघवीर सिलीमख

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कक कसलीमख शबद क दो अथा कनकल रह ह इस शबद का

पहला अथा बार स एव दसरा अथा भरमर स ह इस वाकय म ही शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर

शलष अलकार क अतगात आएगा

मधबन की छाती को दखो िभखी इिकी सकतनी कसलया

ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह ककव दवारा ककल शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया गया ह

ककल का एक मतलब ह िलो की कखलन स पहल की अवसथा एव ककल का दसरा मतलब ह योवन आन स

पहली की अवसथा इस परकार ककल शबद स दो अथा कनकल रह ह अतः यह उदाहरर शलष अलकार क अतगात

आएगा

मरी भव बाधा हरो राधा नागरर िोय

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

11

जा तन की झाई पर शयाम हररत दसत होय

ऊपर कदए गए कावयाश म ककव दवारा हररत शबद का परयोग दो अथा परकट करन क कलए ककया ह यहाा हररत शबद

क अथा ह- हकषात (परसनन होना) और हर रग का होना अतः यह उदाहरर शलष क अतगात आएगा कयोकक एक ही

शबद क दो अथा परकट हो रह ह

वकरोसि अलकार - जब ककसी वाकय म वकता क कथन क अथा स कभनन अथा की कलपना की जाए तो वहा वकरोककत

अलकार होता ह जब सनन वाला अथाात शरोता कहन वाल अथाात वकता की बातो का गलत अथा कनकाल लता ह

वहा वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर -

एक कबभतर दख हार म पभछा कहा पर ह

उिन कहा पर किा उड़ गया िपर ह

सपषटीकरर - यहा जो अपर शबद ह वह वकता न दसर कबतर क कलए परयोग ककया ह ककत शरोता उस अपर अथाात

कबना पर वाला समझता ह और कहता ह अपर कसा उड़ गया सपर ह अथाात जो उड़ गया वो तो सपर था कहन

का तातपया ह उसक तो पर थ

वकरोककत अलकार क भद - (क) काक वकरोककत अलकार (ख) शलष वकरोककत अलकार

(क) काक वकरोककत अलकार - वकता दवारा उचचररत शबदो का उसकी कठ धवकन क कारर जब कोई शरोता

अनय अथा गरहर करता ह तो उस काक वकरोककत अलकार कहत ह उदाहरर -

उिन कहा जाओ मत बठो यहा

मन िना जाओ मत बठो

सपषटीकरर ndash यहा पर उचचारर क कारर वकता न कछ और कहा और शरोता न कछ और समझ कलया वकता न

रकन क कलए कहा जबकक शरोता न समझा कक उस जान क कलए कहा जा रहा अतः उचचारर क कारर वकता

और शरोता दवारा अलग-अलग अथा गरहर ककया गया अर यहा काक वकरोककत अलकार ह

उदाहरर

1 आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह

आय ह मधमास क कपरयतम ऐह नाकह ndash काक वकरोककत

2 अकप गौरवराकलकन माकनकन आज

सधाकसमत कयो बरसाती नही ndash शलष वकरोककत

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

12

3 एक कबतर दख हाथ म पछा कहाा अपर ह

उसन कहा lsquoअपरrsquo कसा वह उड़ गया सपर ह ndash काक वकरोककत

4 कौन दवार पर राध म हरर ndash शलष वकरोककत

(ख) शलष वकरोककत अलकार - जहाा वकता क दवारा उचचररत शबदो का शरोता शलष क कारर अनय अथा गरहर

करता ह वहा शलष वकरोककत अलकार होता ह उदाहरर-

कौन दवार पर राध म हरर

हरर का कया काम यहा

सपषटीकरर ndash यहा पर हरर क दो अथा ह शरी कषर और बदर राधा जी दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक उनहोन

बदर अथा गरहर ककया अथाात उनहोन समझा कक दरवाज पर बदर ह शरी कषर नही अतः यहा पर हरर क दो अथा

होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

को तम हो इत आय कहा

घनशयाम हो तभ सकतभ बरिो

सपषटीकरर ndash यहा पर घनशयाम क दो अथा ह शरी कषर और काल बादल शरोता दवारा शरी कषर अथा गरहर न करक

काल बादल गरहर ककया गया अथाात शरोता न शरी कषर ना समझ कर काल बादल समझा अतः यहा घनशयाम

क दो अथा होन क कारर शलष वकरोककत अलकार ह

उपमा अलकार - जहा गर धमा या ककरया क आधार पर उपमय की तलना उपमान स की जाती ह उपमा अलकार

म एक वसत या परारी कक तलना दसरी परकसदध वसत क साथ की जाती ह वहा उपमा अलकार होता ह

उपमा अलकार क अग -

(क) उपमय अथवा परसतत कजसकी तलना की जाती ह

(ख) उपमान अथवा अपरसतत कजसस तलना की जाती ह

(ग) वाचक शबद अथाात वह शबद कजसस समानता परकट की जाए जस- सा सी सम सररस

(घ) साधारर धमा अथाात वह गर कजसकी समता की की जाती ह

उदाहरर

िागर-िा गभीर हदय हो सगरी-िा ऊचा हो सजिका मन

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

13

उपमय कजस वसत या वयककत क बार म बात की जा रही ह या जो वरान का कवषय ह वो उपमय कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म हदय एव मन उपमय ह

उपमान वाकय या कावय म उपमय की कजस परकसदध वसत स तलना कक जा रही हो वह उपमान कहलाता ह ऊपर

कदए गए उदाहरर म सागर एव कगरी उपमान ह

साधारर धमा साधारर धमा उपमान ओर उपमय म समानता का धमा होता ह अथाात जो गर उपमान ओर उपमय

दोनो म हो कजसस उन दोनो कक तलना कक जा रही ह वही साधारर धमा कहलाता ह ऊपर कदए गए उदाहरर म गभीर

एव ऊा चा साधारर धमा ह

वाचक शबद वाचक शबद वह शबद होता ह कजसक दवारा उपमान और उपमय म समानता कदखाई जाती ह जस

सा ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoसाrsquo वाचक शबद ह

महगाई बढ रही ह सनरतर दरपद िता क चीर िी

बकारी बढ रही ह चीरती अतमथन को तीर िी

सपषटीकरर - यहा पहली उपमा म महगाई उपमय ह दसरी उपमा म बकारी उपमय ह महगाई क कलए दरपद सता क

चीर तथा बकारी क कलए तीर उपमान ह दोनो उपमाओ म दो अलग-अलग वसतओ म समानता का कथन हआ ह

उपमा अलकार क भद -

(क) परोपमा अलकार (ख) लपतोपमा अलकार

(क) परोपमा अलकार - कजसम उपमा क सभी अग होत ह उसम परोपमा अलकार होता ह उदाहरर

पीपर पात िररि मन डोला

(ख) लपतोपमा अलकार - इसम उपमा क सभी अग नही आत ह एक या दो या तीन अग न होन पर इस लपतोपमा

अलकार कहत ह उदाहरर -

कलपना िी असतशय कोमल

सपषटीकरर - इसम उपमय नही ह इसकलए यहा लपतोपमा अलकार ह

उपमा अलकार क उदाहरर ndash

1 हरर पद कोमल कमल

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

14

ऊपर कदए गए उदाहरर म हरर क परो कक तलना कमल क िल स की गयी ह यहाा पर हरर क चररो को कमल क

िल क सामान कोमल बताया गया ह यहाा उपमान एव उपमय म कोई साधारर धमा होन की वजह स तलना की

जा रही ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

2 कर कमल-िा कोमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म कर अथाात हाथ को कमल क सामान कोमल बताया गया ह वाकय म दो वसतओ की

तलना कक गयी ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा इस उदाहरर म lsquoकरrsquo ndash उपमय ह lsquoकमलrsquo

ndash उपमान ह कोमल ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ

की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर

उपमा अलकार क अतगात आएगा

3 पीपर पात िररि मन ड़ोला

ऊपर कदए गए उदाहरर म मन को पीपल क पि कक तरह कहलता हआ बताया जा रहा ह इस उदाहरर म lsquoमनrsquo ndash

उपमय ह lsquoपीपर पातrsquo ndash उपमान ह lsquoडोलाrsquo ndash साधारर धमा ह एव lsquoसररसrsquo अथाात lsquoक सामानrsquo ndash वाचक शबद ह

जसा की हम जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब

वहा उपमा अलकार होता ह अतः यह उदाहरर उपमा अलकार क अतगात आएगा

4 हाय फभ ल-िी कोमल बचची हई राख की री ढरी

ऊपर कदए गए वाकय म जसा की आप दख सकत ह बचचो की तलना एक िल की कोमलता स की गयी ह हम यह

भी जानत ह की जब ककनही दो वसतओ की तलना उनक सभमान धमा की वजह स की जाती ह तब वहा उपमा

अलकर होता ह

5 नील गगन-िा शात हदय रा रो रहा

जसा की आप ऊपर कदए गए उदाहरर म दख सकत ह यहा हदय की नील गगन स तलना की गयी ह इस वाकय म

हदय ndash उपमय ह एव नील गगन ndash उपमान ह शात ndash साधारर धमा ह एव सा ndash वाचक शबद ह जसा की हम जानत

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

15

ह की जब ककनही दो वसतओ की उनक एक सामान धमा की वजह स तलना की जाती ह तब वहा उपमा अलकार

होता ह अतः यह उदारर उपमा अलकार क अतगात आएगा

उपमा अलकार क कछ अनय उदाहरर ndash

1 वह दीपकशखा सी शात भाव म लीन

(दीप स उठन वाली जवाला क समान शात बताया ह)

2 कमल सा कोमल गात सहाना

(गाल क कोमलता की तलना कमल पषप स की ह)

3 कदवस का समय मघ आसमान स उतर रही ह

वह सधया सदरी सी धीर धीर

(सधया क समय क दशय को परी क समान कहा ह)

4 हररपद कोमल कमल स

(ईशवर क चरर कोमल कमल पषप जस बताया ह)

5 लघ तरकन हकसनी सी सनदर

(नदी क तट को हस क समान माना ह)

रपक अलकार - रपक का अथा ह ndash रप लना अथाात जहा उपमय उपमान का रप धारर कर ल वहा रपक

अलकार होता ह अथवा जहा उपमय पर उपमान का आरोप करत हए दोनो म अभद बताया जाए तो वहा रपक

अलकार होता ह उपमा की तरह रपक म भी उपमय उपमान दोनो अलग-अलग कह जात ह उदाहरर-

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

रपक अलकार क तीन भद होत ह-

(क) कनरग रपक (ख) साग रपक (ग) परभपररत रपक

(क) कनरग रपक - जहा कवल उपमय म उपमान का आरोप ककया जाता ह वहा न कनरग रपक अलकार होता ह

परतयक वसत मल होती ह और उसक अग भी होत ह मल वसत को अगी कहा जाता ह कनरग शबद का अथा ही

होता ह अग रकहत कछ कवदवान इस कनरवयव भी कहत ह उदाहरर -

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

16

सवध वदनी िब भासत िवारी

िोह न विन सबना वर नारी

(ख) साग रपक अलकार - जहा पर उपमय क सभी अगो अथवा अवयवो पर उपमान क सभी अगो या अवयवो

का आरोप वकरात हो वहा पर साग रपक अलकार होता ह इस अलकार रप म अगो सकहत अगी उपमय पर अगो

सकहत अगी उपमान का आरोप ककया जाता ह इसम अनक आरोप वकरात होत ह उदाहरर -

अबर पनघट म डबो रही तारा घट उषा नागरी

सपषटीकरर - यहा आकाश रपी पनघट म उषा रपी सतरी तारा रपी घड़ को डबो रही ह यहा आकाश पर पनघट का

उषा पर सतरी का तथा तारो पर घड़ का आरोप होन स रपक अलकार ह

(ग)परभपररत रपक अलकार - जहा पर एक आरोप दसर आरोप का कारर होता ह वहा पर परभपररत रपक

अलकार होता ह परमपरीत का अथा होता ह परपरा या करम इस परसग म कम स कम दो आरोप होत ह कजनम एक

आरोप कारर होता ह और दसरा काया कहन का तातपया ह कक एक आरोप कर दन क पशचात दसर आरोप का

कनरपर करना आवशयक हो जाता ह उदाहरर -

राम करा िदर करतारी िशय सवहग उड़ावन हारी

सपषटीकरर - उपयाकत चौपाई म रामकथा पर करतार (ताकलयो) का आरोप ककया गया ह और सशय पर पकषी का

आरोप ककया गया ह यहा पर सशय कवहग आरोप काया ह रामकथा-करतारी आरोप कारर ह अतः काया-कारर

की परपरा का कचिर होन क कारर यहा पर पारभपररत रपक अलकार ह

बीती सवभावरी जागरी

अमबर-पनघट म डबो रही

तारा-घट ऊषा नागरी

यहाा ऊषा म नागरी का अभबर म पनघट का और तारा म घट का कनषध-रकहत आरोप हआ ह अतः यहाा रपक

अलकार ह

कछ अनय उदाहरर

1 मया म तो चनदर-कखलौना लहो

2 चरर-कमल बनदौ हररराई

राम कपा भव-कनसा कसरानी

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

17

3 पायो जी मन नाम-रतन धन पायो

4 एक राम घनशयाम कहत चातक तलसीदास

उतपपरकषा अलकार - उतपरकषा का शाकबदक अथा ह lsquoदखन की उतकट इचछाrsquo जहा उपमय म उपमान की कलपना या

सभावना वयकत की जाए वहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह इसक वाचक शबद ह- मन मानह जन जानह

मानो जानो कनशचय ईव जयो आकद उदाहरर -

चमचमात चचल नयन सबच घभघट पन झीन

मानह िरिररता सवमल जल उछरत जग मीन

सपषटीकरर कबहारी क इस दोह म घ घट क झीन पट म चमचमात चचल नयनो क कलए कहा गया ह कक मानो व

गगा क कनमाल जल म उछलती दो मछकलयाा ह इसी सभावना या कलपना क कारर यहा उतपरकषा अलकार ह

नाकयका क नयन उपमा एव मछली उपमान ह

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात

मनौ नीलमसण िल पर आतप परयो परभात

उपरोकत पककत म शरीकषर क शयामल शरीर म नील मकर पवात तथा पील वसतरो पर धप की सभावना वयकत की गई ह

अतः यहा उतपरकषा अलकार माना जाता ह

उतपरकषा अलकार क उदाहरर

ल चला िार म तझ कनक

जयो सभकषक लकर सवणथ

ऊपर कदए गए उदाहरर म जसा कक आप दख सकत ह कनक का अथा धतरा ह ककव कहता ह कक वह धतर को ऐस

ल चला मानो कोई कभकष सोना ल जा रहा हो कावयाश म lsquoजयोrsquo शबद का इसतमाल हो रहा ह एव कनक ndash

उपमय म सवरा ndash उपमान क होन कक कलपना हो रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

सिर फट गया उिका वही

मानो अरण रग का घड़ा हो

कदए गए उदाहरर म कसर लाल रग का घड़ा होन की कलपना की जा रही ह यहाा कसर ndash उपमय ह एव लाल रग का

घड़ा ndash उपमान ह उपमय म उपमान क होन कक कलपना कक जा रही ह अतएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क

अतगात आएगा

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

18

नतर मानो कमल ह

ऊपर कदए गए उदाहरर म lsquoनिrsquo ndash उपमय की lsquoकमलrsquo ndash उपमान होन कक कलपना कक जा रही ह मानो शबद का

परयोग कलपना करन क कलए ककया गया ह आएव यह उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

नील पररधान बीच िकमारी खल रहा रा मदल अधखला अग

सखला हो जयो सबजली का फभ ल मघवन बीच गलाबी रग

उदाहरर म दख सकत नील कपड म राजकमारी का वरान ककया गया ह कहा गया ह की नील पररधान म राजकमारी

ऐसी लग रही ह जस की कबजली का िल कखल गया हो गलाबी रग क बीच म हम ह की इस वाकय म जयो शबद

का भी परयोग ककया गया ह हम जानत ह की जब जयो जस शबद परयोग ककए जात ह तो किर उस वाकय म

उतपरकषा अलकार होता ह

उि वि मार करोध क तन कापन उनका लगा

मानो हवा क जोर ि िोता हआ िागर जगा

इस उदाहरर म अजान क करोध स कापत हए शरीर(उपमय) की कलपना हवा क जोर स जागत सागर(उपमान) स कक

गयी ह कदए गए उदाहरर म मानो शबद का परयोग ककया गया ह अतः यह उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

िोहत ओढ पीत पट सयाम िलोन गात |

मनह नीलमसन िल पर आतप परयौ परभात ||

यहाा इन पककतयो म शरीकषर क सदर शयाम शरीर म नीलमकर पवात की और शरीर पर शोभायमान पीताभबर म परभात

की धप की मनोरम सभावना की गई ह मनह ा शबद का परयोग सभावना दशाान क कलए ककया गया ह अतः यह

उदाहरर उतपरकषा अलकार क अतगात आएगा

भासतमान अलकार - जहा भरम वश उपमय को उपमान मान कलया जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह जहा पर

समानता क कारर ककसी वसत म अनय वसत का भरम हो जाए वहा भराकतमान अलकार होता ह भराकनतमान अलकार

म भरम ककव की कलपना स उतपनन होना चाकहए जहाा वासतकवक भरम हो वह अलकार नही होता उदाहरर ndash

1 सबल सवचार कर नागशणड म घिन लगा सवषला िाप

काली ईख िमझ सवषधर को उठा सलया तब गज न आप

सपषटीकरर ndash सााप को हाथी की साड म कबल का और हाथी को साप म काल गनन का भरम कदखाया गया हअतः

यहाा भराकनतमान अलकार ह

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

19

भराकतमान अलकार क अनय उदाहरर -

2 नाक का मोती अधर की कासत ि

बीज दासड़म का िमझ कर भासत ि

दख कर िहिा शक हआ मौन ह

िोचता ह अनय शक कौन ह

सपषटीकरर उपरोकत पककतया मकथलीशरर गपत रकचत साकत स ह इसम नाकयका उकमाला का वरान ह उकमाला न

नाक म मोती पहना ह इस मोती पर उसक होठ की लाल आभा पड़ रही ह कजसस मोती अनार क दान जसा

कदखता ह कोई तोता उस अनार का दाना मानकर चगन बढ़ता ह तभी उकमाला की नाक म दसर तोत का भरम हो

जाता ह

3 पाप महावर दन को नाइन बठी आय

पसन-पसन जान महावरी एड़ी मोसड़त जाय

सपषटीकरर ndash यहाा नाइन एड़ी की लाकलमा को महावर समझकर भरम म पड़ जाती ह और सनदरी की एड़ी को मोड़ती

जाती ह यहाा पर भराकतमान अलकार ह

4 सफरत घरन नभतन पसरक चल चसकत सचत भासग

फभ लयो दख पलाि वन िमह िमसझ दवासग

सपषटीकरर ndash पलास क िल बहत ही लाल होत ह उसी को दखकर कोई नया पकथक यह समझता ह कक जगल म

आग लगा ह और वहा स भगा जाता हयहाा पर उस भरम हो जाता ह

अनयोसि अलकार - जहा उपमान क वरान क माधयम स उपमय का वरान ककया जाए वहा अनयोककत अलकार

होता ह अपरसतत स परसतत अथा की वयजना होन क कारर इस आप परसतत परशसा भी कहत ह उदाहरर -

(1) सजन सदन दख वह किम गई ि बीसत बहार

अब अली रही गलाब म अपत करीली डार

(2) नसह पराग नसह मधर मध नसह सवकाि इसह काल

अली कली ही िौ बधयौ आग कौन हवाल

सपषटीकरर-इसम कली और भावर क माधयम स नव-कववाकहत राजा जयकसह को कतावयकनषठा की परररा दी गई ह

(3) सजन सदन दख व किम गई ि बीसत बहार

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

20

अब असल रही गलाब म अपत कटीली डार

सपषटीकरर-यहाा गलाब क सखन क माधयम स आशरयदाता क उजड़न की वयथा कही गई ह

(4) सवारर िकत न शरम बरा दसख सबहग सवचारर

बाज पराए पासन परर तभ पचछीन न मारर

सपषटीकरर-यहाा बाज दवारा पककषयो को मारन क बहान स राजा जयकसह को यह समझाया गया ह कक वह वयथा म

कहदओ का नर-सहार न कर

(5) माली आवत दख करर कसलया कर पकार

फभ सल फभ सल चसन लई काल हमारी बार

सपषटीकरर-यहाा ककलयो क टटन क बहान स मनषय की नशवरता का बोध कराया गया ह

असतशयोसि अलकार - जहा ककसी वसत अथवा कथन का बहत बड़ा चढ़ाकर वरान ककया जाए वहा अकतशयोककत

अलकार होता ह जहा ककसी गर या कसथकत का बढ़ा-चढ़ा कर वरान ककया जाए वहाा अकतशयोककत अलकार होता

ह उदाहरर-

दख लो िाकत नगरी ह यही

सवगथ ि समलन गगन को जा रही

सपषटीकरर ndash यहाा साकत नगरी क ऊा च भवन को आकाश की ऊा चाई छत हए कदखाया गया ह अतः अकतशयोककत

अलकार ह

(2) हनमान की पभछ म लगन न पाई आग

लका िगरी जल गई गए सनशाचर भाग

सपषटीकरर-पाछ म आग लगन स पहल लका का जलना अकतशयोककत ह

(3) कढत िार ही मयान त असि ररप तन त परान

सपषटीकरर - भयान स कनकलत ही शिओ क परारो का कनकलना अकतशयोककत ह

(4) आग नसदया पड़ी अपार घोड़ा कि उतर पार

राणा न िोचा इि पार तब तक चतक रा उि पार

सपषटीकरर - सोचत ही घोड़ दवारा नदी को पार करना अकतशयोककत ह

असतशयोसि अलकार क अनय उदाहरण -

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

21

5) कजस वीरता स शिओ का सामना उसन ककया

असमथा हो उसक कथन म मौन वारी न कलया

(6) तारा सो तरकन धरर धारा म लगत कजकम

थारा पर पारा पारावार यो हलत ह

(7) रारा परताप क घोड़ स पड़ गया हवा का पाला था

(8) बाधा था कवध को ककसन इन काली जजीरो स

मकर वाल िकरयो का मख कयो भरा हआ था हीरो स

14 िाराश

कावय म अलकारो का महततव उसी सीमा तक ह जब तक अलकार कावय क परकत सौनदया को बढ़ान म सहायक

हो यकद कावय म अलकारो का परयोग सवाभाकवक रप स होता ह तो यह कावय क सौनदया और परभाव म वकदध

करता ह यह सवाभाकवक कया ह सवाभाकवक रप स कहन क तातपया को समझना होगा यह साधारर सवाभाकवक

रप नही ह अकपत कावय की शली म सवाभाकवक रप स परयकत क कलय ह जब कोई कावय रचना करता ह तो

कहन की महिा होती ह कावय-गरो की महिा होती ह एक यदध की कवभीकषका का वरान अकतशयोककतपरा

सवाभाकवक होता ह और तभी पाठक पर परभाव छोड़ता ह कपरया क मख की चााद स उपमा कोमल भावो को उतपनन

करती ह पाठक क मन को हकषात करती ह यह उपमा यह सवाभाकवक परयोग ही होता ह

15 बोध परशन

1 अलकार शबद का अथा सपषट कीकजए

2 भारतीय कवदवानो दवारा परसतत अलकार की पररभाषा पर परकाश डाकलए

3 अलकारो क कवकभनन परकारो को सपषट कीकजए

4 शबदालकार और अथाालकार क अतर को सपषट कीकजए

5 अनपरास अलकार क लकषर को सपषट कीकजए

16 िदभथ गरर

1 रस छद अलकार - राजदर कमार पाडय वारी परकाशन कदलली

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

22

2 रस छद अलकार तथा अनय कावयाग डॉ वक ट शमाा RG परकाशन

3 अलकार पाररजात नरोतम दास सवामी लकषमी नारायर अगरवाल

4 भारतीय एवम पाशचातय कावय शासतर - डॉ कववक शकर राजसथानी साकहतय अकादमी उदयपर

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

1

इकाई ndash 2

छद सिदात एव लकषण

इकाई की रपरखा

20 उददशय

21 परसतावना

22 छद क अरथ एव पररभाषा

23 छद का सवरप

24 छद क अवयव

25 छद क परकार

26 िाराश

27 बोध परशन

28 िदभथ गरर

20 उददशय

छनद ससकत वागमय म सामानयतः लय को बतान क ललय परयोग लकया गया ह लवलिषट अरथो म छनद कलवता या

गीत म वरणो की सखया और सरथान स समबलित लनयमो को कहत ह लिनस कावय म लय और रिकता आती ह

छोटीबडी धवलनया- लघगर उचचाररणो क करमो म- मातरा बताती ह और िब लकसी कावय रचना म य एक वयवसरथा

क सारथ सामिसय परापत करती ह तब उस एक िासतरीय नाम द लदया िाता ह और लघगर मातराओ क अनसार वरणो -

की यह वयवसरथा एक लवलिषट नाम वाला छनद कहलान लगती ह िस चौपाई दोहा आयाा इनरवजरा गायतरी छनद

इतयालद इस परकार की वयवसरथा म मातरा अरथवा वरणणॊ की सखया लवराम गलत लय तरथा तक आलद क लनयमो को

भी लनिााररत लकया गया ह लिनका पालन कलव को करना होता ह इस दसर अरथा म यह अगरिी क मीटर अरथवा उदा

फारसी क रकन क समककष ह लहनदी सालहतय )अराकान(म भी परपरागत रचनाए छनद क इन लनयमो का पालन

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

2

करत हए रची िाती रथी यालन लकसी न लकसी छनद म होती रथी लवशव की अनय भाषाओ म भी परपरागत रप स

कलवता क ललय छनद क लनयम होत ह

छनद की पररथम चचाा ऋगवद म हई ह यलद गदय का लनयामक वयाकररण ह तो कलवता का छनदिासतर छनद पदय की

रचना का मानक ह और इसी क अनसार पदय की सलषट होती ह पदयरचना का समलचत जञान छनदिासतर का अधययन

लकय लबना नही होता छनद हदय की सौनदयाभावना िागररत करत ह छनदोबदध करथन म एक लवलचतर परकार का

आहराद रहता ह िो आप ही िगता ह तक छनद का परारण ह- यही हमारी आननद-भावना को परररत करती ह गदय

म िषकता रहती ह और छनद म भाव की तरलता यही काररण ह लक गदय की अपकषा छनदोबदध पदय हम अलिक भाता

ह इस इकाई क अधययन क बाद आप ndash

छनद क अरथा सवरप और उसकी लवलभनन पररभाषाओ स पररलचत होग

छनदो क लवलभनन परकारो को समझन म सकषम होग

छनदो की लवसतत परपरा क बार म जञान परापत कर सक ग

छनदो क उदाहररणो का उललख कर सक ग सारथ ही उनकी पररभाषा क लवषय म जञान परापत कर सक ग

21 परसतावना

लललखत रप म लवचारो की अलभवयलि क ललए भाषा क पदय तरथा गदयय दो रप रह ह आरमभ म पदय की ही -

भी कहत ह और कावय भी लिस कलवता म मातराओ अरथवा परिानता रही ह पदय को कलवतावगो की लनलित तरथा

लनयलमत सखया लवराम यलत गलत आलद का लनयम होता ह उसको छनद कहत ह छनदो की रचना क लनयमो को

छनदिासतर अरथवा छनद लवजञान कहा िाता ह-

सौनदयाचतना क अलतररि छनद का परभाव सरथायी होता ह इसम वह िलि ह िो गदय म नही होती छनदोबदध रचना

का हदय पर सीिा परभाव पडता ह गदय की बात हवा म उड िाती ह ललकन छनदो म कही गयी कोई बात हमार

हदय पर अलमट छाप छोडती ह मानवीय भावो को आकषट करन और झकत करन की अदभत कषमता छनदो म होती

ह छनदाबदध रचना म सरथालयतव अलिक ह अपनी समलत म ऐसी रचनाओ को दीघाकाल तक सिोकर रखा िा सकता

ह इनही काररणो स लहनदी क कलवयो न छनदो को इतनी सहदयता स अपनाया अतः छनद अनावशयक और लनरािार

नही ह इनकी भी अपनी उपयोलगता और महतता ह लहनदी म छनदिासतर का लितना लवकास हआ उतना लकसी भी

दिी-लवदिी भाषा म नही हआ छनदो की रचना और गरण -अवगरण क अधययन को छनदिासतर कहत ह चलक

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

3

आचाया लपङगल दवारा रलचत छनदःिासतर सबस पराचीन उपलबि गरनरथ ह इस िासतर को लपङगलिासतर भी कहा िाता

22 छद क अरथ एव पररभाषा

वरणो या मातराओ क लनयलमत सखया क लवनयास स यलद आहाद पदा हो तो उस छद कहत ह दसर िबदो म-अकषरो

की सखया एव करम मातरागरणना तरथा यलत-गलत स समबदध लवलिषट लनयमो स लनयोलित पदयरचना छनद कहलाती ह

महलषा पालरणनी क अनसार िो आहमालदत कर परसनन कर वह छद ह )चनदलत हषयलत यन दीपयत वा तचछनद( उनक

लवचार स छद चलद िात स लनकला ह यासक न लनरि म छनद की वयतपलतत छलद िात स मानी ह लिसका अरथा

ह सवररण या आचछादन (छनदालस छादनात( इन दोनो अलतपराचीन पररभाषाओ स सपषट हो िाता ह लक छदोबदध

रचना कवल आहयादकारररणी ही नही होती वरन वह लचरसरथालयनी भी होती ह िो रचना छद म बिी नही ह उस हम

याद नही रख पात और लिस याद नही रख पात उसका नषट हो िाना सवाभालवक ही ह इन पररभाषाओ क अलतररि

सगमता क ललए यह समझ लना चालहए लक िो पदरचना अकषर अकषरो की गरणना करम मातरा मातरा की गरणना

यलत-गलत आलद लनयमो स लनयोलित हो वह छदोबदध कहलाती ह

छद िबद छद िात स बना ह लिसका अरथा ह आहलालदत करना खि करना छद का दसरा नाम लपगल भी ह

इसका काररण यह ह लक छद-िासतर क आलद पररणता लपगल नाम क ऋलष रथ

23 छद का सवरप

छद िबद का सवापररथम उललख ऋगवद म लमलता ह वद भारत क पराचीनतम लललपबदध आलख ह इन वदो का

समयक जञान परापत करन हत वदागो का अधययन अलनवाया ह वदागो की सखया छ ह- लिकषा कलप जयोलतष

वयाकररण लनरि छद यिवद गदयातमक ह अत इस छोडकर अनय वदो म छदो का परयोग लकया गया ह

वलदक एव ससकत छदो पर लवचार करन वाल पहल वयलि लपगल मलन मान िात ह इनक गररथ का नाम लपगल

सतर ह लपगल क उपरात ियदव का नाम ललया िाता ह लिनहोन ियदव छदस नाम स गररथ ललखा इसक

बाद काललदास भामह वराहलमलहर हमचर कदारभटट प गगादास आलद अनक ससकत आचायो न छद को

अपन लचतन का लवषय बनाया

रीलतकाल क आचाया किव न छद माला नामक गररथ की रचना की ह रीलतकाल क अनय आचायो न भी छद स

समबलित गररथो की रचना की ह लिनम लचतामलरण मलतराम लभखारीदास पदमाकर सोमनारथ आलद हए ह आिलनक

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

4

काल म भी िगननारथ दास भान क छद परभाकर तरथा डॉ िानकीनारथ लसह कत- लहदी कलवयो का छद-िासतर का

योगदान नामक गररथ उललखनीय ह

छदो क दवारा कावयानिासन सरथालपत होता ह छदो स कावय म लयातमकता गीतातमकता मािया आता ह

24 छद क अवयव

छनद क लनमनलललखत अग ह-

(क) चररण पद पाद

(ख) वरणा

(ग) मातरा

(घ) लघ और गर

(ङ) यलत लवराम

(च) गलत

(छ) गरण यलत लवराम

(ि) तक

चरण पद पाद ndash लकसी छद की परिान यलत पर समापत होन वाली परणा पलि को उसका एक चररण या पाद कहत

ह सामानयतः छद म चार चररण होत ह तरथा परतयक चररण म मातराओ एव वरणो की सखया करमानसार लनयोलित रहती

ह छद क परायः 4 भाग होत ह इनम स परतयक को चररण कहत ह दसर िबदो म- छद क चतरथााि )चतरथा भाग(

को चररण कहत ह कछ छदो म चररण तो चार होत ह ललकन व ललख दो ही पलियो म िात ह िस- दोहा सोरठा

आलद ऐस छद की परतयक पलियो को दल कहत ह लहनदी म कछ छद छः-छः पलियो )दलो( म ललख िात ह

ऐस छद दो छदो क योग स बनत ह िस कणडललया )दोहा +रोला( छपपय )रोला +उललाला( आलद चररण 2 परकार

क होत ह- सम चररण और लवषम चररण पररथम व ततीय चररण को लवषम चररण तरथा लदवतीय व चतरथा चररण को सम

चररण कहत ह

िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

5

उपयाि पदय म ललख शयाम लीि और दख टारर दीि य दोनो चररण ह कयोलक यहा पढ़त समय ठहरना

पडता ह

वणथ - धवलन क लललखत रप को वरणा कहत ह वरणा दो परकार क मान गए ह- हरसव व दीघा छदिासतर म हरसव व दीघा

को मातरा कहा िाता ह तरथा हरसव क ललए लघ (( एव दीघा )ऽ( िबद का परयोग लकया िाता ह एक सवर वाली

धवलन को वरणा कहत ह चाह वह सवर हसव हो या दीघा लिस धवलन म सवर नही हो )िस हलनत िबद रािन का न

सयिाकषर का पहला अकषर- कषरण का ष) उस वरणा नही माना िाता वलरणाक छद म चाह हसव वरणा हो या दीघा-

वह एक ही वरणा माना िाता ह िस- राम रामा रम रमा इन चारो िबदो म दो-दो ही वरणा ह वरणा 2 परकार क होत

ह-

(i) हसव सवर वाल वरणा )हसव वरणा( अ इ उ ऋ क लक क क

(ii) दीघा सवर वाल वरणा )दीघा वरणा( आ ई ऊ ए ऐ ओ औ का की क क क को कौ

मातरा - लकसी वरणा या धवलन क उचचाररण-काल को मातरा कहत ह दसर िबदो म- लकसी वरणा क उचचाररण म िो

अवलि लगती ह उस मातरा कहत ह हसव वरणा क उचचाररण म िो समय लगता ह उस एक मातरा तरथा दीघा वरणा क

उचचाररण म िो समय लगता ह उस दो मातरा माना िाता ह

वरणा और मातरा म अतर-

वरणा म हसव और दीघा रहन पर वरणा-गरणना म कोई अतर नही पडता ह लकत मातरा-गरणना म हसव-दीघा स बहत अतर

पड िाता ह उदाहररण क ललए भरत और भारती िबद को ल दोनो म तीन वरणा ह लकनत पहल म तीन मातराए

और दसर म पाच मातराए ह

लघ और गर -

लघ- (i) अ इ उ- इन हसव सवरो तरथा इनस यि एक वयिन या सयि वयिन को लघ समझा िाता ह िस-

कलम इसम तीनो वरणा लघ ह इस िबद का मातरालचहन हआ-

(ii) चनरलबनदवाल हसव सवर भी लघ होत ह िस- ह

गर- (i) आ ई ऊ और ऋ इतयालद दीघा सवर और इनस यि वयिन गर होत ह िस- रािा दीदी दादी इतयालद

इन तीनो िबदो का मातरालचहन हआ- ऽऽ

(ii) ए ऐ ओ औ- य सयि सवर और इनस लमल वयिन भी गर होत ह िस- ऐसा ओला औरत नौका इतयालद

(iii) अनसवारयि वरणा गर होता ह िस- ससार ललकन चनरलबनदवाल वरणा गर नही होत

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

6

(iv) लवसगायि वरणा भी गर होता ह िस- सवतः दःख अरथाात - ऽ ऽ

(v) सयि वरणा क पवा का लघ वरणा गर होता ह िस- सतय भि दषट िमा इतयालद अरथाात- ऽ

यसत - यलत का अरथा लवराम या लवशराम होता ह छद को पढ़त समय िहा कछ समय क ललए रकना पडता ह उस

रकावट को ही यलत या लवराम कहत ह िस-

रसिमन सवपदा ि भली जो रोर सदन िोय

यलत िबद क मधय न आए यह अलनवाया ह इस पद म रलहमन लवपदा ह भली पर कछ समय क ललए रकना पडता

गसत या लय - lsquoगलतrsquo का अरथा lsquoलयrsquo ह छनदो को पढ़त समय मातराओ क लघ अरथवा दीघा होन क काररण िो

लविष सवर लहरी उतपनन होती ह उस ही lsquoगलतrsquo या lsquoलयrsquo कहत ह

गण- तीन वगो क समह को lsquoगरणrsquo कहत ह गरणो की सखया आठ ह-यगरण मगरण तगरण रगरण िगरण भगरण नगरण

और सगरण इन गरणो क नाम रप lsquoयमातराजभानिलगाrsquo सतर दवारा सरलता स जञात हो िात ह उललखनीय ह लक

इन गरणो क अनसार मातराओ का करम वालरणाक वततो या छनदो म होता ह मालतरक छनद इस बनिन स मि ह गरणो क

नाम सतर लचहन और उदाहररण इस परकार ह-

गरण ndash सतर ndash लचहन ndash उदाहररण

यगरण ndash यमाता ndash ऽऽ ndash बहाना

मगरण ndash मातारा ndash ऽऽऽ ndash आजादी

तगरण ndash ताराि ndash ऽऽ ndash बाजार

रगरण ndash रािभा ndash ऽऽ ndash नीरिा

िगरण ndash िभान ndash ऽ ndash महि

भगरण ndash भानस ndash ऽ ndash मानस

नगरण ndash नसल ndash ndash कमल

सगरण ndash सलगा ndash ऽ ndash ममता

तक - चररणात क वरणो की आवलतत को तक कहत ह िस-

लसख शयाम लीज दख टारर दीज

लिस छनद म तक नही लमलता ह उस lsquoअतकानतrsquo और लिसम तक लमलता ह उस lsquoतकानतrsquo छनद कहत ह

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

7

25 छद क परकार

मातरा और वरणा क लवचार स छद क मखयतः दो भद होत ह- (1) मालतरक छद (2) वालरणाक छद

1 मासतरक छद - लिसक चारो चररणो म मातराओ की सखया समान हो उस मालतरक छद कहत ह मालतरक छनद तीन

परकार क होत ह

i सम मालतरक छद ii अदधा सममालतरक छद iii लवषम मालतरक छद

i सम मालतरक छद - लिसक चारो चररणो की मातरा समान हो सम मालतरक छद कहलात ह सम मालतरक छनद

दो परकार क होत ह

(क( समसािाररण सममालतरक छद- १ स ३२ मातरा वाल छद सािाररण छद कहलात ह

(ख( दणडक सममालतरक छद - ३२ मातरा स अलिक मातरा वाल छद दणडक छद कहलात ह

ii अिासम मालतरक छद - लिसक पहल और तीसर चररण की मातरा समान हो अिासम मालतरक छद कहलात

iii लवषम मालतरक छद - लिसम चारो चररणो की मातरा- सखया लवषम हो लवषम मालतरक छद कहलात ह

2 वासणथक छद - लिसक चारो चररणो म गर लघ क लनयम स वरणो की सखया समान हो उस वालरणाक छद कहत ह

िस-

लपरय पलत वह मरा परारण पयार कहा ह

दःख िललनलि डबी का सहारा कहा ह

लख मख लिसका म आि लौ िी सकी ह

वह हदय हमारा नन-तारा कहा ह

वालरणाक छनद क तीन परकार होत ह

I सम वालरणाक छद - लिसक चारो चररणो म वरणा समान हो सम वालरणाक छद कहलात ह

II अिासम वालरणाक छद - लिसक पहल और तीसर चररण म वरणा समान हो अिासम वालरणाक छद

कहलात ह

III लवषम वालरणाक छद - लिसम चारो चररणो म वरणा- सखया लवषम हो लवषम वलरणाक छद कहलात ह

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

8

परमख मासतरक छद ndash

(1) दोहा - दोहा अधदासम मालतरक छद ह इसम 24 मातराए होती ह इसक लवषम चररण )पररथम व ततीय( म 13-

13 तरथा सम चररण )लदवतीय व चतरथा( म 11-11 मातराए होती ह इसक पहल और तीसर चररण क अत म िगरण )

ऽ ( नही पडना चालहए तरथा इसक सम चररणात म गर लघ होना परम आवशयक ह िस-

िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

ldquoमरी भव बाधा िरौ राधा नागरर िोय

जा तन की झाई पर सयाम िररत दसत िोयrdquo

िस-

ततरीनाद कसवत र रि िरि राग रसत रग

अनबड बड तर ज बड िब अग

2 सोरठा - यह भी अदधासम मालतरक छनद ह यह दोहा का लबलकल उलटा होता ह अरथाात लवषम चररणो म 11-11

और सम चररणो म 13-13 मातराए होती ह

िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ ऽ = 24 मातराए

िसन कवट क बन परम लपट अटपट

सबिि करना ऐन सचतइ जानकी लखन तनrdquo

िस-

जो िसमरत सिसध िोय गननायक कररबर बदन

करि अनगरि िोय बसद रासि िभ गन िदन

3 रोला - यह सममालतरक छद ह इसक परतयक चररण म 24 मातराए होती ह और परतयक चररण म 11 और 13

मातराओ पर यलत होती ह परतयक चररण क अत म दो गर या दो लघ की योिना रहती ह दो-दो चररणो म तक

आवशयक ह इसक चारो चररणो की गयारहवी मातरा लघ रहन पर इस कावयछनद भी कहत ह िस-

ऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 24 मातराए

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

9

ि दबा यि सनयम िसि म िदा अटल ि

रि िकता ि विी िरसकषत सजिम बल ि

सनबथल का ि निी जगत म किी सिकाना

रकषा िाधक उि परापत िो चाि नाना

िस-

सगन नीद की सवाि बाि बसि तर डर

सलय जात बसन मीत माल य िाझ िबर

बरन दीन दयाल न चीनित ि त तािी

जाग जाग र जाग इत सकत िोचत रािी

4 चौपाई - यह सममालतरक छनद ह इसम चार चररण होत ह इसक परतयक चररण म 16 मातराए होती ह लकत चररणात

म िगरण )ऽ( या तगरण )ऽऽ( नही आना चालहए चररण क अनत म दो गर होत ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽऽ = 16 मातराए

ldquoबदउ गर पद पदम परागा िरसच िवाि िरि अनरागा

असमय मररमय चरन चार िमन िकल भवरज पररवार

िस-

अमर नाग सकननर सदसिपाला सचतरकट आय तसिकाला

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

राम परनाम कीनि िब काि मसदत दव लसि लोचन लाि

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ

उदाहररणारथा-

सनत नतन मगल पर मािी सनसमष िररि सदन जासमसन जािी

बड भोर भपसतमसन जाग जाचक गनगन गावन लाग

गर पद रज मद मजल मजन नयन असमय दग दोष सवभजन

तसि करर सवमल सववक सवलोचन बरनउ रामचररत भवमोचन

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

10

5 बरव - यह अधदासम मालतरक छद ह इसक लवषम )पररथम व ततीय( चररणो म 12-12 मातराए और सम चररणो)दसर

और चौरथ( म 7-7 मातराए होती ह इस परकार इसकी परतयक पलि म 19 मातराए होती ह और इसक समचररणो क

अत म परायः िगरण या तगरण पडता ह िस-

ऽ ऽ ऽ ऽ ऽ = 19

तलिी राम नाम िम मीत न आन

जो पिचाव रामपर तन अविान

िस-

आसग लाग घर बररगा सक असत भल कीन

िाजन िार घलना भरर भरर दीन

6 छपपय छद - छपपय लवषम मालतरक छद ह िो रोला तरथा उललाला क लमशररण स बनता ह इसक पररथम चार चररण

रोला क तरथा अलनतम दो चररण उललाला क होत ह इसम छ चररण होत ह और पररथम चार चररणो 24-24 मातराए

होती ह और अलतम दो चररणो म 26-26 या 28-28 मातराए होती ह लिस परकार तलसी की चौपाइया लबहारी क

दोह रसखान क सवय पदमाकर क कलवतत तरथा लगररिर कलवराय की कडललया परलसदध ह उसी परकार नाभादास क

छपपय परलसदध ह एक छपपय दख-

सजिकी रज म लोट-पोट कर बड िए ि

घटनो क बल िरक-िरक कर खड िए ि

परमिि िम बालयकाल म िब िख पाय

सजिक कारण धल-भर िीर किलाय

िम खल कद िषथयत सजिकी पयारी गोद म

ि मातभसम तमको सनरख मगन कयो न िो मोद म

िस-

नीलामबर पररधान िररत पट पर िनदर ि

ियथ-चनर यग मकट मखला रतनाकर ि

नसदया परम-परवाि फल तो मडन ि

बदी जन खग-वनद शषफन सििािन ि

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

11

करत असभषक पयोद ि बसलिारी इि वश की

ि मातभसम त ितय िीिगण मसतथ िवश की

7 कडललया छद - कडललया वह लवषम मालतरक छद ह िो दो छदो -दोहा और रोला क लमशररण स बनता ह लिसम

छ चररण होत ह और परतयक चररण म 24-24 मातराए होती ह और दोह का चररण रोला क पररथम म दहराया िाता ह

ह य दोनो छनद कणडली क रप म एक दसर स गरथ रहत ह इसीललए इस कणडललया छनद कहत ह लिस िबद स

कडललया परारभ हो समालपत म भी वही िबद रहना चालहए लहनदी म लगररिर कलवराय कडललयो क ललए लविष

परलसदध ह वस तलसी किव आलद न भी कछ कडललया ललखी ह उदाहररण दख-

ldquoपिल दो दोिा रि रोला असनतम चार

रि जिा चौबीि कला कणडसलया का िार

कणडसलया का िार चरण छः जिा सबराज

दोिा असनतम पाद िरोला आसदसि छाज

पर िबिी क अनत शबद वि िी दिराल

दोिा का परारमभ िआ िो सजिि पिल

िस-

(1) घर का जोगी जोगना आन गाव का सिद

बािर का बक िि ि िि घरल सगद

िि घरल सगद उि पछ ना कोई

जो बािर का िोई िमादर बयाता िोई

सचत रवसत यि दर कभी न सकिी की िोगी

बािर िी धकक खायगा घर का जोगी

(2) दौलत पाय न कीसजए िपन म असभमान

चचल जल सदन चारर कौ िाउ न रित सनदान

िाउ न रित सनदान सजयन जग म जि लीज

मीि बचन िनाय सवनय िबिी की कीज

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

12

कि सगररधर कसवराय अर यि िब घर तौलत

पािन सनसिसदन चारर रित िब िी क दौलत

परमख वासणथक छनद ndash

लिन छनदो की रचना वरणो की गरणना क आिार पर की िाती ह उनह वरणावतत या वालरणाक छनद कहत ह महततवपरणा

वालरणाक छनदो का लववचन इस परकार ह-

8 मनदाकरानता छद - इस छनद क परतयक चररण म एक मगरण (ऽऽऽ( एक भगरण )ऽ( एक नगरण )( दो तगरण

)ऽऽ ऽऽ( तरथा दो गर )ऽऽ( लमलाकर 17 वरणा होत ह चौरथ छठव तरथा सातव वरणा पर यलत होती ह िस-

ऽऽ ऽऽ ऽ ऽ ऽ ऽ ऽऽ

तार डब तम टल गया छा गई वयोम लाली

पछी बोल तमचर जग जयोसत फली सदशा म

शाखा डोली तर सनचय की कज फल िरो क

धीर-धीर सदनकर कढ़ तामिी रात बीती

िस-

शासतरो का िो पिन िखदा लाभ ितिगती का

िदवत रो का िगन किक दोष ढाक िभी का

बोल पयार वचन सित क आपका रप धयाऊ

तौलो िऊ चरन सजनक मोकष जौलो न पाउ

9 सवया छद - सवया वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 22 स लकर 26 वरणा होत ह और परतयक चररण

लकसी एक गरण की सात-आठ आवलतत स बना होता ह यह बडा ही मिर एव मोहक छद ह इसका परयोग तलसी

रसखान मलतराम भषरण दव घनानद तरथा भारतद िस कलवयो न लकया ह इसक अनक परकार और अनक नाम

ह िस- मततगयद दलमाल लकरीट मलदरा सदरी चकोर आलद

राम को काम किा ररपजीतसि कौन कब ररप जीतयो किा

बासलबसल छलिो भगनदन गवथ ियौ सदवज दीन मिा

छीन िो कयो सछसत छतर ितयो सबन पराणसन िियराज सकयो

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

13

ििय कौन वि सबियो सजन खलत िी तमि बासध सलयो

सनदरी सवया - इस छनद क परतयक चररण म आठ सगरण )ऽऽऽऽऽऽऽऽ( और अनत म एक गर )ऽ(

लमलाकर 25 वरणा होत ह िस-

मानष िो तो विी रिखासन बिौ बरज गोकल गाव क गवारन

जो पि िो तो किा बि मरो चरौ सनत नद की धन मझारन

पािन िो तो विी सगरर को जो धरयौ करछतर परदर धारन

जौ खग िो तो बिरो करौ समसल कासलदी कल कदब की डारन

मततगयद छद - मततगयद वह सवया ह लिसक परतयक चररण म 23 वरणा होत ह िो सात भगरण और दो गर क करम स

रख गए रहत ह िस-

िीि जटा उर -बाि सबिाल सबलोचन लाल सतरीछी िी भौि

तन िरािन -बान धर तलिी बन मारग म िसि िोि

िादर बारसि बार िभाय सचत तमि तयो िमरो मन मोि

पछसत गराम बध सिय िोकिौ िावर ि िसख रावर को

10 कलवतत छद - कलवतत वह वालरणाक छद ह लिसक परतयक चररण म 31-31 या 32-32 या 33-33 वरणा रहत ह

इसम मातराओ क करम का लनयतररण होन स गरणो का लविान नही ह कवल वरणो की सखया परतयक चररण म बराबर

होती ह इसक तीन भद होत ह िो लनमन ह-

(क) मनहररण कलवतत - इसक परतयक चररण म 31 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा

गर होता ह िस-

रावण क जिा कतय करत ि आज विी

सजनको ि भान निी राम क परताप का

रोम रोम उनका तो काम लोभ जपता ि

मोि पररपणथ िोक नाश कर आपका

भल बि रावण न पाया दखो सवषणलोक

सवय िग उदार तो सकया परी खाप का

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

14

रावण क जिा बसद जीवी किो कौन भला

दोनो क बर ि कमथ रिा फकथ नाप का

(ख( रपघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 32 वरणा होत ह पररथम सोलह वरणो पर यलत होता ह अलतम वरणा लघ

होता ह िस-

पाच िाल बाद लौट नता दवार दवार घम

िार पाव जोड जोड मागत ि सफर वोट

पान क सलए व जीत करत ि िर काम

उिकी खासतर जनता म बाटत िदव नोट

एक बार जीत गए लौट क न आय सफर

ऐिा िी मन म वि रखत बिाक खोट

जनता को भल गए ऐिा ऐिा खल सकए

लट पाट घोटाल ि सकए दश पर चोट

(ग( दवघनाकषरी - इसक परतयक चररण म 33 वरणा होत ह परतयक आठव वरणा पर यलत होता ह अलतम तीन वरणा

लघ होत ह िस-

सझलली झनकार सपक चातक पकार बन

मोरसन गिार उि जगन चमसक चमसक mdash दव

कलन म कसल म कछारन म

कजन म कयाररन म कसलन कलीन सकलकत ि

कि पझाकर परागन म

पौनि म पातन म सपक म पलािन पगत ि

दवार म सदिान म दनी म दि दिन म

दखी दीप दीपन म दीपत सदगत ि

बीसरन म बरज म नबसलन म बसलन म

बनन म बागन म बगरयो बित ि

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ

15

26 िाराश

कलवता म छद क परयोग स पाठक या शरोता क हदय म सौदया बोि की गहरी अनभलत होती ह छद म यलत गलत क

समयक का लनवााह स पाठक को सलविा होती ह छद स कलवता म सरसता गयता क काररण अलभरलच बढ़ िाती

ह मानवीय भावनाओ को झकत कर उसक नाद सौदया म वलदध करता हछदो स कलवता की पठनीयता म रोचकता

बनाना ही उददशय ह आिलनक कलवता परायः छदमि कलवता ह कछ कलवताओ म अगरिी की सोनट और िापान

लक आयि कावय छद लविाओ क परभाव हमार कलवताओ पर लदखाई दत ह

27 बोध परशन

1 छद िबद का अरथा सपषट कीलिए

2 भारतीय लवदवानो दवारा परसतत छद की पररभाषा पर परकाि डाललए

3 छद क लवलभनन परकारो को सपषट कीलिए

4 मालतरक छद और वालरणाक छद क अतर को सपषट कीलिए

5 दोहा और सोरठा क क अतर को सपषट कीलिए

28 िदभथ गरर

1 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की रपरखा - रामचर लतवारी लोकभारती परकािन लदलली

2 रस छद अलकार - रािर कमार पाडय वारणी परकािन लदलली

3 रस छद अलकार तरथा अनय कावयाग डॉ वक ट िमाा RG परकािन

4 भारतीय कावय िासतर की भलमका - योगर परताप लसह लोकभारती परकािन लदलली

5 भारतीय एवम पािातय कावय िासतर की पहचान - परो हरर मोहन वारणी परकािन लदलली

6 भारतीय कावय िासतर क लसदधात - डॉ रािलकिोर लसह परकािन क र लखनऊ