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13 इरथ शोध संदशसमाज तᳫय कᳱ तथत: ाित एवं पतम के तवशे सदश . पवन कु माि शमाअय, िजनीततवान तवाग चौ. चिण संह तवतवदालय, मेिठ ाित लभबे समय से यह धािणा बनी है ᳰक यहां पि मतहला को की ᳰकसी काि के अतधकाि नह थे। वे सदैव ही दोयम दजे कᳱ वतु के ऱप यु होती िमतहला के तलए 'वतु ' शद यहां पि इस तनतहताथश से यु कि िहा हं यᳰक हम उपतनवेशी सातहसय के ािा यही पाया गया है। जब वे वतु तो उह ाणी यकि माना जाता ? ये तो ला हो पासय जगत के तचतक का तजहने हम मतहला के अतधकाि के तवय के वल जागऱक बनाया बतक यह तसखाया ᳰक वे पुऱ कᳱ ांताणी ; इसतलए उनके तहका यान िखना चातहए औि उसी अनुऱप वहाि किना चातहए पासय जगत ने 18 सदी के बाद अपनी मतहला के तवय समझ को बदला औि यह समझ उनकᳱ ाित सदृश देश के सभपकश आने के बाद बदली ᳰकतु हम मतहला के तवय सदैव तपछडी सोच वाला समाज बताया जाता िहा औि उसी वृात को सीख कि ाित का जनमानस तवकतसआ। यह जनमानस इसी वृात को के वल अपने तवमशसतभमतलᳰकए है बतक उसे पीी दि पीी असाᳯित कि िहा है। जबᳰक वाततवकता ाय इसके तवपिीिही है ाितीय सातहसय के अनुशीलन से यह संान आता है ᳰक ाचीन काल यातन वेद काल से लेकि 18सदी तक ᳫी औि पुऱ ाय ेद नह ᳰकया जाता था। यधतप समय-समय पि ऐसी पᳯितथततय का तनमाशण होता िहा तजसम तᳫय पि कु छ तबंध लगते से तीत तथातप यह जन सामाय के ति पि नह यह तवशे पᳯितथततय कह-कह पि

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13 इनदरपरसथ शोध सदशश

समाज म तसतरयो की तसथतत: राित एव पतशचम क तवशर सनददरश म

परो. पवन कमाि शमाश

अधयकष, िाजनीतत तवजञान तवराग

चौ. चिण चसह तवशवतवदालय, मिठ

राित म लभब समय स यह धािणा बनी हई ह दक यहा पि मतहलाओ को करी री दकसी

री परकाि क अतधकाि नही थ। व सदव ही दोयम दज की वसत क रप म परयकत होती िही ।

मतहलाओ क तलए 'वसत' शबद म यहा पि इस तनतहताथश स परयकत कि िहा ह कयोदक हम

उपतनवशी सातहसय क दवािा यही पढाया गया ह। जब व वसत थी तो उनदह पराणी कयोकि माना

जाता ? य तो रला हो पाशचसय जगत क तचनदतको का तजनदहोन हम मतहलाओ क अतधकािो क

तवरय म न कवल जागरक बनाया बतलक यह री तसखाया दक व री पररो की रातत पराणी ह;

इसतलए उनक तहतो का री धयान िखना चातहए औि उसी अनरप वयवहाि किना चातहए ।

पाशचसय जगत न 18 वी सदी क बाद अपनी मतहलाओ क तवरय म समझ को बदला औि यह समझ

उनकी राित सदश दशो क सभपकश म आन क बाद बदली । दकनदत हम मतहलाओ क तवरय म सदव

तपछडी सोच वाला समाज बताया जाता िहा औि उसी वततानदत को पढ सीख कि राित का

जनमानस तवकतसत हआ। यह जनमानस इसी वततानदत को न कवल अपन तवमशश म सतभमतलत

दकए हए ह बतलक उस पीढी दि पीढी अगरसारित री कि िहा ह। जबदक वासततवकता परायः इसक

तवपिीत िही ह ।

राितीय सातहसय क अनशीलन स यह सजञान म आता ह दक पराचीन काल यातन वद काल

स लकि 18वी सदी तक सतरी औि परर म परायः रद नही दकया जाता था। यदयतप समय-समय पि

ऐसी परितसथततयो का तनमाशण होता िहा तजसम तसतरयो पि कछ परततबध लगत स परतीत हए

तथातप यह जन सामानदय क सति पि नही हआ यह तवशर परितसथततयो म कही-कही पि

14 इनदरपरसथ शोध सदशश

दतषटगोचि होता ह। म ससकत वागमय म स (वदो स परािर किक) कछ परसग ससनददरश परसतत

किन का परयास किता ह तजसस तसतरयो की दशा-ददशा का हम रान हो सकगा तथा समकालीन

सतरी सवातनदय की बात किन वालो को री पराचीन राित की तसतरयो की दशा-ददशा स तलना किन

का अवसि तमल सकगा । म सरी तबनददओ को यहा सतर रप म ही परसतत करगा । तवसताि स

अधययन क तलए उनक सनददरो का अनसिण दकया जा सकता ह । इसक साथ ही कछ पाशचासय

उििण री परसतत करगा, तजनस अधयता राित औि पशचासय जगत म सतरी सवातनदय औि बिाबिी

की तलना कि सक ।

वद – वदानदत म सतरी

यथा, वदो म सतरी न कवल परर क साथ सतषट क तवसताि म सलगन थी अतपत वह

सासकततक अथशतनदतर का री तवकास कि िही थी घिल कायो क अततरिकत लघ/कटीि उदयोगो क

उननयन म इसकी बडी रतमका थी ।1 घिल कायो क साथ-साथ वह पशओ क िखिखाव तथा उनक

चिान जस कायो क तलए घि स बाहि री तनकलती थी। मदगलानी नामक सतरी अपन पशओ क

िवड को एकतर कि हाकन क तलए न कवल घि स बाहि तनकलती थी बतलक कशलता क साथ इस

कायश क सपादन क तलए िथ का सचालन री किती थी ।2

ऋववद म ही िवा िाजा की सयोवय कनदया तवपशयला न कवल यि लडती थी बतलक जञात

इततहास की वह पहली पराणी ह जो लोह क पिो को लगाकि, न कवल यि लडी बतलक शतर को

पिासत किक तवजय शरी का विण री दकया ।3

ऋववद क मनदतरो क सकलन म री ऋतरकाओ का महसवपणश योगदान िहा ह। ऋववद क

कल मनदतरो म स 224 मनदतर 24 ऋतरकाओ क दवािा तलख गए ह। इनको हम सगमता की दतषट स

तनमन तातलका क आधाि पि अधययन कि सकत ह ।

करम.स०. ऋववद मनदतर सखया सनददरश

1. नदी कल 04 मनदतर ऋ. 3/33

2. तवशवािा कल 6 मनदतर ऋ. 5/28

15 इनदरपरसथ शोध सदशश

3. अपाला आतरयी कल 7 मनदतर ऋ. 8/91

4. शसवती अगीिशी कल 1 मनदतर ऋ. 8/1

5. सयश सातवतरी कल 47 मनदतर ऋ. 10मणडल 85वा सकत

6. तसकता तनवाविी कल 20 मनदतर ऋ. 9/86

7. घोरा कल 28 मनदतर ऋ.10/39, 10/40

8. इनदराणी कल 17 मनदतर ऋ. 10/86, 10/145

9. यमी ववसवती कल 11 मनदतर ऋ. 10/10, 10/154

10. दतकषणा पराजापसय कल 11 मनदतर ऋ. 10/107

11. अददतत कल 10 मनदतर ऋ. 10/72, 4/18

12. वाक आरणी कल 8 मनदतर ऋ. 10/125

13. जह बरहमजाया कल 7 मनदतर ऋ. 10/109

14. अगससय सवशा (रतगनी) कल 6 मनदतर ऋ. 10/60

15. उवशशी कल 6 मनदतर ऋ. 10/95

16. सिम दव शनी कल 6 मनदतर ऋ. 10/108

17. तशिवतणडनी अपसिा कल 6 मनदतर ऋ. 9/104

18. पौलमी शची कल 6 मनदतर ऋ. 10/159

19. दवजामयाः कल 5 मनदतर ऋ. 10/153

20. शरिा-कामायनी कल 5 मनदतर ऋ. 10/151

16 इनदरपरसथ शोध सदशश

21. सापश िाजयी कल 3 मनदतर ऋ. 10/189

22. गोधा कल 1 मनदतर ऋ. 10/134

23. वसक पतनी कल 1 मनदतर ऋ. 10/28

24. िोमशा बरहमवाददनी कल 1 मनदतर ऋ. 11/126

तजस परकाि स ऋववद म ऋतरकाओ न मनदतरो को िचा ह उसी परकाि स अथवशवद री

ऋतरकाओ क मनदतरो स तवरतरत ह । इसम कल 198 मनदतर 5 ऋतरकाओ क दवािा िच गए ह तजनदह

तनमन तातलका स सगमता स समझा जा सकता ह ।

करम.स० ऋतरका मतर सनददरश

1. सयाश सातवतरी 139 14/1-2

2. मातनामा 40 2/2, 4/20, 8/6

3. इनदराणी 11 20/126

4. दवजामयाः 5 20/93

5. सपशिाजयी 3 20/48

इन ऋतरकाओ न न कवल मनदतरो को िचा बतलक उनक िहसयो को समझकि उनका परचाि-

परसाि री दकया। ससकत म ऋतर का अथश होता ह- मनदतरो का दषटा उनक िहसयो को समझ कि

परचाि किन वाला।4 ससकत वागमय म ऋतरकाओ को बरहमवाददनी री कहा गया ह ।5

वद स आग चलकि जब हम वदानदत पि दतषटपात कित ह तो औि री आशचयशजनक

परिणाम तसतरयो की दशा-ददशा क सबनदध म हमाि सभमख परकट होत ह। यथा - ततततिीय बराहमण

17 इनदरपरसथ शोध सदशश

म सोम दवािा सीता सातवतरी ऋतरका को तीन वद ददए गए थ ।6 (त, बरा, 2/3/10,1,3) इसी परकाि

इसी बराहभण म मन की पतरी इडा को यजञानशातसनी कहा गया ह,7 तजसका अथश सायणाचायश कछ

यो कित ह- यजञ तसव परकािान समथाश’। (त,बरा 1/1/4/4) यहा पि पतरी इडा अपन तपता मन को

सबनदधी सलाह दत हए कहती ह- दक तभहािी अतगन का ऐसा आधान करगी, तजसस तभह पश,

रोग, परततषटा औि सवगश परापत ह ।8

पराचीन काल म तसतरयो को परायः दो सबोधनो स पकािा जाता था-

1. बरहमवाददनी- जो यजञोपतीत, अतगनहोतर, वदाधययन तथा सवगह म तरकषा किती ह ।9

2. सदयोदवाहा- यजञोपवीत तो इनका री अतनवायश था। यजञोपतीत तववाह क समय किा दत थ ।

य सदयोदवाहा सामानदयतः गहसथ का सचालन किन वाली होती थी ।10

इसी परकाि शतपथ बराहभण म याजञवलकय की पतनी मतरयी को बरहमवाददनी कहा गया ह

। बहदािणयक उपतनरद म बरहमवाददनी का अथश आदद जगत गर शकािाचायश न कछ यो दकया

ह- बरहमवादन शील यातन बरहम का अथश वद । बरहमवाददनी शील अथाशत वद का परवचन किन

वाली ।11

इसी उपतनरद म गागी री बरहमचारिणी कही गई ह । यानी बरहम यातन वद का अनसिण

किन वाली ।12 य नारिया न कवल शरषठ गहातसथन की रतमका तनवशहन किती थी अतपत जञान क

कषतर म री अपनी पताका लहिाती थी । गागी क वदषय क सभमख तो याजञवलकय जस उदरट

तवदवान को री तवचलन हो गया औि उसक वशीरत उनको गागी को परशन पछन स यह कहकि

िोकना पडा दक 'बसकि नही' तो तिा अतहत होगा ।13 इसी परकाि स छानददोवयोपतनरद म ऋतर

ससयकाम की माता जाबाल का उललख री आता ह। जो न कवल ससयकाम को पालती ह बतलक

उसको ससय कहन का साहस री परदान किती ह ।14

महाकावयो म सतरी

इस परकाि स वद औि उपतनरद काल की तसतरयो क तवरय म हमन कछ तवचाि दकया।

अब हम महाकावय कालीन तसतरयो क परिपरकषय म कछ तवचाि किन का परयास कित ह। सवशपरथम

िामायण काल पि परकाश डालत ह। वालमीदक िामायण म तसतरयो की दशा-ददशा न कवल उननत

18 इनदरपरसथ शोध सदशश

थी बतलक व सरी दकरया कालापो म री सहराग किती थी । ककयी जसी तवदरी औि साहसी सतरी

न कवल तनणशय तनमाशण (Decision Making) म सहराग किती थी बतलक यि कौशल म री

असयतधक परवीण होन क कािण महािाज दशिथ क साथ िणकषतर म री जाती थी। दो विदान

तजनक कािण िघवश का इततहास परिवशततत हआ, ककयी को िणकषतर म ही परापत हए थ ।15

वदवती नामक कनदया तजस चािो वद कठसथ थ, का उललख िामायण, तवषणपिाण,

माकश नदडयपिाण आदद म आता ह । िावण क साथ दवयशवहाि क कािण शराप क वशीरत य अगल

जनदम म सीता क रप म उसपनन हई ।16

हमा, सवयपररा तो मतहलाओ क तलए न कवल सवतनदतर रप स गरकल का सचालन किती

थी बतलक बला-अतत बला तवदयाओ म री पािगत थी ।17 शबिी री जोदक मतग ऋतर की तशषया

थी इसी परकाि क वदषय स परिपणश थी, इस शरी िाम न नवधा रतकत का उपदश ददया।18 वसततः

यह री बरहमवाददनी री थी।

िामायण म सीता, अरधती, मनददोदिी, सलोचना, अनसइया आदद ऐसी अनक तसतरयो का

उललख ह दक जो न कवल बरहमवाददनी थी बतलक वकत पडन पि तनणशय तनमाशण परदकरया को री

पररातवत किन का सामथयश िखती थी ।19

महाराित म री अनक सथानो पि इस परकाि की मतहलाओ का उललख ह जो न कवल

बरहमवाददनी ह बतलक शासन वयवसथा पि री उनका परराव ह। उदाहिण सवरप कछ का

नामोललख किना समीचीन परतीत होता ह।

महाराित क शलयपवश म रािदवाज ऋतर की पतरी शरतावती बरहमचारिणी थी । वह

अतववातहत थी औि वदाधययन किती थी ।20 यही पि तसि नामक बरहमचारिणी का री उललख

ह । जो दक वदाधययन किती थी औि अपन तप क बल पि मतकत को परापत हई ।21 इसी परकाि

महासमा शातडलय की पतरी शरीमती थी तजसस अपन तप स अनक वरतो को धािण दकया ।22 वह

वदतवत थी। अपन इन सवराव क कािण वह बराहमणो क दवािा पतजत होन क उपिात सवगश को

परापत हई। इसी परकाि स महाराित म सलरा नामक वरहमवाददनी सनदयातसनी का उललख ह तजसन

जनक की सरा म अपना वदषय परकट दकया। यही पि यह कहती ह दक म सपरतसि कषततरय कल म

19 इनदरपरसथ शोध सदशश

उसपनन सलरा ह अपन अनरप पतत न तमलन पि मन गरओ स शासतरो की तशकषा परापत की औि

अब सनदयास गरहण दकया ।23

माधवाचायश न महाराित तनणशय म रौपदी क वदषय को री परमखता स उदघारटत दकया

ह। इसी परकाि रागवत म सवधा की दो पततरयो का उललख आता ह जोदक वधना औि धारिणी

नाम स जानी गई व असयनदत तवदरी थी औि जञान-तवजञान म तनषणात थी ।24

अथवशवद कनदयाओ को बरहमचयश पणश किन क उपिात तववाह क तलए तनरदशषट किता ह ।25

(अथवश. 11/7/18) बरहमचयश स अतरपराय वदानसधान ही ह । महाराित का आददपवश इस बात

का समथशन किता ह जब वह कहता ह दक बरहमचारियो का तववाह बरहमचारियो स ही होना

चातहए। कयोदक जञान-तवजञान की दतषट स दोनो ही समान होन पि सतषट िह सकत ह ।26 (महा

आददपवश 1/131/10) महररश दयाननदद न री ऋववद क रावय म इसकी पतषट की ह व तलखत ह दक

जो कनदयाए 24 वरश तक बरहमचयशपवशक सागोपाग वद तवदयाओ को पढती ह व मनषय जातत को

शोतरत किती ह ।27

महाराित म सररा री सवशगण सपनन थी औि असतर-शसतर तथा वाहन सचालन म अपन

राईयो क ही समककष थी।28 उपयशकत नारियो का उललख यह नही दशाशता दक इनकी सखया एक-

दो म ही िही होगी बतलक य समाज क सवराव का परिचय री दती ह । पराचीन राितीय समाज

म तसतरयो को अपन पततयो को विन का री अतधकाि था । सवयबि वयवसथा का अभयदय औि

वयवहाि उनक सवातनदय औि सभमान का री परिचायक था। अनक तववाहो क तलए 'सवयवि' का

उललख हआ ह। यथा सीता, सातवतरी तथा रोपदी आदद का तववाह सवय वि पितत स ही सपनन

हआ। सातवतरी-ससयवान का परसग तो न कवल सतरी सवातनदय का परिचायक ह बतलक उनकी

नवाचािी पदवतत को परोससाहन दन वाला री ह।29 इस परकाि स महाकावयो म री तसतरयो की दशा-

ददशा पयाशपत उननत थी। शरीमद रागवत महापिाण म दवहतत औि कदशम ऋतर का तववाह री सतरी

सवातनदय की ओि इतगत किता ह।30

कातलदास दवािा परणीत 'अतरजञान शाकनदतलम' जोदक महाराित का ही तवसताि ह,31 म

री तसतरयो की दशा-ददशा का उललख तमलता ह। 'मालतवकातगनतमतरम' आदद म री तसतरयो की दशा-

ददशा पि पयाशपत परकाश डाला गया ह ।32 बाणरटट, शर, राितव, रित मतन आदद ससकत क तवदवान

20 इनदरपरसथ शोध सदशश

लखको क सातहसय म री तसतरयो की उननत तथा सवातनदय मनोवततत दकनदत समाज क साथ

समनदवयकािी वयवहाि का परिचय री हम दखन को तमलता ह।

समततकाल म री तसतरयो की दशा-ददशा न कवल पयाशपत उननत थी बतलक उनक सिकषण-

सविशन क उपायो क सबनदध म री पयाशपत तचनदतन-मनन किन क उपिात वयवसथाओ का तनमाशण

दकया गया था । मनसमतत क 2694 शलोको म स लगरग (90) शलोक मातर तसतरयो क सिकषण/सविशन

स ही सबतनदधत ह ।33

इस परकाि स पिाणो म री मतहलाओ की तसथतत असयत उननत िही ह। कौरटलय क

अथशशासतर क अनशीलन स री धयान म आता ह दक उस काल म न कवल मतहलाओ को अनक

परकाि क अतधकाि पररो की ही रातत परापत थ बतलक मतहलाओ क अतधकािो क सिकषण/सविशन

क तलए अनक परकाि क परावधान दकए हए थ ।34 कशमीि म कठआ जोदक पराचीन काल म कठ क

नाम स परतसि था, यह पिा गणिाजय मतहलाओ सतहत बहत ही बहादिी स तसकनददि क तवरि

लडा था ।35 इस परकाि स मतहला की तसथतत बहतवध परकाि स सदढ थी।

पातणनीय अषटाधयायी क अधययन स री यह सजञान म आता ह दक उस समय मतहलाओ

क तलए न कवल पथक स गरकलो का परचलन था बतलक मतहला आचायाश री हआ किती थी ।

औधमधा नाम की आचायाश पथक स मतहलाओ क तलए शरषठ गरकल का सचालन किती थी।

सहतशकषा क कनददो का री उललख तमलता ह ।36

पषयतमतर शग का कालखणड जोदक आज स लगरग 2150 वरश क आसपास बठता ह म

मतहलाओ की तसथतत अचछी थी ।37 कातलदास ितचत 'मालतवकातगनतमतरम' इस पि तवसताि स

परकाश डालता ह। कातलदास की पतनी 'तवदयोतमा' जोदक सवय री बहत तवदरी थी का तववाह

कातलदास स दकस परकाि हआ, वह हम सबको तवददत ही ह। इस परकाि स आज स दो हजाि वरश

पवश तक राित म मतहलाओ की तसथतत असयनदत शरषठ थी। यदयतप बौि काल क उदभव क कािण

औि उनका तहनदद (वददक) पिपिा पि परराव क कािण मतहलाओ क अतधकािो म कमी आनी शर

हो गई थी, कयोदक बौि पिपिा म मतहलाए तनवाशण की अतधकारिणी नही समझी गई। कालानदति

म रगवान बि की मा औि पतनी न सकडो मतहलाओ क साथ दीकषा परातपत क तलए तवतरनन परकाि

स सघरश दकए ।38 तथातप उनदह पणश अतधकाि नही तमल । मतहलाओ का एक सघ बना ददया गया

जोदक दकसी वरिषठ बौि तरकष क आतधपसय म कायशित िहा ।39 इस परकाि स सतरी को माया औि

21 इनदरपरसथ शोध सदशश

निक का दवाि री बौि पिपिा क परराव क कािण ही माना गया। सनातनी पिपिा म सतरी सवशतवद

परर क ही समान न कवल सवशकायो म सहरागी िही अतपत परर औि सतषट क कलयाण का कािक

री िही। इसीतलए पिाणो म दवताओ क पवश दतवयो क नामो क उललख परचलन दतषटगोचि होता

ह । यथा- िाधा कषण, सीता िाम, उमा महशवि, लकषमी नािायण आदद-आदद। तवतलयम जोनदस री

अपन तवचािो म राितीय नािी क शरषठसव का उललख कित ह ।40

राितीय इततहास म सतरी

कालानदति म री राितीय नारियो न अपन वदषय औि पिाकरम स सरी को तबतसमत दकया ; उसक

कछ उदहािण तनमन ह ।

⮚ 12वी सदी म दतकषण राित काकातीय सामराजय की िानी ररभमा का पिाकरम सवशतर वयापत

था।41

⮚ रतकतकाल म अनक मतहला रकतो का उललख हम तमलता ह। यथा- मीिा, तललशविी, कषण

रतकतन ताज बीबी, आदद-आदद।42

⮚ होलकि िाजय की महािानी अतहलया बाई होलकि तजनकी िाजधानी इनददौि थी न, न कवल

मतहलाओ क उसथान क तलए सवय कायश दकया बतलक उनको आरथशक सवालबन क तलए उनक

सहयोगी समहो (Self Help Groups) का री तनमाशण दकया। म0 पर0 की माहशविी सातडयो

क उसपादन औि उनननयन म उनका बहत बडा योगदान ह। सोमनाथ क मतनददि क जीणोदवाि

क तनतमतत री इनदहोन कायश दकया ।43

⮚ तशवाजी की माता जीजा बाई ।44

⮚ जबलपि की िानी दगाशवती ।45

⮚ झासी की िानी लकषमी बाई औि उनकी सखी अवतनदतबाई ।46

⮚ 19वी सदी की परमख तशकषातवद तजनदहोन मतहला तशकषा क तलए बहत कायश दकया। यदयतप

अगरजो क आन क पवश राित म मतहला तशकषा री पररो क ही समान दी जाती थी। दकनदत

अगरजो न इस धवसत दकया ।47

इस परकाि स वदकाल स लकि आज तक यदद समगरता स मतहलाओ की दशा-ददशा का

मलयाकन दकया जाव तो यह सजञान म आता ह दक राित (सासकततक राित या वहद राित म

आज री) म मतहलाओ की तसथतत सरी परकाि स उननत एव पररो क समककष िही ह दकनदत

22 इनदरपरसथ शोध सदशश

उपतनवशी मानतसकता क चलत हमन इस न कवल कमति किक परसतत दकया ह बतलक सवय को

कटघि म खडा किन क परयास री दकए ह । इसस न कवल तवशव म राित की छतव घतमल हई ह

बतलक हमािी यवा पीदढया री आसमतवसमतत को परापत होकि आसमतवशवास तवहीन हई ह । म एक

तातलका नीच द िहा ह तजसस सपषट हो जाएगा दक बहद राित म दकस परकाि स मतहलाए समान

रप स परततषठातपत थी जबदक पतशचम न सवय अपनी मतहलाओ क परतत दोयम दज का वयवहाि

दकया औि राित को कटघि म खडा किता िहा । सि तवतलयम जोनदस न इस तवरय म तवसताि

स परकाश डाला ह ।48

पाशचासय जगत म सतरी

फातससी दाशशतनक चालसश फरियि को 1837 म 'फतमतनजम' (नािीवाद) शबद उसपनन किन

का शरय जाता ह । नािीवादी तवचािधािा को 1872 म फास औि नीदिलड म, 1890 म तबरटन

औि 1910 म सयकत िाजय अमरिका म दखा गया । ऑकसफोडश इतवलश तडकशनिी क अनसाि,

वरश 1894 को पहली बाि नािीवादी शबद की उपतसथतत क रप म मनाया गया।

नािीवादी मतहला कायशकताशओ न तववातहत मतहला सपततत अतधतनयम क रप म अतधक

स अतधक तवधायी समानता क तलए ससद औि मतातधकाि यातचकाओ क साथ 1840 क दशक

म अमरिका औि तबरटन म सावशजतनक िाजनीतत क कषतर म परवश दकया। एक सीतमत मतातधकाि

औि अमरिका म 1920 म सावशरौतमक मतातधकाि क साथ तबरटन म 1828 म, वोट जीतन म नािी

मतातधकाि को सफलता तमली। उननीसवी औि बीसवी सदी म नािीवादी कायशकताशओ दवािा

मतहलाओ क तलए वयापक सति पि समान अतधकाि, समान अवसि औि मतातधकाि क तलए

सघरश जािी िह ।49

फास म नािीवाद

सन 1909 म शहमहल न फ च यतनयन फॉि वीमस सफज की सथापना मतहलाओ क

मतातधकाि की माग को लकि की । 1918 म जाकि सपततत क अतधकाि क आधाि पि मतहलाओ

को सीतमत मतातधकाि परदान दकया गया। 1928 म एक लभब सघरशकाल क बाद री वयसक

23 इनदरपरसथ शोध सदशश

मतातधकाि क आधाि पि मतहलाओ को पररो क बिाबि अतधकाि नही तमल थ। 1936 म फास

क नए िाषटरपतत तलयोन बलम न अपनी पॉपलि फट की सिकाि म मतहलाओ को री शातमल दकया

था । उसक बाद 1944 म फातससी मतहलाओ को पणश नागरिकता का अतधकाि, तजसम

मतातधकाि री शातमल था, ददया गया ।50

तबरटन म नािीवाद

1910 म मतहलाए कई परमख तचदकससा सकलो म राग लन री गई थी। 1915 म अमरिकन

मतडकल एसोतसएशन न मतहला सदसयो को सवीकाि किना री शर कि ददया। 1918 क लोक

परतततनतधसव अतधतनयम क अनसाि, मतहलाओ को मतदान दन का अतधकाि ददया गया, यदद व

सपततत की धािक औि 29 वरश स अतधक आय की थी। वरश 1928 म यह अतधकाि सरी मतहलाओ

को ददया गया जो 21 वरश स अतधक ह ।51

अमरिका म नािीवाद

1960 क मतहला तलबिशन मवमट (Women's Liberation Movement (WLM)) क

उददशय म परथम लहि नािीवाद क समानता का तसिानदत, बलक अतधकाि आदोलन (Black

Right Movement), नागरिक अतधकाि औि गलामी तविोध (Civil Rights and anti-

Slavery) एव िाजनीततक वयवसथा म परिवतशन इसयादद शातमल हो गए थ । इसक साथ ही

पररो की दतनया स अलग तवतरनन नए िाजनीततक सगठनो, छोट तविोधी दल, चतना समह,

परसयकष कािशवाई समह औि वकतलपक समहो का री उदय हो चका था । तजनका उददशय समाज

म मतहलाओ की रागीदािी औि उनक अतधकािो की िकषा किना था ।52 इसस यह धयान म आता

ह दक पाशचासय जगत म पयाशपत लभब सघरश क बाद मतहलाओ को सामातजक, आरथशक आदद जीवन

म सथान परापत हए औि अनक सथानो पि तो उनकी उपतसथतत आज री नगणय ह या उसक योवय

ही नही समझी जाती ह। इन परितसथततयो म जब हम राित क साथ तलना कित ह तो राित

की तसथतत बहत ही सदढ उरिकि हमाि सभमख आती ह दकनदत उपतनवशी वतात क चलत यह

कमति हो गई।

24 इनदरपरसथ शोध सदशश

िाजनीततक कषतरो म बहद राित की मतहलाए औि पतशचम की मतहलाए

दश का नाम िाषटरीय परमख का नाम वरश

1. राित

2. शरीलका

3.पादकसतान

4.बावलादश

5.बमाश

6. शरीलका

शरीमती इतनददिा गाधी

शरीमती तसरिमा बणडािनायक (तवशव की परथम

मतहला परधानमनदतरी)

बनजीि रटटो

शख हसीना

खातलदा तजया

आग-साग-सकी

शरीमती चतनदरका कमाि तगा (बटी) औि उनकी मा

शरीमती तसरि रावो रणडाि नामक (िाषटरपतत) थी

(दोनो न यह रतमका एक साथ तनवशहन की थी )

1966-77; 1980-84

1960-65; 1970-77;

1994-2000

1988-90; 1993-96

1996-2001; 2009-

अरी तक

1991-96; 2001-2006

2016-21(सना दवािा

सतताचयत दकया गया)

1994 (परधानमतरी)

1994-2005 (िाषटरपतत)

1. अमरिका

2. इवलणड

3. फास

4. जमशनी

आज तक कोई मतहला िाषटरपतत नही बन सकी

शरीमती मागशिट थचि (जो दक सवय का कायशकाल

री पिा न कि सकी)

थिसा म (समय पवश ही हटा दी गई)

इतडथ करसन

एजला मकल

225 वरश स अतधक

1979-90

2016-19

1991-92

2005- अरी तक

25 इनदरपरसथ शोध सदशश

इस परकाि यह भरमकािी ह दक राित म मतहलाओ को यथषट सभमान परापत नही था । यदद

ऐसा नही था तो अनक काम मतहलाओ न जो दकए व राित की मतहलाओ क ही दवािा कयो दकए

गए। राित म ऐसा न कवल सामातजक सति पि परचतलत था बतलक जतवक रप स री मतहलाओ

म यह गण तवकतसत हो चका था । दकनदत उपतनवशी वततानदत क चलत हमािी यवा पीढी को

काफी लभब समय स यही पढाया जाता िहा ह दक राित म मतहलाए सदव स ही दोयम शरणी की

वसत िही ह । यदद राित का सभपकश पाशचासय जगत क साथ न हआ होता तो राित म नािी आज

री पददतलत होती । यह राव राितीय जनमानस म कोई एक-दो ददन म तवकतसत नही हआ ह

इसको तवकतसत किन म कई सौ वरो का समय लगा ह।53 औि इस समय म जो परयास दकए गए

कालानदति म व ही परयास राितीय तशकषा वयवसथा क माधयम स अकादतमक जगत का तवमशश बन

औि वहद वतात क रप म हमािी यवा पीढी क सभमख तसिानदतो या मानदयताओ क रप म परसतत

हए। फलतः बहत ही सहज-सिल रप म वो सब तजसको सामराजयवादी परचारित-परसारित किना

चाहत थ, राित क यवाओ क मधय म अकादतमक तवमशश क रप म परचारित-परसारित होन लगा।

इसतलए वासततवकता क सथान पि एक भरामक परिदशय न कवल तनरमशत हआ बतलक उसन सथयश

री परापत कि तलया। इसतलए यह समीचीन ह दक आज की यवा पीढी ससकत वागमय का तवसताि

स अधययन कि तजसस वह अपनी समि तविासत स परितचत हो सक औि पनः तवशवगरसव की

शरणी को परापत हो सक । औि ऐसा न कवल राित क तलए महसवपणश ह बतलक यह तवशव कलयाण

क मागश री परशसत किगा।

सनददरश

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2. ऋववद - 10/102/2

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7. तदव 1/1/4/4

8. तदव 1/1/4/6

26 इनदरपरसथ शोध सदशश

9. आचायश बलदव उपाधयाय, वददक सातहसय औि ससकतत, (2015) शािदा ससथान, वािाणसी,

प० 426

10. तदव

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15. वालमीदक िामायण, अयोधयाकाणडम, एकादश सगश, 18-19 शलोक

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18. वालमीदक िामायण, अिणयकाणडम, 74 वा सगश

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26. महाराित - आददपवश- 1/131/10

27. ऋववद - 5/62/11

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29. महाराित – पततवरतामाहासभयापवश, 293 वा अधयाय

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27 इनदरपरसथ शोध सदशश

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