आय.एम.हिप्परगी सह-अद्यापक आदर्श...

19
1 Soft@Education आम.एभ ्.हहऩयगी सह-अाऩक आदश विारम रोकाऩूय-रानसटी

Transcript of आय.एम.हिप्परगी सह-अद्यापक आदर्श...

1

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

2

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

ननफॊध 5 अॊक 1. इॊटयनेट से राब *अथश

*उऩमोग *ितशभान आिश्मकता *उऩसॊहाय

2. कनाशटक का िैबि *प्रस्तािना *प्राकृनतक ऩरयिेर् *विरे्षताएॉ *उऩसॊहाय

3. जनसॊख्मा की सभस्मा *प्रस्तािना *जनसॊख्मा िवृि के कायण औय ऩरयणाभ *जनसॊख्मा ननमॊत्रण के उऩाम *उऩसॊहाय

4. िन भहोत्सि *िृऺ ों का उऩमोग *िनों से प्राप्त होनेिारी विनबन्न िस्तुएॉ *िनों के नार् का कायण * उऩसॊहाय

5. ऩमशटन से राब *प्रस्तािना *ऩमाशटन- एक उद्योग *ऩमाशटन का विकास *उऩसॊहाय

1) इॊटयनेट से राब

प्रस्तािना इॊटयनेट हभाये आज के जीिन भें फहुत ही भहत्िऩूणश हो गमा है। इॊटयनेट आधुननक औय उच्च तकनीकी विऻान का एक भहत्िऩूणश आविष्काय है। आज का मुग इॊटयनेट मुग है । फडे फूढों से रेकय छोटे फच्चों तक सफ ऩय इस इॊटयनेट - क्ाॊनत का असय ऩडा है । इॊटयनेट एक तयह से विश्वव्माऩी कॊ प्मूटयों का अॊतजाशर / नेटिकश है,

जजसकी िजह से ऩूये विश्व का विस्ताय एक गाॉि का - सा छोटा हो गमा है । मे हकसी बी व्मवि को दनुनमाॊ के हकसी बी कोने भें फैठे हुए भहत्िऩूणश जानकारयमाॊ प्रदान कयने की सुविधा प्रदान कयता है।

इॊटयनेट का अथश इॊटयनेट अननगनत कॊ प्मूटयों के ि अॊतजाशरों का एक दसूये स ेसॊफॊध स्थावऩत कयने का जार है ।

इॊटयनेट का उऩमोग

इॊटयनेट द्वाया ऩर बय भें, वफना ज्मादा खचश हकए कोई बी विचाय हो , जस्थय नचत्र हो , िीहडमो नचत्र हो , दनुनमा के हकसी बी कोने भें बेजना भुभहकन हो गमा है ।

चाहो तो ऩूये एक ऩुस्तकारम की हकताफों के विषम को कभ सभम भें कहीॊ बी बजे सकते हो ।

र्ामद इॊटयनेट के वफना सॊचाय ि सूचना दोनों ही ऺेत्र ठऩ ऩड जाते हैं ।

इॊटयनेट द्वाया घय फैठे - फैठे खयीदायी कय सकते हैं ।

कोई बी वफर बय सकते हैं । इससे दकूान जाने औय राइन भें घॊटों खडे यहने का सभम फच सकता है ।

इॊटयनेट फैंहकॊ ग द्वाया दनुनमा की हकसी बी जगह ऩय चाहे जजतनी बी यकभ बेजी जा सकती है ।

िीहडमो कान्पयेन्स ' द्वाया एक जगह फैठकय दनुनमा के । देर्ों के प्रनतनननधमों के साथ 8-10 दयूदर्शन के ऩयदे ऩय । कय सकते हैं । एक ही कभये भें फैठकय विनबन्न देर्ों भें यहनेिारे रोगों के साथ विचाय - विननभम कय सकते हैं ।

इॊटयनेट की सहामता से फेयोज़गायी को नभटा सकत ेहैं । अननगनत रोगों को योज़गाय नभरा है

सोर्र नेटिहकिं ग साइटों के कायण देर् - विदेर् के रोगों की यहन - सहन , िेर् - बूषा , खान - ऩान के अरािा सॊस्कृनत , करा आहद का प्रबाि र्ीघ्रानतर्ीघ्र हभाये सभाज ऩय ऩड यहा है ।

ई - गिनने्स द्वाया सयकाय के सबी काभकाज का विियण , अनबरेख , सयकायी आदेर् आहद को मथाित ् रोगों को सूनचत हकमा जाता है । इससे प्रर्ासन ऩायदर्ी फन सकता है ।

इॊटयनेट भनोयॊजन का एक फहुत अच्छा भाध्मभ है।

आज के सभम भें ऑनराइन क्रासेस के भाध्मभ से कोई बी व्मवि घय ऩय ही ऩढकय ऩयीऺा दे सकता है।

जो रोग ऩाटश टाइभ जॉफ कयके ऩैसा कभाना चाहते हैं उनके नरए बी इॊटयनेट एक ियदान के सभान है।

इॊटयनेट हभायी ऩढाई भें बी फहुत भदद कयता है। हकताफ उन्हें इॊटयनेट की सहामता से ऩढ सकते हैं औय डाऊनरोड बी कय सकते हैं।

इॊटयनेट की हाननमाॉ इॊटयनेट की िजह से ऩैयसी , फैंहकॊ ग फ्ाॊड , हैहकॊ ग (

सूचना / खफयों की चोयी ) आहद फढ यही हैं ।

प्रस्तािना 1 विषम विस्ताय 2 उऩसॊहाय 1

3

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

भुि िेफ साइट , चैहटॊग आहद से मुिा ऩीढी ही नहीॊ फच्चे बी इॊटयनेट की कफॊध फाॉहों के ऩार् भें पॊ स ेहुए हैं ।

इससे िि का दरुुऩमोग होता है |

फच्चे अनुऩमुि औय अनािश्मक जानकायी हानसर कय यहे हैं ।

इॊटयनेट ऩय व्मविगत जानकायी की चोयी फढ गई है, जैसे- के्हडट काडश नॊफय, फैंक काडश नॊफय आहद।

इॊटयनेट के फढते उऩमोग की िजह से कैं सय की फीभायी होने रगी है।

अफ रोग ऩरयिाय भें फैठकय फातें कयने की जगह ऩय अकेरे यहना ऩसॊद कयते हैं। जजसस े ऩरयिाय वफखयने रगे हैं।

इॊटयनेट के अत्मनधक इस्तेभार के कायण र्ायीरयक औय भाननसक दषु्प्रबाि बी होने रगते है

ितशभान भें ज्मादातय फच्चे औय मुिा रोग इॊटयनेट ऩय ही सभम व्मतीत कयते हैं।

इॊटयनेट का अत्मनधक इस्तेभार कयने स ेफच्चों भें नचडनचडाऩन होने रग जाता है |

उऩसॊहाय

इॊटयनेट एक ओय ियदान है तो दसूयी ओय िह अनबर्ाऩ बी है । इसनरए आऩ रोगों को इॊटयनेट से सचेत यहना चाहहए । इसे फेकाय की चीजों भें उऩमोग कयके अऩने सभम को फफाशद नहीॊ कयना चाहहए।

***********

2) कनाशटक का िबैि

प्रस्तािना जननी जन्भ बूनभश्च स्िगाशदवऩ गयीमनस । प्रत्मेक व्मवि का अऩनी जन्भबूनभ से अनुयाग औय उस ऩय अनबभान कयना सहज है । कनाशटक हभायी जन्भबूनभ है । महाॉ की प्राकृनतक सुषभा , साहहजत्मक िैबि औय ऻान - विऻान ऺेत्र की प्रगनत अऩाय है । देर् - विदेर् के रोग महाॊ की तकनीकी के विकास की भुिकॊ ठ से प्रर्ॊसा कयते हैं ।

प्राकृनतक ऩरयिेर्

प्रकृनतभाता ने कनाशटक याज्म को अऩने हाथों स े सॉिायकय सुॊदय औय सभिृ फनामा है । कनाशटक की प्राकृनतक सुषभा नमन भनोहय है । ऩजश्चभ भें विर्ार अयफी सभुद्र रहयाता है । इसी प्राॊत भें दजऺण से उत्तय तक पैरी रॊफी ऩिशतभाराओॊ को ऩजश्चभी घाट कहते हैं | इन्हीॊ घाटों का कुछ बाग सह्याहद्र कहराता है । दजऺण भें नीरनगरय की ऩिशतािनरमाॉ र्ोबामभान हैं । विरे्षताएॉ कनाशटक याज्म बायत का एक विकासर्ीर याज्म है। महाॉ की जनसॊख्मा छ् कयोड है। कनाशटक भें कन्नड बाषा फोरी जाती है। कनाशटक की याजधानी फेंगरूरू है। महाॉ विनबन्न प्राॊत के रोग आकय फस गमे हैं। फेंगरूरू नर्ऺा औय उध्मोग धॊधों का कें द्र है। महाॉ की अनेक सॊस्थाएॉ बायत भें प्रनसि है । फेंगरूरू को नसनरकान नसटी बी कहा जाता है।

कनाशटक भें सोना, चाॉदी, तॊफा, रोहा आहद कई प्रकाय के धातुएॉ नभरती है। कागज, रोहा औय इस्ऩात के फडे कायखाने हैं। कनाशटक भें नहदमाॉ फहती है, इनके जरप्रऩात भोहक है। कनाशटक की नर्ल्ऩकरा आद्भतु है। याजिॊर्ों ने कनाशटक याज्म की िचन साहहत्मकाय औय आधुननक कन्नड साहहत्मकायों ने साहहत्म को सभिृ फनामा। कनाशटक याज्म बायत देर् भें विकासर्ीर याज्म है । महाॉ फडे-फडे कायखाने हैं, उद्योग धॊधों का कें द्र है। महाॉ की नहदम औय जरप्राऩात देखने के नरए आकषशक हैं। कनाशटक की नर्ल्ऩकरा आद्भतु है। कनाशटक के साहहत्मकायों ने साये सॊसाय भें कनाशटक की कीनतश पैरामी |

उऩसॊहाय : कनाशटक के अतीत िैबि , ितशभान प्रौद्योनगकी विकास तथा प्रकृनत - सॊऩदा के साथ - साथ इस याज्म के भहान ्व्मविमों की साधना का ऩरयचम से हभको ऩता चरता है हक कनाशटक एक प्रगनतर्ीर याज्म है | औय हभाये नरए भहान याज्म है | ***********

4

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

3) जनसॊख्मा: सभस्मा

प्रस्तािना हभाये देर् भें अनेकों जहटर सभस्माएॉ हैं ।उनभें जनसॊख्मा िदृनध बी देर् की इन्हीॊ जहटर सभस्माओॊ भें से एक है । सॊऩूणश विश्व भें चीन के ऩश्चात ्बायत सफसे अनधक जनसॊख्मा िारा देर् है । जनसॊख्मा िदृ नध के कायण :

ननधशनता, फेयोजगायी, अनर्ऺा, रूज ढिाहदता, अॊधविश्वास, हीन बािना, आहद बी जनसॊख्मा िदृनध के कायण हैं ।

देर् भें फार-वििाह की ऩयॊऩया प्राचीन कार से अफतक प्रचनरत है जजसके परस्िरूऩ बी अनधक फच्चे ऩैदा हो जाते हैं ।

नर्ऺा का अबाि बी जनसॊख्मा िदृ नध का एक प्रभुख कायण है ।

ऩरयिाय ननमोजन के भहत्ि को अऻानतािर् रोग सभझ नहीॊ ऩाते हैं ।

ऩुरुष सभाज की प्रधानता होने के कायण रोग रडके की चाह भें कई सॊतानें उत्ऩन्न कय रेते हैं ।

देर् ने नचहकत्सा के ऺेत्र भें अऩाय सपरताएॉ अजजशत की हैं जजसके परस्िरूऩ जन्भदय की िदृनध के साथ ही साथ भतृ्मुदय भें कभी आई है ।

जनसॊख्मा िवृि के ऩरयणाभ

भहॉगाई की सभस्मा, फेयोजगायी की सभस्मा, दहेज प्रथा की सभस्मा, बाषा की सभस्मा, ऺेत्रिाद की सभस्मा रोगों के आिास के नरए कृवष मोग्म बूनभ औय जॊगरों को

उजाडा जा यहा है।

जनसॊख्मा ननमॊत्रण के उऩाम

नर्ऺा का प्रसाय- ऩरयिाय ननमोजन- वििाह की आम ुभें िवृि कयना- सॊतानोत्ऩवत्त की सीभा ननधाशयण

साभाजजक सुयऺा- सन्तनत सुधाय कामशक्भ- कहठन कानून रघु कयना है

उऩसॊहाय

जनसॊख्मा िदृनध की योक के नरए केिर प्रर्ासननक स्तय ऩय ही नहीॊ साभाजजक, धानभशक एिॊ व्मविगत स्तय ऩय प्रमास आिश्मक हैं । सबी स्तयों ऩय इसकी योक के नरए जागनृत अनबमान सफरोग कयना चाहहए । ***********

4) िन भहोत्सि

प्रस्तािना: हभ रोग अऩने जीिन भें कई प्रकाय से उत्सि भनाते हैं । ऩारयिारयक साभाजजक धानभशक एिॊ याष्ट्रीम उत्सिों भें रोग फढ-चढकय बाग रेत ेहैं । ऩयॊतु िन भहोत्सि इस सफसे फढकय ऐसा उत्सि है जो हभाये जीिन को सच्चा सुख प्रदान कयता है ।

िनभहोत्सि का भहत्ि

जजस प्रकाय से हभ अऩने घयो भें अन्म सबी ऩिश भनाते है औय उससे हभें कुछ नसखने को नसख नभरता है | तथा उसभे होने िारी कभी का हभें जानकायी नभरती है उसी प्रकाय से िनभहोत्सि से हभें मह ऻात होता है की, िनों भें ननिास कयने िारे ऩरु्-ऩऺी को कोई कष्ट तो नहीॊ| महद है तो उसका ननिायण कयना होता हैं|

िनभहोत्सि भानाने की विनध

िनभहोत्सि भानाने का सफसे सहज औय सयर तयीका मह है की, रोग को अऩने विद्यारम, दफ्तयों, कारेजो तथा सभाज के अन्म सबी स्थानों ऩय जहा ऩेड-ऩौधे नहीॊ है िहाॉ इससे सम्फॊनधत जागरूकता पैरानी चाहहए| की ऩेड-ऩौधे तथा िन से हभें अनधक राब प्राप्त होता है| इस हदन रोग अऩने आस-ऩास ऩौधे रगात ेहै जजससे िनों की ऩदैािाय भें कभी न आमे| इस प्रकाय स ेबायत देर् भें िनभहोत्सि भनामा जाता हैं

िनभहोत्सि भानाने का कायण

िन भहोत्सि भानाने के भहत्िऩूणश कायण मह हैं , की भनुष्म अऩने नरए ननिास स्थान नननभशत कयने हेतु िनों की अॉधा-धुन कटाई कय ऩरु्-ऩजऺमों को फेघय कय यहा है|

औय इससे उत्ऩन्न होनेिारी प्रकृनतक आऩदाओॊ जैसे बूकॊ ऩ,

सभम से िषाश न होना, सुखा तथा अकार की जस्थनत का साभना कयना इत्माहद की योकथाभ हेतू हभें िनभहोत्सि भानना चाहहए|

अथाशत बायत भें ऩमाशियण के सॊतुरन हेतु जजस अनबमान को आयॊब भें रामा गमा उसे हभने िनभहोत्सि का नाभ हदमा | इस अनबमान को सम्ऩूणश बायतिषश भें सिशप्रथभ िृऺ ायोऩण के नाभ स े प्रचनरत हकमा गमा है| जजसके भाध्मभ से हभें ऩमाशियण को सॊतुनरत यखने भें सहामता प्राप्त

5

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

होता है मह अनबमान सिशप्रथभ डॉ.याजेंद्र प्रसाद औय ऩॊहडत जिाहयरार नेहरू के नेततृ्िा भें सन १९४७ भें रागु हकमा गमा|

िनों द्वाया प्राप्त होनेिारे राब

िन अथाशत ऩेड ऩौधे इन सफ जीिों से हभें जीिन को सुखद तथा ननयॊतय आगे फढने का अिसय प्राप्त होता हैं| िनों स ेहभें जडी-फूटी अथाशत प्रत्मेक प्रकाय के औषधीम प्राप्त होते हैं, जो की एक भनुष्म जीिन के नरए अत्मॊत भहत्िऩूणश हैं|

उऩसॊहाय : अत् इन सफ कथनों से मह ननष्कषश ननकरता हैं कीॊ, हभ सबी को कभ से कभ दो मा दो से अनधक ऩौधे रगाना चाहहए| मे हभें बविष्म भें कापी हद तक भददगाय सावफत होगी |

हभें मह नहीॊ बूरना चाहहए की, िनों द्वाया हभें आक्सीजन प्राप्त होता है जजससे हभ फेहतय स्िास रेते है|

***********

5) ऩमशटन का भहत्त्ि

प्रस्तािना

जीिन का असरी आनॊद फहाय घुभाने भें है ; भस्ती औय भौज भें है | प्रकृनत के सौंदमश का यसऩान अऩनी आॉखों से उसके साभने उसकी गोद भें फैठकय ही हकमा जा सकता है | उसके नरए आिश्मक है – ऩमशटन |

ऩमशटन के राब

ऩमशटन का अथश है – घूभना | फस घुभने के नरए घूभना |

आनॊद-प्रानप्त औय जजऻासा-ऩूनतश के नरए घूभना | ऐसे ऩमशटन भें सुख ही सुख है | ऐसा ऩमशटन दैनॊहदन जीिन की बायी-बयकभ नचॊताओॊ से दयू होता है | जो व्मवि इस दर्ा भें जजतनी देय यहता है, उतनी देय तक िह आनॊदभम जीिा जीता है |

देर् विदेर् की जानकायी |

इससे हभाया ऻान सभिृ होता है | ऩुस्तकीम ऻान उतना प्रबािी नहीॊ होता जजतना हक प्रत्मऺ ऻान |

ऩमशटन से हभें देर्-विदेर् के खान-ऩान, यहान-सहन तथा सभ्मता-सॊस्कृनत की जानकायी नभरती है

भनोयॊजन होता है

ऩमशटन से योजगाय नभरता है

ऩरयिाय के साथ सभम वफताने का अिसय नभरता है

स्िास््म राब ऩमशटन/ नचहकत्सा ऩमटशन के नरए

नई जानकायी ऩाने के नरए

ऩमशटन से नुकसान

फडी भात्रा भें धन खचश होता है

देह व्माऩाय को फढािा जानभार का खतया, रूटऩाट का डय

प्रदषुण फढता है

सभम की फफाशदी

उऩसॊहाय : ऩमशटन से हभाया भनोयॊजन तो होता ही है, साथ ही साथ अनेक नई जानकायी नभरती है। हभाये साभान्म ऻान भें बी िवृि होती है। इसनरए हभ सबी को ऩमटशन के नरए जाना चाहहमे।

***********

6

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

व्मािहारयक ऩत्र : 5 अॊक

प्रेषक का ऩता

ऩत्र ऩानेिारे का ऩता

विषम

सॊफोधन

ऩत्र का करेिय 2

सभानप्त

1. अऩनी अस्िस्थता को कायण फताकय नतन हदनों की छुट्टी की भॊजूयी के नरए प्रधानाद्याऩक के नाभ एक ऩत्र नरजखए |

2. गाॉि जाने के नरए दो हदनों की छुट्टी भाॉगते हुए अऩने प्रधानाद्याऩक को एक ऩत्र नरजखए |

3. दीदी के वििाह भें बाग रेने के नरए नतन हदनों की छुट्टी भाॉगते हुए अऩने प्रधानाद्याऩक को एक ऩत्र नरजखए |

7

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

प्रस्तुत गद्याॊर् को ध्मानऩिूशक ऩढकय नीचे हदमे गमे प्रश्नों के उत्तय नरजखए : 4X1=4

ननम्न नरजखत कविताॊर् ऩूणश नरखीजी | 4X1=4

असपरता एक चनुौती है , इसे स्िीकाय कयो ,

क्मा कभी यह गई , देखो औय सुधाय कयो । जफ तक न सपर हो , नीॊद चनै को त्मागो तुभ ,

सॊघषश का भैदान छोडकय भत बागो तुभ ।

4/3 अॊक

नगल्र ू

01. नगल्रू के हक्मा - कराऩ के फाये भें नरजखए ।

िह स्िमॊ हहराकय अऩने घय भें झूरता यहता । * िभाशजी का ध्मान आकवषशत कयने के नरए ऩैय तक आकय सय से ऩयदे ऩय चढता औय उतयता । उन्हें चौंकाने के नरए कबी पूरदान के पूरों भें , कबी ऩयदे की चनु्नट भें , तो कबी सोनजूही की ऩवत्तमों भें नछऩ जाता । खाते सभम थारी से एक - एक चािर उठाकय फडी सपाई से खाता यहता । अस्िस्थता भें नसयहाने फैठकय नन्हें ऩॊजों से नसय औय फारों को हारे से सहराता । जखडकी के यास्ते फाहय जाकय हदन बय नगरहरयमों के झुॊड का नेता फनकय डार ऩय उछरता - कूदता ।

02. नगल्रू के अॊनतभ हदनों का िणशन कीजजए ।

उत्तय : नगरहरयमों के जीिन की अिनध दो िषश से अनधक नहीॊ होती , अत् नगल्रू की जीिन - मात्रा का अॊत आ ही गमा । हदनबय उसने न कुछ खामा , न िह फाहय गमा । ऩॊजे इतने ठॊ डे हो यहे थे हक , भैंने जागकय हीटय जरामा औय उसे उष्णता देने का प्रमत्न हकमा । ऩयन्तु प्रबात की प्रथभ हकयण के साथ ही िह नचय - ननद्रा भें सो गमा ।

03. रेजखका के प्रनत नगल्रू अऩनी बािना कैसे प्रकट कयता था ?

रेजखका जफ अस्ऩतार भें थीॊ , तफ नगल्रू उदास यहता , अऩना वप्रम खाद्य काजू फहुत कभ खाता । उनके कभये का दयिाजा खरुते ही अऩने झूरे से उस ओय दौडता , हकॊ तु िहाॉ हकसी औय को देखकय ननयार् होकय रौट जाता । रेजखका की अस्िस्थता भें उनके तहकए के नसयहाने फैठकय अऩने नन्हें ऩॊजों से उनके नसय औय फार सहराता था । इस प्रकाय नगल्रू अऩनो बािना प्रकट कयता था ।

8

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

फसॊत की सच्चाई

01. ऩॊहडत याजहकर्ोय की ऩयोऩकारयता अनुसयणीम है । स्ऩष्ट कीजजए ।

उत्तय : ऩॊहडत याजहकर्ोय का ऩयोऩकायी गुण हभाये नरए आदर्श है । िे नन्स्िाथश सेिा कयते हैं । िे फसॊत की भदद कयना चाहते हैं । उसके दघुशटनाग्रस्त होने का ऩता चरते ही िे उसके घय जाकय , डॉक्टय फुरिाकय ,

अस्ऩतार रे जाने का प्रफॊध बी कयते हैं । िे फसॊत की ईभानदायी , स्िानबभान औय भेहनत के गुण से प्रबावित हैं | औय उसकी सहामता को तत्ऩय हैं । हभें इन ऩयोऩकाय के गणुों का अनुसयण कयना चाहहए ।

02. फसॊत के उत्तभ गुणों का िणशन कीजजए । फसॊत भेहनती , स्िानबभानी औय ईभानदाय रडका है । वफना ऩरयश्रभ के भदद भें नभरे धन को िह बीख सभझता है । इसी गुण के कायण िह अऩनी घामर अिस्था भें बी ऩॊहडत याजहकर्ोय के ऩैसे अऩने बाई के हाथ नबजिाता है ।

03. ऩॊ ० याजहकर्ोय के भानिीम गुण अनुसयणीम हैं । कैसे ? फताइए ।

उत्तय : ऩॊ ० याजहकर्ोय भजदयूों के नेता थे । िे भजदयूों की फजस्तमों भें जाकय | उनकी भदद कयते थे । फाज़ाय भें फसॊत की दर्ा औय ऩरयश्रभ देखकय प्रसन्न हुए औय उसकी भदद कयना चाहा । फसॊत को दघुशटना भें घामर होने की फात से | फहुत दु् खी हुए । तुयॊत डॉक्टय को रेकय फसॊत की इराज कयिामी । नचहकत्सा | का बाय उठामा । इस तयह याजहकर्ोय सच्चे अथम भें भानिता की भूनतश थे ।

इॊटयनेट क्ाॊनत

04. " इॊटयनेट सचभुच एक ियदान है । ' ' कैसे ? स्ऩष्ट कीजजए ।

इॊटयनेट ने सॊचाय ि सूचना के ऺेत्र भें कभार हकमा है ।

कोई बी नचत्र , िीहडमो , सभाचाय , विषम कभ सभम औय कभ खचश भें |

हकसी को बी बेज सकते हैं । ई - फैंहकॊ ग द्वाया ऩैसों का रेन - दन कय सकते हैं ।

िीहडमो - कान्पयेन्स द्वाया अन्म रोगों के साथ सनचत्र चचाश कय सकते हैं ।

सोर्र नेटिहकश ग के कायण सबी प्रदेर्ों के रोगों की सॊस्कृनत को जान सकते हैं ।

ई - गिनने्स द्वाया प्रर्ासन ऩायदर्ी फनता है फेयोजगायी को नभटा सकते है ।

नचहकत्सा , कृवष , अॊतरयऺ ऻान , विऻान , नर्ऺा , देर् की सुयऺा | सबी ऺेत्रों भें इॊटयनेट का फडा मोगदान है । ( इनभें से कोई चाय अॊर् ) ।

05. इॊटयनेट के कायण सॊचाय ि सूचना के ऺेत्र भें एक नमी क्ाॊनत आमी है । " कैसे ? स्ऩष्ट कीजजए ।

इॊटयनेट ने सॊचाय ि सूचना के ऺेत्र भें कभार हकमा है ।

आज ऩहरे की अऩेऺा इॊटयनेट द्वाया ऩर - बय भें , कभ खचश भें कोई विचाय , नचत्र , िीहडमो को हकसी बी कोने तक ऩहुॉचा सकते हैं ।

कोई सॊदेर् , सभाचाय तथा हय प्रकाय की जानकारयमाॉ कभ सभम भें ऩहुॊचा सकते हैं ।

ऩुस्तकारम की ऩुस्तकों के विषमों को जजसे चाहे बेज सकते हैं ।

तॊत्रऻान के इस मुग भें इॊटयनेट के वफना सॊचाय ि सूचना का काभ तीव्र गनत से होना असॊबि ही है ।

9

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

कनाशटक सॊऩदा

06. कनाशटक की नर्ल्ऩकरा का ऩरयचम दीजजए ।

कनाशटक याज्म की नर्ल्ऩकरा अनोखी है । फादाभी , ऐहोरे , ऩट्टदकल्रू के भॊहदयों की नर्ल्ऩकरा औय

िास्तुकरा अद्भतु है । फेरूय , हरेफीडू , सोभनाथऩुय के भॊहदयों की भूनतशमाॉ सजीि रगती हैं | मे सुन्दय भूनतशमाॉ

याभामण , भहाबायत औय ऩुयाणों की कहाननमाॉ सुनती है । श्रिणफेरगोर भें 57 पुट ऊॊ ची गोभटेश्वय की नर्रा भूनतश दनुनमा को त्माग औय र्ाॊनत का सॊदेर् दे यही है । विजमऩुय के गोरगुॊफज की जव्हस्ऩरयॊग गैरयी

िास्तुकरा का अहद्वतीम उदहायण है | भैसूय का याजभहर कणाशटक के िैबि का प्रनतक है । प्राचीन सेंट

पीरोनभना चचश , जगनभोहन याजभहर ( आटश गैरयी ) का ऩुयातत्ि िास्तु सॊग्रहारम अत्मॊत आकषशक है |

07. कनाशटक के साहहत्मकायों की कन्नड बाषा तथा सॊस्तुनत को क्मा देन है ?

कनाशटक के अनेक साहहत्मकायों ने साये सॊसाय भें कनाशटक की कीनतश पैरामा है । िचनकाय फसिण्णा क्ाॊनतकायी सभाज सुधायक थे । अक्कभहादेिी , अल्रभ प्रबु , सिशऻ जैसे सॊतों ने अऩने िचनों द्वाया पे्रभ ,

दमा औय धभश की सीख दी है । ऩुयॊदयदास , कनकदास आहद बि कविमों ने बवि , नननत , सदाचाय के गीत गामे हैं | ऩॊऩा , यन्ना , ऩोन्ना , कुभायव्मास , हरयहय , याघिाॊक आहद ने भहान काव्मों की यचना की है औय आधनुनक कार के डॉ . चन्द्ररे्खय कॊ फाय , नगयीष कानाशड आहद प्रनसि साहहत्मकाय है । इस तयह कन्नड बाषा तथा सॊस्तुनत कनाशटक के नरए गौयि है |

10

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

3/2 अॊक

भातबृूभी 1. बायत भाॉ के प्रकृनत - सौंदमश का िणशन कीजजए ।

कवि बगिती चयण िभाशजी बायत भाॉ के प्रकृनत - सौंदमश का िणशन कयते हुए कहते है हक , बायत भें हये - बये खेत सुन्दय है । पर - पूरों से बया हुआ िन औय उऩिन है । बायत के बूनभ के अॊदय खननजों का व्माऩक धन है । भुि हस्त से बायत भाॉ सबी को सुख - सॊऩवत्त , धन - धाभ फाॉट यही है ।

2. भातबृूनभ का स्िरूऩ कैसे सुर्ोनबत है ?

कवि बायत भाता के स्िरूऩ के फाये भें कहते है हक , बायत भाता के एक हाथ भें न्माम का ऩताका है औय दसूये हाथ भें ऻान का दीऩ है । इन दोनों के सहामता से जग का रूऩ फदर दें भाॉ , कोहट - कोहट बायत िासी आज तेये साथ है । बायत के सकर नगय औय ग्राभ भें जम हहन्द का नाद गूॊजना चाहहए ।

3. कवि बायत भाता को ' अभयों की जननी ' क्मों कहते हैं ?

बायत बूनभ भें गाॉधी , फुि औय याभ जैसे अभय व्मविमों का जन्भ हुआ है |

कश्भीयी सेफ

4. पे्रभचॊद जी का जी क्मों ररचामा ?

ऩॊजाफी भेिापयोर्ों की एक दकूान ऩय अच्छे ,

यॊगदाय , गुराफी सेफ सजे थे । उन्हें देखकय पे्रभचॊदजी का जी ररचामा ।

5. पे्रभचॊद जी ने खयीदायी के फाये भें क्मा चेतािनी दी है ?

खयीदायी कयते सभम सािधानी फयतनी चाहहए । अन्मथा धोखा खाने की सॊबािना यहती है ।

6. सेफ की हारत के फाये भें नरजखए ?

ऩहरे सेफ तो सडा हुआ था | एक रुऩए के आकाय का नछरका गर गमा था । -

दसूया सेफ आधा सडा हुआ था ।

तीसया सेफ सडा तो नही था भगय एक तयप दफकय वफरकुर वऩचक गमा था । -

चौथा सेफ फेदाग था भगय उसभें एक कारा सुयाख था ।

11

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

नगल्रू 7. नगल्रू के दु् खद अॊत के फाये भें नरजखए ।

उत्तय : नगल्रू अऩने आखयी हदन न कुछ खामा ,

न ही फाहय गमा । जफ उसके ऩॊजे ठॊ डे होने रगे तो रेजखका ने हीटय जराकय उष्णता देने का प्रमत्न हकमा । ऩय सुफह होते ही िह नचय - ननद्रा भें सो गमा ।

8. नगल्रू ने रेजखका की गैयहाजयी भें हदन कैसे वफतामे ?

जफ कोई रेजखका के कभये का दयिाजा खोरा जाए तो , नगल्रू अऩने झूरे से उतयकय दौडता औय हपय हकसी दसूये को देखकय तेजी से अऩने घोंसरे भें जा फैठता । सफ उसे काजू दे जाते ,

ऩयॊतु िह अऩने वप्रम खाद्य को कभ खाता यहा । इस प्रकाय नगल्रू ने रेजखका के गैय हाजयी भें हदन वफतामे ।

9. नगल्रू के प्रनत भहादेिी िभाशजी की भभता का िणशन कीजजए ।

भहादेिी िभाश के ऩास फहुत से ऩर्ु - ऩऺी थे औय उनका रगाि बी उन्हे कभ नही था ऩयन्तु उनभें से नगल्रू ऩय भहादेिी िभाशजी को ज्मादा प्माय था । रेजखका ने नगरहयी को फडी कहठनाई से थारी के ऩास फैठना नसखामा । जहाॉ फैठकय नगल्रू एक - एक चािर उठाकय फडी सपाई से खाना नसखामा । जफ नगल्रू की जीिनमात्रा का अॊत आ गमा । तफ उसके ऩॊजे इतने ठॊ डे हो यहे थे हक रेजखका ने उसे हीटय जरामा औय उसे उष्णता देने का प्रमत्न हकमा । इन घटनाओॊ से ऩता चरता है हक भहादेिी िभाशजी को नगल्रू के प्रनत अनधक भभता थी ।

अनबनि भनुष्म 10. आधनुनक भानि की बौनतक साधना का

विियण कविता के आधाय ऩय दीजजए ।

उत्तय : आधनुनक भानि ने प्रकृनत के हय तत्ि को अऩने ननमॊत्रण भें कय नरमा है । िह नदी , ऩिशत ,

सागय राॉघ सकता है । उसका मान आकार् भें जा यहा है । िह ऩयभाणु प्रमोग बी कय यहा है । उसकी फौविक ऺभता असीनभत है । 11. आधनुनक भानि ने प्रकृनत के हय तत्ि ऩय

कैसे विजम प्राप्त की है ? िणशन कीजजए ।

उत्तय : आधनुनक भानि ने जर , विद्युत , िामु आहद प्रकृनत के तत्िों ऩय अऩना ननमॊत्रण कय यखा है । नदी , ऩिशत , सागय को राॉघ सकता ह । ऩयभाणु प्रमोग कय सकता है । व्मोभ से ऩातार तक सफ कुछ जानता है|

12. ' प्रकृनत ऩय सिशत्र है विजमी ऩुरुष आसीन ' इस ऩॊवि का आर्म क्मा है ?

आज भानि ने प्रकृनत के अनेक तत्िों को अऩने ननमॊत्रण भें कय नरमा है । िारय , विद्युत औय बाऩ अऩनी इच्छानुसाय फदर सकता है । अऩनी आऻानुसाय ऩिन के ताऩ को बी फदर सकता है ।

13. आधनुनक भानि की बौनतक साधना का विियण कविता के आधाय ऩय दीजजए ।

उत्तय : आधनुनक भानि ने प्रकृनत के हय तत्ि को अऩने ननमॊत्रण भें कय नरमा है । िह नदी , ऩिशत ,

सागय राॉघ सकता है । उसका मान आकार् भें जा यहा है । िह ऩयभाणु प्रमोग बी कय यहा है । उसकी फौविक ऺभता असीनभत है ।

12

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

भेया फचऩन 14. जरारुद्दीन कराभ को हकन - हकन विषमों के

फाये भें फताते थे ?

नर्जऺत व्मविमों , िैऻाननक खोजों , सभकारीन साहहत्म औय नचहकत्सा विऻान की उऩरजधधमों के फाये भें । 15. अधदरु कराभ का फचऩन फहुत ही ननजश्चॊतता औय

सादगी भें फीतने के कायण नरजखए ।

अधदरु कराभजी के वऩता आडॊफयहीन व्मवि थे औय सबी ऐर्ो – आयभिारी चीज़ों से दयू यहते थे । ऩय घय भें सबी आिश्मक चीजे़ सभनुचत भात्रा भें सरुबता से उऩरधध थीॊ । इस प्रकाय अधदरु कराभजी का फचऩन फहत ही ननजश्चॊतता औय सादगी भें फीता । 16. आनर्मम्भाजी अधदरु कराभ को खाने भें क्मा

क्मा देती थी ?

आनर्मम्भाजी अधदरु कराभजी के साभने केरे का ऩत्ता वफछातीॊ औय हपय उस ऩय चािर एिॊ सुगॊनधत स्िाहदष्ट साॊफाय डारती , साथ भें घय भें फना अचाय औय नारयमर की ताज़ी चटनी बी होती । 17. जैनुराफदीन नभाज़ के फाये भें क्मा कहते थे ?

जैनुराफदीन नभाज़ के फाये भें कहते है हक जफ तुभ नभाज़ ऩढते हो तो तुभ अऩने र्यीय से इतय ब्रह्ाॊड का एक इस्सा फन जाते हो , जजसभें दौरत , आमु , जानत मा धभश ऩॊथ का कोई बेदबाि नहीॊ होती । 18. र्म्सुद्दीन अखफायों के वितयण का कामश कैसे

कयते थे ?

र्म्सुद्दीन याभेश्वयभ भें अखफायों के एकभात्र वितयक थे । अखफाय याभेश्वयभ स्टेर्न ऩय सुफह की टे्रन से ऩहुॉचते थे , जो ऩाभफन से आती थी । इस अखफाय एजेंसी को अकेरे र्म्सुद्दीन ही चराते थे । याभेश्वयभ भें अखफायों की जुभरा एक हज़ाय प्रनतमाॉ वफकती थी ।

फसॊत की सच्चाई

19. स्िानबभानी फसॊत का ऩरयचम दीजजए ।

फसॊत एक अनाथ , गयीफ रडका है । ऩय स्िानबभानी है । भेहनत कयके छोट बाई के साथ जी यहा है । वफना छरनी नरए याजहकर्ोय जफ ऩैसे देने जाते हैं , उसे बीख भानकय इनकाय कयता है । डाक्टय जफ उसकी नचहकत्सा कयने रगते हैं तफ उसे अऩनी गयीफी की फात अखयती है क्मोंहक िह स्िानबभानी है ।

20. प्रताऩ याजहकर्ोयजी के घय क्मों आमा ?

फसॊत याजहकर्ोयजी से नोट रेकय बुनाने गमा । भोटय दघुशटना भें | उसके ऩैय कुचर गमे । िह फेहोर् हो गमा । होर् भें आते ही उसे | ऩसेै रौटाने का ध्मान आमा । उसने तुयॊत प्रताऩ को फचे ऩैसे देकय बेजा ।

21. फसॊत याजहकर्ोय से दो ऩैसे रेने से क्मों इनकाय कयता है ?

फसॊत याजहकर्ोय से दो ऩैसे रेने से इनकाय कयता है | क्मोंहक , नबन् िस्तु देखय ऩैसे रेना िह बीख होता है । िह बीख नही रेना नही चाहता था । िह भेहनत औय ईभानदायी से जीना चाहता था ।

22. फसॊत याजहकर्ोय के ऩास क्मों नही रौटा ?

फसॊत याजहकर्ोय के ऩास नही रौटा क्मोंहक ,

फसॊत ऩॊ.याजहकर्ोय के नोट रेकय बुनाकय िाऩस रौट यहा था तफ , िह एक भोटय के नीचे आ गमा था । भोटय उसके ऊऩय से ननकर जाने के कायण िह फेहोर् हो गमा था

23. फसॊत औय प्रताऩ अहीय के घय भें क्मों यहते थे ?

फसॊत औय प्रताऩ अहीय के घय भें यहते थे क्मोंहक , िे अनाथ औय गयीफ थे । उनका कोई खास घय नही था । उनके भाता - वऩता की भतृ्मु हो गई थी । दॊगों के हदनों भें उन्हें हकसी ने भाय डारा ।

13

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

तुरसी के दोहे 24. ननम्ननरजखत दोहे का बािाथश अऩने र्धदों भें

नरजखए :

1. भजुखमा भखु सों चाहहए , खान - ऩान को एक ।

ऩार ैऩोस ैसकर अॊग , तरुसी सहहत वििेक ।।

तुरसी के अनुसाय भुजखमा को भुख के सभान होना चाहहए । भुॉह जो बी खाता है - ऩीता है ,

उससे र्यीय के सबी अॊगों का सभान ऩारन ऩोषण कयता है । भुजखमा को बी वििेकिान होकय वफना बेदबाि के सबी सदस्मों को सभान रूऩ से देखना चाहहए । 2. .जड चेतन , गणु - षभम , विस्ि कीन्ह कयताय ।

सॊत- हॊस गणु गहहहॊ ऩम , ऩरयहरय िारय विकाय ।।

सवृष्टकताश ने इस दनुनमा भें जड - चेतन ; गुण - दोष सबी फनामा है । अथाशत ्इस सॊसाय भें अच्छे फुये , सभझ नासभझ के रूऩ भें अनेक गुण दोष बये हुए हैं , रेहकन हॊस रूऩी साध ुरोग विकायों को छोडकय अच्छे गुणों को अऩनाते हैं । 3. दमा धभश का भूर है , ऩाऩ भूर अनबभान ।

तरुसी दमा न छाॊहडमे , जफ रग घट भें प्राण ।।

दमा धभश का भूर है , औय , अनबभान ऩाऩ का भूर है । इसनरए तुरसीदासजी कहते हैं जफ तक हभाये र्यीय भें प्राण है , तफ तक हभें दमा नहीॊ छोडना चाहहए । 4. तुरसी साथी विऩवत्त के , विद्या विनम वििेक ।

साहस सुकृनत सुसत्मव्रत , याभ बयोसो एक ।।

तुरसीदासजी कहते हैं हक जफ हभें कोई विऩवत्त आती है तफ विद्या , विनम औय वििेक ही हभाये साथ ननबाते हैं । जो याभ ऩय बयोसा कयता है ,

िह साहसी सत्मव्रत सुकृतिान फनता है। 5. याभ नाभ भनन दीऩ धरु , जीह देहयी द्वाय ।

तरुसी बीतय फाहहयौ , जो चाहसी उजजमाय ।। प्रस्तुत दोहे भें तुरसीदासजी कहते हैं हक जजस तयह देहयी ऩय हदमा यखने से घय के बीतय तथा घय के फाहय आॉगन भें प्रकार् पैरता है उसी तयह याभ - नाभ जऩने से हभाये आॊतरयक औय फाह्य र्ुवि होती है ।

इॊटयनेट क्ाॊनत 25. फेंगरूरु विश्वबय भें क्मों प्रनसि है ? िणशन

कीजजए ।

फेंगरूरु नर्ऺा औय फडे - फडे उद्योग - धॊधों का कें द्र है । महाॉ देर् - विदेर् के रोग आकय फस गमे हैं । महाॉ प्रनसि बायतीम विऻान सॊस्थान ,

एच.ए.एर , एच.एभ.टी, आइ.टी.आइ, फी.इ.एर ,

फी.एच.इ.एर. जैसी फहृत सॊस्थाएॉ हैं । इसे '

नसनरकान नसटी ' कहते हैं ।

26. व्माऩाय औय फैंहकॊ ग भें इॊटयनेट से क्मा भदद नभरती है ?

व्माऩाय भें इॊटयनेट द्वाया घय फैठे - फैठे खयीदायी कय सकते है ।

कोई बी वफर बय सकते है ।

फैंहकॊ ग भें इॊटयनेट द्वाया दनुनमा की हकसी बी जगह ऩय चाहे जजतनी बी यकभ बेजी जा सकती है ।

27. ई - गिनसे क्मा है ?

ई - गिनसे द्वाया सयकाय के सबी काभकाज का वििणश , अनबरेख , सयकायी आदेर् को मताित रोगों को सूनचत हकमा जाता है । इससे प्रर्ासन ऩायदनर्श फन सकता है ।

28. इॊटयनेट का भतरफ क्मा है ?

इॊटयनेट अननगनत कॊ प्मूटयों के कई अॊतजाशरों का एक दसूये से सॊफॊध स्थावऩत कयने का जार है ।

29. िीहडमो कान्पयेन्स ' के फाये भें नरजखए ।

िीहडमो कान्पयेन्स ( काल्ऩननक सबागाय ) भें एक जगह फैठकय दनुनमा के कई देर्ों के प्रनतनननधमों के साथ 8-10 दयूदर्शन के ऩयदे ऩय चचाश कय सकते है । एक ही कभये भे फैठकय विनबन्न देर्ों भें यहनेिारे रोगों के साथ विचाय - विननभम कय सकते है ।

14

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

इभानदायी सम्भरेन भें 30. ऩयसाई जी को सम्भेरन भें क्मों फुरामा गमा

था ?

रेखक देर् के प्रनसि ईभानदाय थे । कामशक्भ का उद्घाटन कयने । उनके आगभन से उदीमभान ईभानदायों को फडी पे्रयणा नभरती ।

31. ऩयसाई जी ने कभया छोडकय जाने का ननणशम क्मों नरमा ?

सम्भेरन भें आकय ऩयसाई जी की कई चीजें चोयी हो गमीॊ । इससे तॊग आकय ऩयसाई जी ने कभया छोडकय जाने का ननणशम नरमा ।

32. रेखक दसूये दज ेभें क्मों सपय कयना चाहते थे ?

रेखक दसूये दज ेभें सपय कयना चाहते थे क्मोंहक , इससे उनको · 150 ' रूऩमा फचने के नरए ।

33. रेखक ने भॊवत्र को क्मा सभझामा ?

स्िगत सनभनत के भॊवत्र ऩुरीस को फुराने के नरए कहे तो रेखक ने भॊत्री को सभझामा हक ऐसे हयनगज भत कयेमे । ईभानदायों के सम्भेरन भें ऩुरीस ईभानदायों की तरार्ी रे , मह फडी अर्ोबनीम फात होगी । हपय इतने फडे सम्भेरन भें थोडी गडफडी होगी ही । '

सभम की ऩहचान

34. सभम अत्मॊत अनभोर है ' । कविता के आधाय ऩय स्ऩष्ट कीजजए ।

सभम अनभोर है ।

ईश्वय द्वाया भनुष्म को प्राप्त अनुऩभ धन है ।

सभम को व्मथश जाने नहीॊ देना चाहहए ।

फीता हुआ सभम िाऩस नहीॊ आता ।

सभम का सदऩुमोग कयनेिारों को ही सपरता प्राप्त होती है|

सभम की ऩहचान 35. कवि सभम का सदऩुमोग कयने को क्मों कहते

हैं ?

उत्तय : मह अभूल्म । मह बगिान का हदमा अनुऩभ धन है । सॊसाय का कोई बी द्रव्म इसकी फयाफयी नहीॊ कय सकता । सभम एक फाय फीत जाने के फाद िावऩस नहीॊ आता । व्मथश गॉिाने ऩय ऩछताना ही ऩडता है |

36. भानि के नरए सुख की प्रानप्त कफ सॊबि है ?

उत्तय : सभम फहुत अनभोर है । ऩरयश्रभ कयनेिारे को ही सुख की प्रानप्त सॊबि है । इसनरए सही सभम ऩय सही काभ कयने से सुख की प्रानप्त सॊबि है ।

37. सभम का सदऩुमोग कैसे कयना चाहहए ?

उत्तय : सही सभम ऩय सही काभ कयना चाहहए । आरस्म को त्मागकय सभम | का सदऩुमोग कयना चाहहए । हभें काभ कयने का जो अिसय प्राप्त होता है , उसे व्मथश जाने नहीॊ देना चाहहए ।

38. ' सभम की ऩहचान ' कविता का सॊजऺप्त सायार् नरजखए ।

उत्तय : सभम अनभोर है । मह ईश्वय द्वाया भनुष्म को प्राप्त अनुऩभ धन है । | सभम यहते ही हभें अऩने साये काभ ऩूये कय रेने चाहहए । काभ कयने के नरए | प्राप्त अिसय को व्मथश नहीॊ गॉिाना चाहहए । काभ को टारना नहीॊ चाहहए । क्मोंहक फीता हुआ सभम रौटकय नहीॊ आता । आरस्म नहीॊ कयना चाहहए । | स्िमॊ ऩय विश्वास यखते हुए अऩने काभ को ऩूयी रगन से कयना चाहहए ।

15

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

भहहरा की साहस गाथा 39. एियेस्ट की चोटी ऩय ऩहुॉचने के फाद वफछेन्द्री

ने क्मा हकमा ?

सागय भाथे का चुॊफन हकमा । हनुभान चारीसा औय दगुाश भाता की ऩूजा की । अॊग दोयजी के साभने आदय बाि से झुकी ।

40. वफछेन्द्री ऩार के ऩरयिाय का ऩरयचम दीजजए ।

वफछेन्द्री का जन्भ एक साधायण बायतीम ऩरयिाय भें हुआ था । उनके भाता का नाभ हॊसादेई नेगी औय वऩता का नाभ हकर्नऩार नसॊह था । िे अऩने भाता वऩता के ऩाॉच सॊतानों भें तीसयी सॊतान थी । वफछेन्द्री के फडे बाई को ऩहाडों ऩय जाना अच्छा रगता था । इसी जज़्फ ेसे वफछेन्द्री ऩिशतायोहण का प्रनर्ऺण रनेा र्रुू कय हदमा ।

41. वफछेन्द्री का फचऩन कैसे फीता ?

वफछेन्द्री का फचऩन फहुत भजुश्कर भें फीता । | फचऩन भें वफछेन्द्री योज़ 5 हकरोभीटय ऩदैर चर कय स्कूर जाता ऩडता था । नसराई का काभ सीख नरमा औय नसराई कयके ऩढाई का खचश जुटान ेरगी । इसी तयह उन्होंने सॊस्कृत भें एभ.ए तथा फी.एड तक की नर्ऺा प्राप्त की ।

42. एियेस्ट की चोटी ऩय ऩहुॊचकय वफछेन्द्री ने क्मा हकमा ?

एियेस्ट की चोटी ऩय ऩहुॉचकय वफछेन्द्री ने पािडे से ऩहरे फपश की खदुाई कय अऩने आऩको सयुजऺत रूऩ से जस्थय हकमा । इसके फाद अऩने घटुनों के फर फठैी । फपश ऩय अऩने भाथे को रगाकय उन्होंने सागयभाथे के ताज का चुॊफन हकमा । वफना उठे ही हनभुान चारीसा औय दगुाश भाॉ | का नचहा ननकारकय रार कऩडे भें रऩेटा औय छोटी - सी ऩजूा कयके इनको फपश भें दफा हदमा ।

43. वफछेन्द्री ने ऩहाड ऩय चढने की तैमायी हकस प्रकाय की ?

वफछेन्द्री ने ऩहाड ऩय चढने के नरए अनेक ऩहाडों ऩय चढकय अऩने रक्ष्म को ताज़ी यखी । वफछेन्द्री ने एियेस्ट | चढने के हदन सुफह चाय फजे उठी ,

फपश वऩघराई औय चाम फनाई । कुछ वफस्कुट औय आधी चॉकरेट का हल्का नाश्ता कयने के ऩश्चात िे रगबग साढे ऩाॉच फजे अऩने तॊफू से ननकर ऩडी ।

सूय स्माभ 44. कृष्ण अऩनी भाता मर्ोदा के प्रनत क्मों नायाज

है ?

कष्ण इसनरए नायाज है हक मर्ोदा हभेर्ा उसी को भायती है । फरयाभ को कबी नहीॊ डाटती

45. कृष्ण अऩनी भाता मर्ोदा के प्रनत क्मों नायाज़ है ?

कृष्ण अऩनी भाता मर्ोदा के प्रनत नायाज़ है क्मोंहक , मर्ोदा हभेर्ा कृष्ण को ही भायती है ,

औय बाई फरयाभ ऩय कबी गुस्सा नहीॊ कयती औय भायती बी नही ।

46. फारकृष्ण अऩनी भाता से क्मा - क्मा नर्कामत कयता है ?

फारकृष्ण अऩनी भाता से नर्कामत कयता है हक ,

फरयाभ भुझे कारा कहकय ऩुकायता है । भुझे भोर नरमा है ऐसा कहता औय सफ ग्िार दोस्त भुझे चटुकी दे देकय नछडाते है ।

47. मर्ोदा कृष्ण के क्ोध को कैसे र्ाॊत कयती है ?

मर्ोदा कृष्ण । को साॊत्िना कयती हुई कहती है हक , फरयाभ जन्भ से ही चगुरखोय है औय भैं गोधन कसभ खाकय कहती हूॉ हक तू भेया फेटा है औय भैं ही तेयी भाॉ हूॉ ।

16

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

कनाशटक सॊऩदा 48. कनाशटक के प्राकृनतक सौंदमश का िणशन कीजजए

प्रकृनतभाता ने कनाशटक याज्म को अऩने हाथों से सॉिायकय सुन्दय औय सभिृ फनामा है । कनाशटक की प्राकृनतक सुष्भा नमन भनोहय है । ऩजश्चभ भें विर्ार अयफी सभुद्र रहयाता है । इसी प्राॊत भें दजऺण से उत्तय के छोय तक पैरी रॊफी ऩिशतभाराओॊ को ऩजश्चभ घात कहते है । इन्हीॊ घाटों का कुछ बाग सह्याद्री कहराता है । दजऺण भें नीरनगयी की ऩिशतािनरमाॉ र्ोबामभान है । इसतयह कनाशटक के प्राकृनतक सौंदमश का िणशन है|

र्नन सफसे सुन्दय ग्रह 49. ' टाइटन ' की विरे्षताओॊ के फाये भें नरजखए ।

' टाइटन ' र्नन ग्रह का सफसे फडा उऩग्रह है । िह सौयभॊडर का सिाशनधक भहत्िऩूणश हदरचस्ऩ उऩग्रह है । टाइटन की सतह ऩय अॊतरयऺ मान को उताया जा सकता है ।

50. ' र्नन ग्रह ' सौयभॊडर का अत्मॊत खफूसूयत ग्रह है । ' कैसे ?

र्नन ग्रह के चायों ओय अत्मॊत सुॊदय िरम हैं । िे स्ऩष्ट औय विस्तत हैं । ऐसा रगता है - प्रकृनत ने उसके गरे भें खफूसूयत हाय डार हदमे है |

51. सूमश से ऩृ् िी औय र्नन का अॊतय फताइमे ।

सूमश से ऩृ् िी कयीफ 15 कयोड हकरोभीटय दयू है ।

सूमश से र्नन कयीफ 150 कयोड हकरोभीटय दयू है ।

52. ‘ र्नै्चय ' का अथश क्मा है ? |

अथिा धीभी गनत से चरनेिारा । आकार् के गोर ऩय र्नन ग्रह फहुत धीभी गनत से चरता हदखाई देता है । मह कयीफ तीस िषम भें सूमश का एक चक्कय रगाता है ।

र्नन सफसे सुन्दय ग्रह 53. र्नन का िामुभॊडर कैसा है ?

उत्तय : र्नन का िामुभॊडर हाइड्रोजन , हीनरमभ ,

भीथेन तथा एभोननमा गैसों से फना है ।

54. र्नन ग्रह को अत्मॊत ठॊडा ग्रह क्मों कहा जाता है ?

र्नन ग्रह सूमश से ऩृ् िी की अऩेऺा कयीफ दस गुना अनधक दयू है , इसनरए | | फहुत कभ सूमशताऩ उस ग्रह तक ऩहुॉचता है । र्नन के िामुभॊडर का ताऩभान र्ून्म के नीचे 150 ° सेंटीगे्रड के आसऩास यहता है । इसनरए र्नन ग्रह को अत्मॊत ठॊडा ग्रह कहा जाता है ।

55. ' सत्म ' के फाये भें गाॉधीजी की धायणा क्मा है ?

सत्म एक विर्ार िृऺ है । उसका जजतना आदय हकमा जाता है , उतने ही पर उसभें रगते हैं । उनका अॊत नहीॊ होता ।

56. र्नन का उऩग्रह ' टाइटन ' के फाये भें आऩ क्मा जानते हैं ?

' टाइटन ' र्नन का सफसे फडा चॊद्र ( उऩग्रह ) है । मह हभाये चॊद्र से बी | कापी फडा है । मह फडा भहत्िऩूणश औय हदरचस्ऩ उऩग्रह है । इसकी सतह ऩय अॊतरयऺ मान उताया जा सकता है ।

57. र्नन एक सुॊदय ग्रह है । कैसे ?

र्नन ग्रह के चायों ओय िरम ( गोरे ) हदखाई देते हैं । प्रकृनत न इस ग्रह को हाय के रूऩ भें िरम हदमा है । इन िरमों के कायण ही र्नन सुॊदय ि भनोहय ग्रह भाना गमा है ।

17

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

सत्म की भहहभा

58. सत्म क्मा होता है ?

उसका रूऩ कैसे होता है । सत्म ' फहुत बोरा - बारा , फहुत ही सीधा सादा , जो कुछ आॉखों से देखा , वफना नभक नभचश रगाए फोर हदमा मही सत्म है । सत्म दृवष्ट का प्रनतवफॊफ है , ऻान की प्रनतनरवऩ है आत्भा की िाणी है

59. झूठ का सहाया रेते है तो क्मा - क्मा सहना ऩडता है ?

झूठ फोरनेिारे अऩने एक झूठ सावफत कयने के नरए हज़ायों झूठ फोरने ऩडते है , औय कहीॊ ऩोर खरुी तो भुॊह कारा कयना ऩडता है , अऩभाननत होना ऩडता है । 60. झूठ फोरनेिारों की हारत कैसी होती है ?

कबी - कबी झूठ फोर देने से कुछ ऺजणक राब अिश्म होता है , [ अय इससे अनधक हानी ही होती है । ऺजणक राब विकास के भागश के नरए फाधा फन जाता है । व्मवित्ि कुॊ हठत होता है । झूठ फोरनेिारों से रोगों का विश्वास उठ जाता है । उनकी उन्ननत के द्वाय फॊद हो जाते है ।

61. र्ास्त्र भें सत्म फोरने का तयीका कैसे सभझामा गमा है ?

" सत्मॊ ब्रूमात , वप्रमॊ ब्रूमात ् , न ब्रूमात सत्मॊ वप्रमभ “ ' सच फोरो जो दसूयों को वप्रम रगे ,

अवप्रम सत्म भत फोरो |

62. भहात्भा गाॉधी का सत्म की र्वि के फाये भें क्मा कथन है ?

भहात्भा गाॉनध का कथन है हक , सत्म एक विर्ार िृऺ है । उसका जजतना आदय हकमा जाता है , उतने ही फ्र उसभें रगते है । उनका अॊत नहीॊ होता ।

3 MARKS

गद्याॊर् का अनुिाद कन्नड मा अॊगे्रजी भें कीजजए :

63. सत्म की भहहभा अऩाय है । सत्म अत्मॊत र्विर्ारी है । अत् हभें सत्म फोरने का अभ्मास कयना चाहहए ।

Greatness of truth is immense . Truth is very

powerful . So we should practice speaking truth .

ಸತ್ಯದ ಮಹಿಮೆ ಅಪರ . ಸತ್ಯ ಅತ್ಯಂತ್ ಶಕ್ತಿಶಲಿಯಗಿದೆ .

ಆದದರಂದ ನವು ಸತ್ಯವನ್ನು ಮತ್ನಡನವ ಅಭ್ಯಸ

ಮಡಬೇಕನ .

64. र्ननग्रह का सफसे फडा उऩग्रह टाइटन है । मह हभाये चन्द्रभा से बी फडा है । | इसका व्मास 5,150 हकरोभीटय है ।

Titan is the biggest natural satellite of the planet

Saturn . It is bigger than the moon . It's diameter

is 5,150 kilometer .

ಟೈಟನ್ ಶನಿಗ್ರಹದ ಅತ್ಯಂತ್ ದೆೊಡಡ ಉಪಗ್ರಹವಗಿದೆ . ಇದನ

ನ್ಮಮ ಚಂದರನಿಗಿಂತ್ಲೊ ದೆೊಡಡದನ . ಇದರ ವಯಸವು 5,150

ಕ್ತಲೊೇಮೇಟರ್ ಇದೆ .

18

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

1 2 3 4 5 6

अव्ययीभाव

समास तत्परुुष समास

कममधारय

समास द्विग ुसमास ििं समास

बहुब्रीद्वह

समास

आजन्म धममग्रन्थ सिभश पचंवटी सीता–राम नीलकंठ

बखेटके राजकुमार ऩीताम्फय नवग्रह पाप-पणु्य लम्बोदर

भरपटे अकालपीद्वित नीरकॊ ठ दोपहर सबुह-शाम गजानन

यथासभंव सरूरद्वचत कनकरता द्विवणेी सखु-दुुःख घनश्याम

अनजान े ग्रथंकार चन्रमखु सतसई दाल-रोटी श्वतेाबंरी

गगनचमु्बी भखुचन्द्र नवरत्न दो-चार चक्रपाद्वण

परलोकगमन कयकभर शताब्दी भला-बरुा दशानन

दशेभद्वि

चौराह इधर-उधर द्विनिे

गरुूदद्विणा बारहमासा दशे-द्ववदशे नीलकंठ

नरश्रषे्ठ द्वतरंगा रात -ददन

19

Soft@Education आम.एभ.्हहप्ऩयगी सह-अद्याऩक आदर्श विद्यारम रोकाऩूय-रऺानसट्टी

1 2 3 4 5 6 7

दीघम सदं्वध गणु सदं्वध वदृ्वि सदं्वध यण सदं्वध अयादद सदं्वध व्यजंन सदं्वध द्ववसगम सदं्वध

धभाशनधकायी गजेन्द्र एकैक अत्मानधक चमन षड्दर्शन ननश्चम

नर्िारम ऩयभेश्वय भतैक्म इत्माहद नमन हदग्गज ननष्कऩट

सभानानधकाय भहेंद्र सदैि प्रत्मऩुकाय गामक सद्वाणी नीयस

धभाशत्भ यभेर् भहैश्वमश भन्िॊतय नानमका िाग्जार दगुिंध

विद्याथी िावषशकोत्सि ऩयभौज स्िागत बिन अजन्त भनोयथ

विद्यारम जरोभी िनौर्ाध वऩत्रनभुती ऩािन तद्रऩू ऩयुोहहत

किीन्द्र भहोत्सि भहौजश्वी वऩत्राऻा नाविक

नगयीर् भहोनभश भहौषनध वऩत्रऩुदेर्

भहीॊद्र सप्तवषश

यजनीर् भहवषश

रघूत्तय

नसॊधजूाश िधतू्सि

बजूाश

वऩतणृ